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कैसे प्रत्यायोजन करें

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चाहे आप कॉर्पोरेट एक्ज़ीक्यूटिव हों, छोटे स्तर के प्रबन्धक हों या गृहस्थ हों, उत्तरदायित्वों का प्रत्यायोजन (Delegation) कर पाना एक ऐसा जटिल कौशल है जो आपकी प्रभावात्मकता पर काफी असर करता है। प्रत्यायोजन, वैसे पेचीदा भी हो सकता है – उसके लिए आपको दृढ़ होने के साथ ही, जिस को आप उत्तरदायित्व दे रहे हैं उस पर विश्वास भी करना होता है। यह लेख आपको प्रत्यायोजन संबंधी परेशानियों से निबटने में सहायता करेगा और आपको दिखाएगा की वास्तविक प्रत्यायोजन की प्रक्रिया सम्मान और चतुराई से कैसे पूरी की जा सकती है।

संपादन करेंचरण

संपादन करेंसही मनोस्थिति प्राप्त करना

  1. अपने अहम को किनारे रखिए: प्रत्यायोजन में यह विचारधारा एक बड़ी मानसिक रुकावट होती है कि, “यदि आपको कोई काम ठीक से कराना है, तो स्वयं ही करना पड़ेगा।“ आप ही विश्व में अकेले नहीं हैं, जो उसको सही तरीके से कर सकते हैं। “संभव है कि” इस समय आप ही एक ऐसे व्यक्ति हों जो उसे कर सकते हैं, मगर यदि आप समय निकाल कर किसी को सिखा देंगे, तो शायद वे भी उसे सही तरीके से कर पाएंगे। कौन जाने – वे उसे, आपसे जल्दी और बेहतर कर पाएँ (हुंह!) और इस चीज़ को आपको न केवल स्वीकार करना होगा बल्कि इसका इंतज़ार भी।
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    • ठीक से और सचमुच में सोचिए कि क्या आप यह काम, अपने आप कर सकते हैं? क्या आप जान देकर ही, इस काम को, और अपने रोज़मर्रा के काम को पूरा कर पाएंगे? अगर ऐसा है तो आपको अपना कुछ काम प्रत्यायोजित करने को तैयार होना होगा। संकोच मत करिए और यह मत सोचिए की आप अक्षम हैं क्योंकि आपको किसी चीज़ के लिए सहायता की आवश्यकता है – आवश्यकता होने पर मदद मांग कर आप वास्तव में “अधिक” प्रभावी कार्यकर्ता हो जाते हैं।
  2. लोगों के स्वैच्छिक आवेदन की प्रतीक्षा न करें: यदि आपको प्रत्यायोजन करने में हिचकिचाहट हो रही है तब तो आप शहीद बनना चाहते हैं – आप पर काम का बहुत बोझ है और आप यह सोचते रहते हैं कि लोग मदद की पेशकश क्यों नहीं करते हैं। स्वयं से ईमानदार हो जाइए – जब वे पेशकश करते हैं, तब तो आप शालीन दिखने के लिए, उसे ठुकरा देते हैं। क्या आप खामोशी से यह सोचते रहते हैं कि आखिर वे लोग “ज़िद” क्यों नहीं करते हैं? क्या आप यह सोचते हैं कि यदि आप उनके और वे आपके स्थान पर होते तो आप तो पलक झपकते ही उनकी मदद को आ जाते। यदि आपका उत्तर “हाँ” है तब तो आपको अपनी स्थिति सुधारने के लिए “नियंत्रण अपने हाथ” में ही लेना होगा। जो भी मदद चाहिए उसे “ले लीजिये” – उसके आने की प्रतीक्षा मत करिए, क्योंकि हो सकता है कि वह नहीं ही आए।
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    • बहुत से लोगों को तो यह पता ही नहीं होता कि औरों पर क्या गुज़र रही है, और आप इस स्थिति को बदलने के लिए कुछ अधिक कर भी नहीं सकते हैं। लोगों द्वारा मदद की पेशकश नहीं करने के कारण उत्पन्न कुंठा को जाने दीजिये; याद रखिए कि अंततोगत्वा, अपनी आवश्यकताओं को बताना तो आपका ही काम है।
  3. मदद की पेशकश को नकारात्मकता से न देखिये: बहुत से लोगों को मदद मांगने में हिचकिचाहट होती है। आपको अपराध बोध हो सकता है, जैसे कि आप दूसरों पर बोझ डाल रहे हैं, या शर्मिंदगी, क्योंकि आप यह सोचते हैं (किसी भी कारण से) कि आप को सब कुछ स्वयं ही करने में सक्षम होना चाहिए था। यदि आपको सहायता मांगना कमजोरी लगता है, तो आपको उस विचार से तुरंत उबर जाना चाहिए। बात इसके बिलकुल विपरीत है: सब कुछ स्वयं ही करने का प्रयास करना इसलिए कमजोरी की निशानी है क्योंकि इससे यह प्रदर्शित होता है कि आपको अपनी क्षमताओं का वास्तविक ज्ञान है ही नहीं।
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  4. लोगों पर विश्वास करना सीखिये: यदि आपको प्रत्यायोजन से इसलिए डर लगता क्योंकि आपको लगता है कि आपसे अच्छा काम कोई और कर ही नहीं सकता, तब दो चीज़ें याद रखिए: पहला, कि समुचित अभ्यास से कोई भी कुछ भी करने में महारत हासिल कर सकता है और दूसरा, कि आपमें शायद उतना कौशल कूट-कूट कर नहीं भरा हुआ है, जितना आप सोचते हैं। जब आप कार्य का प्रत्यायोजन करते हैं तब आप न केवल अपने लिए कुछ समय निकाल पाते हैं – बल्कि आप अपने सहायक को भी किसी नए कौशल अथवा नए प्रकार के कार्यभार के अभ्यास का अवसर देते हैं। धीरज बनाए रखिए – समय के साथ, आपका सहायक संभवतः प्रत्यायोजित कार्य को आप जितनी ही कुशलता से करने लगेगा। यदि वह कार्य जिसके प्रत्यायोजन की आपने योजना बनाई हुयी है, “अत्यंत महत्वपूर्ण” नहीं है, तो आपका सहायक यदि उसे सीखने में कुछ समय लेता भी है, तो कोई बात नहीं है। यदि कार्य बहुत महत्वपूर्ण “ही है” तब प्रत्यायोजन से पहले दोबारा सोच लीजिये।
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    • जिस कार्य के प्रत्यायोजन की आप योजना बना रहे हैं, चाहे आप उसमें सर्वश्रेष्ठ ही क्यों न हों, जान लीजिये कि प्रत्यायोजन से आपको अपने समय में कुछ और करने का अवसर प्राप्त होगा। यदि आप उस हार्ड ड्राइव बनाने के, एकरस कार्य में, अपने कार्यालय के सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हैं, और आपको एक महत्वपूर्ण प्रेजेंटेशन बनाने की तैयारी करनी है, तब तो उस कार्य को किसी इंटर्न को दे देना उचित होगा। आपके लिए कठिन और जटिल कार्य को प्राथमिकता देना बेहतर होगा – जब आपके पास और महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए हों तब सरल और पुनरावृत्ति वाले कार्यों को प्रत्यायोजित करने का बुरा मत मानिए।

संपादन करेंप्रभावी प्रत्यायोजन

  1. शुरू तो करिए: पहला कदम सबसे कठिन होता है, मगर सबसे निर्णायक भी। आपको पहल करनी होगी और किसी से मदद भी मांगनी होगी (अगर आप साहब हैं तो मदद के लिए किसी से “कहना” होगा)। यदि आप शिष्ट, कृपालु और विनीत हैं तथा अभद्र नहीं हैं तो किसी से मदद मांगने (या इसके लिए कहने) में – बुराई मत समझिए। अपने निवेदन की गंभीरता को रखने के साथ साथ विनीत एवं दूसरों का ध्यान रखने वाले बने रहिए।
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    • यदि आप पशोपेश में हों, आपको उलझन हो रही हो कि कैसे अपने काम को किसी और से करने को कहें, तो बात को संक्षेप में और सीधे सीधे कहिए। ऐसा कुछ कहिए, “सुनिए, क्या मैं आपसे एक मिनट बात कर सकता हूँ? मैं सोच रहा था कि क्या आप हार्ड ड्राइव के एक ढेर, जो हमें अभी मिला है, उसे जोड़ने में मेरी मदद कर सकेंगे। मैं, चूंकि आज कार्यालय के बाहर रहूँगा, इसलिए नहीं कर पाऊँगा। क्या आप मेरी सहायता कर सकते हैं?” अपने सहायक पर दबाव मत डालिए, मगर यह सपष्ट कर दीजिये कि उसकी सहायता की “आवश्यकता” है।
    • पूछिए और (संभवतः) आप पा जाएँगे। प्रत्यायोजन करने में इसलिए मत हिचकिचाइए कि आप अशिष्ट या लादने वाले समझे जाएँगे। इसको ऐसे समझिए – जब आपसे कोई कुछ मांगता है तो आपको कैसा लगता है? क्या आपको चोट पहुँचती है या बुरा लगता है? या आप (आम तौर पर) मदद करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहते हैं? शायद दूसरी बात अधिक सही है!
  2. इन्कार को व्यक्तिगत तौर पर मत लीजिये: कभी कभी लोग आपकी मदद नहीं भी करेगे – यह दुखदाई है, मगर सत्य है। यह कई कारणों से हो सकता है – सबसे आम कारण यह हो सकता है कि जिस व्यक्ति से आपने मदद मांगी हो वह अपने काम में ही अत्यंत व्यस्त हो। इसको बहुत व्यक्तिगत तौर पर मत लीजिये – केवल इसलिए कि कोई इस समय आपके लिए कुछ नहीं कर पाया है (नहीं कर रहा है), इसका अर्थ यह नहीं है कि वह आपसे नफरत करता/ती है। सामान्यतः इसका अर्थ है कि वह व्यस्त अथवा आलसी है – और कुछ नहीं।
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    • यदि आपको इन्कार किया जाता है तो अपने विकल्पों का आकलन करें – आम तौर पर, आप शिष्टता मगर दृढ़ता से ज़िद कर सकते हैं कि इस व्यक्ति को आपकी मदद करनी ही होगी (यह तब और अच्छी तरह काम करेगा यदि आप साहब या अधिकार प्राप्त व्यक्ति हैं), आप किसी और से सहायता मांगने का प्रयास करें या स्वयं उस कार्य को कर लें। यदि आपको वास्तव में मदद चाहिए ही, तब विकल्प एक और/या विकल्प दो का प्रयास करें।
  3. उद्देश्य का प्रत्यायोजन करें, प्रक्रिया का नहीं: यही कुंजी है जिससे आप भयावह माइक्रो मैनेजर नहीं बनेंगे। आप जैसे परिणाम चाहते हों उसके अनुसार स्पष्ट मापदंड तय कर दीजिये, और उस व्यक्ति को दिखा दीजिये कि आप कैसे करते हैं, मगर उन्हें बता दीजिये कि यदि वे उसे ठीक से और समय पर करेंगे तो जैसे चाहें वैसे कर सकते हैं। उन्हें न केवल सीखने के लिए समुचित समय दीजिये, बल्कि प्रयोग करने और नई राहें खोजने के लिए भी। उन्हें यंत्र मानवों जैसा प्रशिक्षित मत करिए; मनुष्यों की तरह प्रशिक्षित करिए – जिससे कि वे उसके अनुकूल बन सकें और उसे सुधार भी सकें।
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    • यह चतुराई भी है क्योंकि इससे आपका समय और शक्ति बचती है। आप इस खाली समय का उपयोग कुछ महत्वपूर्ण करने में लगा सकते हैं, न कि यह सोचने में कि आपके सहायक की प्रगति कैसी है। याद रखिए कि आपने इस कार्य का प्रत्यायोजन इसलिए किया है ताकि आपका तनाव “कम” हो – न कि “अधिक”।
  4. अपने सहायक को प्रशिक्षित करने को तैयार रहिए: चाहे काम कितना भी सरल क्यों न हो, आपको हर हालत में अपने सहायक को प्रत्यायोजित कार्य का प्रशिक्षण देने के लिए समय निकालना ही होगा। याद रखिए कि वे प्रक्रियाएँ जो आपके लिए इतनी सीधी और सहज हैं, वे उसके लिए उतनी सरल नहीं होंगी जिसने उनको पहले कभी नहीं किया हो। न केवल अपने सहायक की प्रत्यायोजित कार्य में मदद करने को तैयार रहिए बल्कि उसके संभावित प्रश्नों के लिए भी धीरज बनाए रखें।
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    • जो समय आप अपने सहायक के प्रशिक्षण में लगाते हैं उसे बुद्धिमत्तापूर्ण लंबे समय का निवेश समझिए। अपने सहायक को काम सिखाने के लिए कुछ समय व्यय करने से, आप भविष्य में वह समय बचा लेते हैं जो शायद उसकी गलतियों को ठीक करने में लगता।
  5. कार्य को पूर्ण करने के लिए आवश्यक संसाधनों का आवंटन करें: आपके पास कार्य पूर्ण करने के लिए संसाधन हो सकते हैं मगर संभव है कि जिसे वह कार्य दिया गया है, वह उन संसाधनों को प्राप्त न कर पाये। कार्य को पूरा करने के लिए पासवर्ड सुरक्षित डेटा, विशेष उपकरण या विशिष्ट साधनों की आवश्यकता हो सकती है, अतः सुनिश्चित करें कि आपके सहायक को सफल होने के लिए, जो कुछ भी चाहिए वह उपलब्ध है।
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  6. समझिए कि आपका सहायक एक बार में एक ही काम कर सकता है: जब आपका सहायक आपकी सहायता कर रहा है तब वह अपना सामान्य काम तो नहीं कर सकता/सकती है। यह मत भूलिए कि आप ही की तरह, शायद आपके सहायक की भी एक चुस्त समय सारिणी है। स्वयं से पूछिए कि आपके काम को पूरा करने के लिए “वे” कौन से काम को टाल देंगे या प्रत्यायोजित कर देंगे? जब आप किसी को कोई काम प्रत्यायोजित करें तो इस प्रश्न का उत्तर जानना सुनिश्चित करिए।
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  7. धैर्य बनाए रखिए: वह व्यक्ति जिसको आपने कार्य का प्रत्यायोजन किया है, नया काम सीखते समय गलतियाँ तो “अवश्य ही” करेगा। यह सीखने की प्रक्रिया का एक भाग है। इसके लिए पहले से योजना बना लीजिये। काम को, यह सोच कर प्रत्यायोजित मत करिए कि वह व्यक्ति अनुभव नहीं होने पर भी, उसको बिलकुल ठीक से पूर्ण कर पाएगा। यदि कोई परियोजना वैसी नहीं हो पाती जैसी आपने चाही थी, और वह भी इस कारण से कि आपका साथी उस नए काम को, जो आपने उसे प्रत्यायोजित किया था, बखूबी नहीं कर पाया हो, तो गलती आपकी है, उसकी नहीं। अपने सहायक के लिए संसाधन बन कर रहिए और प्रत्यायोजित कार्य उसके लिए एक शैक्षिक अनुभव होना चाहिए, न कि भयावना।
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    • जब आप किसी को कुछ करने के लिए प्रशिक्षित करते हैं, तो आप निवेश कर रहे होते हैं। पहले तो यह बोझ लगेगा, मगर चूंकि आपने पूरे मामले में एक यथार्थवादी और सकारात्मक रवैया अपनाया है, कालांतर में यह उत्पादकता को दिन दूना रात चौगुना बढ़ाएगा।
  8. संभावित परेशानियों से जूझने के लिए तैयार रहिए: बैकअप योजनाओं को लागू करिए और यदि कुछ गड़बड़ होती है तो कूद पड़ने के लिए तैयार रहिए। आपको पता होना चाहिए कि यदि मानदण्ड पूरे नहीं होते हैं या समय सीमा पार हो जाती है, तो क्या हो सकता है। रुकावटें और अनपेक्षित चुनौतियाँ तो हर समय आती हैं, चाहे आप घर पर हों या काम पर – यहाँ तक कि टेक्नॉलॉजी भी कभी कभी असफल हो जाती है। अपने प्रतिनिधि को यह जानने दीजिये, कि आवश्यकता होने पर, आप समझ जाएँगे और समय सीमा के अंदर रहने में उसकी सहायता करेंगे – ऐसा नहीं कि खतरे की बू आते ही उसको खाई में धकेल देंगे।
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    • ऐसा करने में एक चालाकी भी है – यदि आपके प्रतिनिधि को यही भय सताता रहेगा कि सारा कलंक उस पर लगेगा, तो काम करने से कहीं अधिक समय वह अपनी सफाई तैयार करने में लगाएगा।
  9. अपने सहायक की कीमत पहचानिए: यदि आपको बड़े बड़े उत्तरदायित्व निबाहने हैं तो कार्यों का प्रत्यायोजन किसी न किसी को करना ही होगा। हालांकि यह तो बिलकुल गलत बात होगी यदि आप कार्य को प्रत्यायोजित करते हैं, सहायक को उस पर कार्य करने देते हैं, और फिर सारा श्रेय स्वयं ले लेते हैं। अपने लिए कार्य करने वालों को न केवल पहचानिए बल्कि उनके प्रयासों की प्रशंसा भी करिए।
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    • सुनिश्चित करिए कि जब भी आपकी प्रशंसा किसी ऐसे काम के लिए हो जिसमें आपने सहायता प्राप्त की हुयी हो, अपने सहायक का नाम के साथ, ज़िक्र अवश्य करें।
  10. ”धन्यवाद” कहिए: जब कोई व्यक्ति आपके लिए कुछ करता है तो उसको धन्यवाद देना महत्वपूर्ण है, उसकी सहायता की महत्ता को स्वीकार करें और सहायक को पता चलने दें कि उसकी बात पसंद की गई है। अन्यथा, न होने पर भी, आप कृतघ्न प्रतीत होंगे। याद रखिए लोग आपके मन की बात नहीं जान पाते हैं। लोग पुनः मदद की पेशकश तभी करेंगे जब उन्हें लगेगा कि उनका आभार माना गया है।
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    • आभार मानते रहिए: पूरे दिल से कहा गया वक्तव्य कि, “आपके बिना तो मैं यह कर ही नहीं सकता था!” बहुत असरदार होता है। यदि उस व्यक्ति ने आपके लिए ढेरों काम किया हो तो आप उसे एक दावत, कॉफी, धन्यवाद कार्ड या छोटी सी कोई भेंट भी दे सकते हैं।

संपादन करेंसलाह

  • उन चीजों की एक सूची बना लें जिन्हें आप प्रत्यायोजन कर किसी और को सौंप देना चाहते हैं। पहले ही किसी चीज़ को निकाल मत दीजिये। सबको लिख लीजिये और बाद में देखिये कि क्या किया जा सकता है और क्या नहीं। आपको यह देख कर आश्चर्य होगा कि ऐसी कितनी ही चीज़ें हैं जो आप अभी तो कर रहे हैं मगर आप उसे करने के लिए किसी और की मदद ले सकते हैं।

संपादन करेंचेतावनियाँ

  • अप्रिय कार्यों को दूसरों पर यह कह कर मत थोप दीजिये कि आप उनपर उपकार कर रहे हैं। यदि उनको सचमुच में कोई लाभ नहीं हो रहा हो तो ऐसा ढोंग मत करिए कि, हो रहा है। यह एक “टीम” के तरह कार्य सम्पन्न होने के बाद करना ही सबसे अच्छा है। इससे आप इमानदारी से कह सकेंगे कि, “वाल्ट, यह काम तो बहुत घटिया है मगर मुझे सच में इसमें तुम्हारी आवश्यकता है”, या, “लौरी, मैं वादा करता हूँ कि यदि इससे कुछ भी श्रेय मिलेगा तो वह तुम्हारा ही होगा। मैं जानता हूँ कि यह कार्य कुछ बहुत बढ़िया नहीं है, मगर इसे करना तो है ही, और मुझे विश्वास है की तुम इसे कर सकती हो।“ वैसे तो अनगिनत अप्रिय और व्यर्थ के कार्य हैं जिनको किया जाना होता है, मगर उनको करने का तरीका यही है कि जब बढ़िया काम आए तो आप सच्चे सहायक को भूल न जाएँ।

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