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कैसे शरीर को लचीला बनाएँ

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ज़्यादातर लोग जिसे "लचीलापन या फ्लेक्सिबिलिटी" कहते हैं, उसमें आपके जाइंट्स की गति की सीमा के साथ-साथ उन जाइंट्स को घेरे हुए, लिगमेंट्स (ligaments) और टेंडन्स (tendons) की लंबाई भी शामिल होती है। अगर आपका लक्ष्य भी फ्लेक्सिबल बनना है, तो सिर्फ स्ट्रेचिंग करना बस काफी नहीं रहेगा। अपनी फ्लेक्सिबिलिटी को बेहतर बनाने के लिए योगा करें या पाइलेट्स (pilates) करें और अपनी पूरी हैल्थ का ध्यान रखें। पोषण से भरपूर रहना और अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहना, फ्लेक्सिबल बनने में आपकी मदद करेगा।[१]

संपादन करेंचरण

संपादन करेंस्ट्रेचिंग करने का रूटीन बनाना

  1. फिटनेस प्रोफेशनल से मदद की माँग करें: आप स्ट्रेचिंग करना शुरू करें, इससे पहले किसी कोच या फिटनेस इंस्ट्रक्टर से सलाह लेना और उन से सीख लेना अच्छा विचार रहेगा। यहाँ तक कि सिर्फ एक क्लास या वर्कशॉप भी आपको सही पोजीशन का ज्ञान देने में मदद करेगी।[२]
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    • एक फिटनेस प्रोफेशनल आपकी अपनी फ्लेक्सिबिलिटी और आपकी गति की सीमा का आंकलन कर सकता है और आपकी जरूरत और आपके फिटनेस लेवल के हिसाब से आपके लिए खास स्ट्रेचेस करने की सलाह भी दे सकता है।
    • अपने लिए स्ट्रेचिंग और फ्लेक्सिबिलिटी प्रोग्राम की तलाश करने के लिए
      अपने आसपास मौजूद जिम, मार्शल आर्ट्स सेंटर या योगा स्टुडियो में जाकर देखें।
  2. कोई भी स्ट्रेच करने से पहले वार्मअप जरूर करें: अगर आप ऐसे वक़्त पर स्ट्रेचिंग करने की कोशिश भी करेंगे, जब आपकी मसल्स ठंडी हों, तो आपको मोच आने या और कोई दूसरी सीरियस चोट लगने का रिस्क रहेगा। सही तौर पर, आपको अपनी पूरी रेगुलर एक्सर्साइज़ खत्म करने के बाद ही स्ट्रेचिंग करने की आदत बनानी चाहिए।[३]
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  3. आपकी आर्म्स और शोल्डर्स (हाँथों और कंधों) को स्ट्रेच करें: एक मजबूत चेयर की एज पर या तो खड़े होकर या बैठकर आपकी स्ट्रेचिंग की शुरुआत करें। अगर आप बैठे हुए आपके आर्म्स और शोल्डर्स को स्ट्रेच करने वाले हैं, तो फिर आपके एक सही पॉस्चर में बैठे होने की पुष्टि करें।
    अपनी पीठ और कंधों को आपकी स्पाइन के साथ एक सीध में सीधे रखें।
    [४]
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    • एक आर्म को सीधे आपकी चेस्ट के सामने, दूसरे हाँथ से कोहनी के ऊपर हल्के से दबाते हुए लेकर आएँ, जब तक कि आपको एक स्ट्रेच का अहसास न हो जाए। अपनी आर्म को बहुत ज्यादा भी आगे लाने का दबाव न बनाएँ। इस स्ट्रेच को गहरी साँसें लेते हुए, लगभग 5 सेकंड के लिए होल्ड करके रखें। फिर इसे रिलीज करके, दूसरी आर्म के लिए भी ऐसा ही करें।
    • एक आर्म को अपने पीछे की तरफ सिर के ऊपर तक लेकर आएँ। अगर आप से हो सके, तो दूसरे हाँथ के जरिये उंगली को पकड़ने की कोशिश करें। अगर आप से नहीं हो रहा है, तो अपने दूसरे हाँथ को आपकी कोहनी के नीचे रखें और धीरे से इसे पीछे की तरफ धकेलें, जब तक कि आपको आपके ट्राइसेप्स में एक स्ट्रेच का अहसास न हो जाए। इस स्ट्रेच को लगभग 5 सेकंड के लिए होल्ड करके रखें और फिर इसे दूसरी आर्म के लिए भी करें।
  4. आपकी पीठ को स्ट्रेच करने के लिए एक ब्रिज करके देखें: एक ब्रिज, पूरे शरीर के स्ट्रेच के लिए अच्छा रहता है, ये आपकी पीठ के साथ-साथ आपकी चेस्ट, आपके पैर और आपके कोर को भी टार्गेट करता है। इस स्ट्रेच को करने के लिए, पहले जमीन पर अपनी पीठ के बल, अपने पैरों को 90 डिग्री के एंगल पर रखके और पैरों को जमीन पर सीधा रखकर पोजीशन में आ जाएँ।[५]
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    • अपने आर्म्स और हथेलियों को मैट पर अपने दोनों तरफ दबा लें और फिर अपने हिप्स को कुछ इतना ऊपर उठाएँ, कि आपका शरीर, आपकी जांघों को समानांतर रखते हुए, जमीन के साथ एक ब्रिज बना ले। गहरी साँसें लेते हुए इस स्ट्रेच को 5 से 10 सेकंड के लिए बनाकर रखें, फिर ग्राउंड पर आ जाएँ। आप इसे 3 से 5 बार तक रिपीट कर सकते हैं।
    • अगर आप कुछ और चैलेंजिंग करना चाहते हैं, तो पहले ब्रिज की पोजीशन में आएँ और फिर एक पैर को छत की ओर उठाने की कोशिश करें। अपने पैर को वापस ले आएँ और फिर दूसरे पैर के लिए भी ऐसा ही करें।
  5. एक बटरफ्लाई (butterfly) स्ट्रेच करें: बटरफ्लाई स्ट्रेच आपके ग्लूट्स और जांघों के लिए तो अच्छी स्ट्रेच है ही, साथ ही ये आपकी गर्दन और आपकी पीठ को लूज करने में भी मदद करती है। जमीन पर अपने पैरों को फैलाकर बैठते हुए शुरुआत करें।[६]
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    • अपने पैरों को अपने सामने एक साथ लाने के लिए आपके घुटनों को इतना मोड़ें, कि आपके पैरों के सोल (तल) जमीन पर टच होने लग जाएँ। अपने हाँथ से अपने पैरों को पकड़ लें और साँस छोड़ते हुए अपने शरीर को अपने पैर की तरफ झुकाएँ। सुनिश्चित करें, कि आप
      अपने कोर को इसमें शामिल कर रहे हैं और आपकी पीठ को न्यूट्रल रखते हैं,
      कंधों को पीछे की ओर मुड़ा हुआ और उठा हुआ न रखें।
    • अपने आप को जितना हो सके, उतना सामने की तरफ झुकाएँ: इस फ़ोल्ड को गहरी साँसे लेते हुए, 30 सेकंड से 2 मिनट तक के लिए होल्ड करके रखें।
  6. सीटेड ट्रंक ट्विस्ट (seated trunk twists) भी करें: पैरों और पंजों को एक-साथ दबाए हुए, पैरों को अपने सामने फैलाकर बैठने वाली पोजीशन में आ जाएँ। अपने कोर को शामिल करें और अपने कंधों को पीछे की ओर घुमाकर एकदम सीधे बैठ जाएँ, ताकि आपके कंधे आपकी स्पाइन के साथ एक-सीध में हों।[७]
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    • एक एक्सहेल करते हुए, अपने हाँथों को जमीन पर अपने शरीर के दूसरे तरफ जमाकर अपनी कमर से शरीर के दूसरे तरफ ट्विस्ट करें। अपनी पीठ को न्यूट्रल रखें और ध्यान रहे, कि आप अपनी कमर से ही ट्विस्ट करें, न कि अपने हिप्स से।
    • इस ट्विस्ट को 15 से 30 सेकंड्स तक होल्ड करके रखें, फिर वापस सेंटर पर आ जाएँ और दूसरे साइड के लिए भी इसे रिपीट करें। आप इस एक्सर्साइज़ को दोनों ही तरफ के लिए 2 से 4 बार तक कर सकते हैं।
  7. एक स्वान स्ट्रेच (swan stretch) में लिफ्ट करें: स्वान स्ट्रेच असल में योगा और पाइलेट्स एक्सर्साइज़ का एक मेल है, जो सच में आपकी चेस्ट को ओपन करता है और साथ ही आपकी पीठ और आपके कोर की स्ट्रेचिंग की तरह भी काम करती है। जमीन पर अपने पेट के बल, अपने पैरों को पीछे की तरफ बढ़ाकर लेट जाएँ।[८]
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    • अपनी कोहनियों को मोड़ लें और अपनी हथेलियों को अपने कंधे के दोनों तरफ जमीन पर जमाकर रख लें। एक एक्सहेल पर, ऊपर की तरफ दबाव लगाएँ और अपनी आर्म्स को सीधा बढ़ाएँ। अपने कंधों को पीछे और नीचे बनाए रखें, ताकि ये आपके कानों को न घिस पाएँ।
    • अपने हिप्स को जमीन पर रखते हुए, अपने कंधों को एक साथ लाने की कोशिश करें।
      अपनी चेस्ट में स्ट्रेच को महसूस करें।
      इस पोजीशन को 15 से 30 सेकंड तक बनाए रखें, फिर वापस ग्राउंड पर आ जाएँ। इस स्ट्रेच को 3 से 5 बार रिपीट करें।
  8. हिप फ्लेक्सर और क्वेड्स (quads) के लिए तैयार हो जाएँ: ये एक्सर्साइज़ एकदम लंजेज़ की तरह ही है, लेकिन आपके पीछे के पैर को बढ़ाने की वजह से आपके हिप फ्लेक्सर के स्ट्रेच होने के साथ ही आपकी हैमस्ट्रिंग और क्वेड्स की स्ट्रेचिंग भी हो जाती है। जमीन पर घुटने टिकाते हुए शुरुआत करें।[९]
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    • अपने एक पैर को सामने की तरफ कुछ इस तरह से लाएँ, ताकि आपका घुटना एकदम राइट एंगल (समकोण) पर रहे। आप जितना ज्यादा आगे आ सके, उतना आगे कदम बढ़ाएँ – अब आपको आपके विपरीत हिप में एक स्ट्रेच का अहसास होगा। आपके शिन (पिंडलियाँ) जमीन के लम्बवत होनी चाहिए, आपका घुटना एड़ी के ठीक ऊपर होना चाहिए।
    • आपके सामने के घुटने को आपके हाँथ से पकड़ लें और गहरी साँसें लेते हुए आपके हिप्स को सामने की तरफ दबाएँ। इस पोज को 15 से 30 सेकंड्स के लिए होल्ड करके रखें, फिर वापस शुरुआती पोजीशन में लेकर आएँ और दूसरी साइड के लिए भी इसे रिपीट करें।

संपादन करेंयोगा और पाइलेट्स (Pilates) करना

  1. आपकी साँसों पर ध्यान दें: साँसें योगा और पाइलेट्स दोनों का ही सेंट्रल भाग होता है। योगा प्रैक्टिस शुरू करने से पहले आपकी साँसों के ऊपर मेडिटेड करने के लिए कुछ वक़्त लें।
    आपकी नाक से धीरे से साँस खींचें, रुकें, फिर अपने मुँह से धीरे-धीरे साँस छोड़ें।[१०]
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  2. ऐसे पोज चुनें, जिन्हें आसानी से बदला जा सके: जब आप योगा और पाइलेट्स करना शुरू करते हैं, तब आप पोजीशन को पूरी तरह से नहीं पा सकेंगे। योगा ब्लॉक्स और रोल किए हुए या फ़ोल्ड हुए टॉवल, आपके उचित पॉस्चर में होने की पुष्टि करेगा और अपने ऊपर अपनी हद से ज्यादा कुछ करने का दबाव न बनाएँ।[११]
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    • उदाहरण के लिए, फॉरवर्ड फ़ोल्ड आपके पैरों और आपकी पीठ की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ेगी। आप आपकी हथेलियों को अपने पैर के साइड में, जमीन पर नहीं रख पाएँगे। हालाँकि, आप अपने हाँथों जमीन पर आपके सामने योगा ब्लॉक्स पर जरूर रख पाएँगे।
    • आपका शरीर हर रोज पिछले दिन से अलग रहेगा। धैर्य रखें और अगर आप किसी दिन किसी पोज को उस सीमा तक नहीं बना पाएँ, जैसा कि आप किसी और दिन कर पा रहे थे, तो इसको लेकर हताश न हो जाएँ।
  3. कैट और काऊ (बिल्ली और गाय) के पोज के साथ आपकी स्पाइन को लूज करें: ये कैट और काऊ पोज, बिगिनर्स के लिए एक अच्छा योगा पोज़ होता है, जो आपकी पीठ और आपकी कोर की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाता है, साथ ही आपके माइंड और बॉडी को रिलैक्स भी करता है। दोनों हाँथों और पैरों को जमीन पर ले आएँ।[१२]
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    • सुनिश्चित करें, कि आपकी कलाइयाँ, आपके कंधों के ठीक नीचे हों और आपके घुटने सीधे आपके हिप्स के नीचे रखें। अपनी पीठ को सीधा कर लें, ताकि ये एक सीधी टेबल की तरह बन जाए और आपके कंधों और कानों से दूर नीचे की तरफ रखें। गहरी साँस लें।
    • साँस लेते वक़्त, अपनी चेस्ट को ओपन करते हुए, पीठ को झुकाएँ। फिर रुकें।
    • साँस छोड़ते वक़्त, अपनी ठुड्डी को अपनी चेस्ट तक लगाते हुए और अपने कंधों को हल्का सा अंदर तक खींचते हुए, पीठ को सीलिंग की तरफ, पीछे की ओर झुकाएँ।
    • इस मूवमेंट को 5 से 10 बार साँसों के साइकल तक, साँसों और मूवमेंट के बीच में सामंजस्य बनाते हुए रिपीट करें।
  4. कुछ साँसों के लिए पोज़ को होल्ड करके रखें: फ्लेक्सिबिलिटी के लिए योगा और पाइलेट्स का इस्तेमाल करने का सबसे अच्छा तरीका यही है, कि आप स्ट्रेच में आपके पोज़ को बनाए रखें और गहरी साँसें लें। इससे आपका शरीर रिलैक्स होगा और स्ट्रेच में आपको और भी आगे जाने में मदद करेगा।[१३]
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    • आप जब साँस लें, तब आपकी स्ट्रेंथ को मजबूत करने के बारे में सोचें। हर एक एक्सहेल में, आपकी टेंशन को छोड़ें और स्ट्रेच में गहराई तक डूबने की कोशिश करें।
  5. चल रहे मूवमेंट पर पूरा ध्यान दें: बहुत से योगा पोज़ और पाइलेट्स पॉस्चर को प्रत्येक सांस के लिए एक मूवमेंट के साथ मिलकर किया जा सकता है। इसका जारी मूवमेंट आपकी फ्लेक्सिबिलिटी को बेहतर बनाने में मदद करेगा, साथ ही आपके जाइंट्स में ब्लड फ़्लो भी बढ़ाएगा।[१४]
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    • अपनी साँसों के ऊपर ध्यान देना न भूलें। अगर आप अपनी साँसों से भटक जाते हैं या फिर आप आपकी साँसों और मूवमेंट के बीच में सामंजस्य बैठाने के बजाय, अपनी साँसों को रोककर रखने की तरफ ध्यान देने लगे हैं, तो थोड़े धीमे पड़ जाएँ।
  6. सूर्यनमस्कार करें: सूर्यनमस्कार एक विन्यास होता है, जो योगा पोज़ की एक सीरीज है, जिसे साँसों के मूवमेंट के साथ लगातार किया जाता है। सूर्यनमस्कार में कुल 12 पोज़ होते हैं।[१५]
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    • आप पहले खड़ी पोजीशन में शुरू करेंगे, जिसे योगा में माउंटेन पोज़ (तड़ासन) कहा जाता है। आप आपकी साँसों और मूवमेंट के साथ सामंजस्य बनाते हुए, सारे पोज़ में खुद ही आराम से मूव करने लगेंगे, और आखिर में फिर से माउंटेन पोज़ पर पहुँच जाएंगे।
    • सूर्यनमस्कार से एक अच्छा कार्डियोवैस्क्यूलर वर्कआउट भी मिलता है और साथ ही ये और दूसरी ज्यादा इंटेन्स स्ट्रेचिंग या फ्लेक्सिबिलिटी वर्क के लिए भी एक अच्छा वार्मअप देता है।
  7. नियमित रूप से और दृढ़ता के साथ प्रैक्टिस करें: अगर आप नियमित रूप से प्रैक्टिस नहीं करेंगे, तो आपको आपकी फ्लेक्सिबिलिटी में कुछ ज्यादा फर्क नजर नहीं आएगा। आपको रोजाना भी प्रैक्टिस करने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन आपको
    हर हफ्ते में कम से कम 3 या 4 दिनों के लिए कुछ वक़्त जरूर निकालना चाहिए।[१६]
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    • हफ्ते के 3 या 4 दिनों में पहले 10 से 15 मिनट की प्रैक्टिस करना शुरू करें। अगर आपको आपकी प्रैक्टिस में मजा आया, तो फिर आपको इसमें और दिनों को जोड़ते जाना चाहिए, लेकिन इतना ध्यान रहे, कि आप इसे दृढ़ता के साथ करते रहें।

संपादन करेंपूरी हैल्थ को मेंटेन करना

  1. न्यूट्रीशन से भरपूर फूड्स लें: वैसे तो ऐसे कोई खास फूड्स मौजूद नहीं हैं, जिनसे आपकी फ्लेक्सिबिलिटी में सुधार आने के सबूत मिले हों, लेकिन फिर भी एक अच्छी डाइट आपको हैल्दी रखने और आपके मसल्स और बोन्स को मजबूती देने के लिए काफी जरूरी होती है। कुछ हफ्तों तक आपके द्वारा खाये गए फूड्स को एक फूड डायरी में लिखें, ताकि आपको भी मालूम रहे, कि आप आपके शरीर में क्या डाल रहे हैं।[१७]
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    • पहले से तैयार फूड्स, फ़्रोजन डिनर और जंक फूड की जगह पर जहाँ तक हो सके ऐसा खाना खाएँ, जो फ्रेश हो।
    • आपके मील या डाइट के बेलेंस्ड होने की पुष्टि करने और आपके द्वारा लिए जाने वाले भाग को कंट्रोल में रखने के लिए एक मील प्लान बनाएँ।
  2. बहुत सारा पानी पिया करें: फ्लेक्सिबिलिटी के लिए मसल्स, लिगमेंट्स और टेंडन्स के हैल्दी होने की जरूरत होती है। आप उन मसल्स से, उनके पूरे ज़ोर तक परफ़ोर्मेंस देने की उम्मीद नहीं कर सकते, जो कि डिहाइड्रेटेड हैं। साथ ही डिहाइड्रेटेड मसल्स काफी टाइट और कड़क होती हैं। अगर आप कडक, डिहाइड्रेटेड मसल्स को स्ट्रेच करने की कोशिश करेंगे, तो आपको कुछ खतरनाक चोट लग सकती हैं।[१८]
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  3. मसाज लें: खासतौर पर आप अगर बहुत इंटेन्सली और रेगुलरली फिजिकल काम में लगे रहते हैं, तो ऐसे में एक मसाज आपके मसल्स में ज्यादा काम की वजह से बनी गांठ और अकड़न को कम करने में मदद करेगी। धीरे-धीरे ये गठानें और अकड़न आपकी स्पीड को काफी कम कर देंगी।[१९]
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    • आप चाहें तो अपनी खुद की मसाज करने के लिए, खासकर वर्कआउट के बाद, एक फ़ोम रोलर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
    • एक मसाज थेरेपिस्ट पाएँ और कुछ महीनों तक हर महीने में एक बार जरूर उनसे मसाज लेने की अपोइंटमेंट फिक्स करें। ये न सिर्फ काफी आरामदायक होगा, बल्कि ये आपको फ्लेक्सिबल बनने के आपके लक्ष्य को पूरा करने में मदद भी करेगा।
  4. आराम करने के लिए भी समय निकालें: जब आप स्ट्रेस में होते हैं, तब आप आपकी मसल्स में न जाने कितनी टेंशन लेकर चल रहे होते हैं। ये आपको कम फ्लेक्सिबल बनाने के पीछे का कारण भी हो सकता है। अगर आप आराम करने और खुद को फ्री करने के लिए कुछ वक़्त नहीं निकालेंगे, तो आप आपके द्वारा फ्लेक्सिबल बनने के लिए की हुई हर एक कोशिश के प्रभाव को खत्म कर डालेंगे।[२०]
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संपादन करेंचेतावनी

  • किसी भी तरह के फिटनेस प्रोग्राम को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर बात कर लिया करें, खासतौर पर तब, जब आप आपकी पहली की किसी चोट से उबर रहे हैं या फिर आपको कोई गंभीर बीमारी से जूझ रहे हों।

संपादन करेंस्रोत और उद्धरण


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