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कैसे दुष्कर लोगों से व्यवहार करें

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हम में से अधिकतर लोग ऐसे किसी न किसी व्यक्ति को अवश्य जानते हैं जो हर परिस्थिति को असाध्य और जहरीला बनाने में माहिर होते हैं। अगर आप ऐसे लोगों को ये बताने की कोशिश करें कि उनका व्यवहार आपके लिए मुश्किलें पैदा करता है तो इससे आपको कुछ लाभ नहीं होगा। ज़्यादातर ऐसे लोग ये मानने को तैयार ही नहीं होते कि उनका व्यवहार समस्याप्रद है। इस समस्या का कारण जो भी हो, आप ऐसे दुष्कर लोगों के साथ बातचीत करने का ढंग सीख सकते हैं ताकि आप अपना मानसिक संतुलन बरकरार रख सकें।

संपादन करेंचरण

संपादन करेंविरोधाभास की स्थिति को संभालना

  1. आत्मरक्षक प्रवृत्ति से बचें: आप ऐसे लोगों को हरा नहीं सकते। इसीलिए शायद इन्हें दुष्कर कहा जाता है। उनके अनुसार सभी गलतियाँ आपने ही की हैं। आप जो भी कहें, वो आपका पक्ष नहीं समझने वाले हैं। आपका विचार उनके लिए कोई माने नहीं रखता है क्योंकि उनकी नज़र में आप दोषी है। इसलिए, बार-बार अपनी सफ़ाई देने की कोशिश न करें।
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  2. स्थिति को स्वीकार करें: सबसे पहले अपनी स्थिति को स्वीकारें। अगर आपने मान लिया कि आप एक दुष्कर व्यक्ति के साथ बात कर रहे हैं, तो आगे बताए गए तरीके अपना कर अपनी परेशानी कम करें।
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  3. सामने वाले को समझने की कोशिश बंद करें: आप यदि सामने वाले के सामने समस्या साफ-साफ बताने की कोशिश करेंगे तब भी समाधान नहीं हो पाएगा। बल्कि इससे स्थिति और बिगड़ने की ही संभावना है। आप इस बात को समझें कि किसी सामान्य झगड़े की तरह आप किसी दुष्कर व्यक्ति के साथ झगड़े का हल नहीं ढूंढ सकते। यहाँ एक विशेष परिस्थिति है, जिसका निवारण विशेष तरीके से करना होगा।
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    • याद करें कि आपने पहले भी बीसियों बार शराफत से बात करने की कोशिश की थी तो क्या हुआ था। अवश्य बातचीत के अंत में आप ही दोषी पाये गए होंगे। इसलिए अब दीवार पर सर पटकने के बजाय कोई दूसरा रास्ता ढूँढने की कोशिश करिए।
  4. खुद को दोषी न समझने लगें: यदि बार-बार कोई आपको दोषी कह रहा हो तो इस स्थिति में खुद को दोषी मान लेना स्वाभाविक है। इस स्थिति से बचें और याद रखें कि यदि कोई व्यक्ति बार-बार आपको दोषी बता रहा है, तो स्वयम उसके दोषी होने ही संभावना अधिक है।
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    • ध्यान रखें कि निराशा में आप खुद सामने वाले पर उंगली उठाना शुरू न कर दें। आप उनसे कभी जीत नहीं पाएंगे और इससे प्रतिकूल असर भी हो सकता है।
    • यदि आप अपनी गलती मान कर उसकी ज़िम्मेदारी उठाने को तैयार हैं, इसका अर्थ है कि आप नहीं बल्कि आपके सामने वाला व्यक्ति दुष्कर व्यवहार कर रहा है।
  5. परिस्थिति से अलग रहें: विरोधी परिस्थिति के दौरान आप ये नीति अपना सकते हैं:
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    • अलगाव: संघर्ष की स्थिति में मन शांत रखना सबसे ज़रूरी है। चिल्लाने या रोने से सामने वाला व्यक्ति और अड़ियल हो जाता है।
    • उदासीनता: संघर्ष की स्थिति से खुद को अलग कर उसके प्रति उदासीन रहने की कोशिश करें। यदि आप गुस्से मे ऐसी बातें बोल जाते हैं जिस पर बाद में पछताना पड़े, तो स्थिति और बिगड़ ही सकती है। कुछ भी हो जाए खुद को स्थिर रखें।
    • शब्दबहुलता: दुष्कर व्यक्ति या व्यक्तियों को "क्यों" या "कैसे" जैसे सवालों में उलझा कर सच उगलवाने की कोशिश करें। याद रखें कि वो दुष्कर है, मूर्ख नहीं, इसलिए उसे उलझा कर ही आप सच्चाई तक ले जा सकती हैं।
  6. क्रोध पर काबू रखें: आपका क्रोध आपके सामने वाले के लिए आपको दोषी करार देने का हथियार बन सकता है। क्रोध में कहे गए आपके शब्द वो आपके खिलाफ़ बार बार इस्तेमाल करेंगे। वैसे भी दुष्कर लोगों कि याददाश्त काफ़ी तेज़ होती है; पाँच साल पहले कही गई बातें भी उन्हें ऐसे याद रहती हैं जैसे उन्हें कल ही बोला गया हो।
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  7. प्रक्षेपण के लिए तैयार रहें: आपके लिए ये समझना नितांत आवश्यक है कि आप जिस दुष्कर व्यक्ति का सामना करने की कोशिश कर रहे हैं वो आपको ही दुष्कर प्रवृति का साबित करने की कोशिश करेगा। उसका मानना होगा कि उसके व्यक्तित्व की सभी त्रुटियाँ आपकी वजह से ही हैं।
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    • याद रखें कि आपके सामने वाले के मन में ये बात बैठी हुई है कि सभी मुश्किल परिस्थितियों के लिए आप ही जिम्मेदार हैं। ये विडम्बना है कि आप जिसे ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके व्यवहार से आपको परेशाने हो रही है, वो आपको भी वही बात कह रहा है।

संपादन करेंदीर्घकालिक प्रबंधन

  1. कुशल प्रबन्धक बनें: दुष्कर व्यक्ति के साथ संबंध में आपका काम है उस व्यक्ति से सही ढंग से काम निकालना। काम निकालने का अर्थ है बिना गतिरोध के साथ रहना।
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    • एक संचालक के तौर पर आपके सबसे प्रभावशाली हथियार हैं: शांति कायम रखना, माहौल को हल्का-फुल्का बनाना और अगले को सुधारने की कोशिश नहीं करना।
    • आपको ये स्वीकार करना होगा कि आपके बीच जो समस्याएँ हैं, उसकी ज़िम्मेदारी सिर्फ आपको लेनी है। आपके साथ का व्यक्ति इस ज़िम्मेदारी को अगर समझेगा भी तो उसे ठीक करने की कोशिश नहीं करेगा। इसलिए आपको दोषारोपण किए बिना, शांतिपूर्वक रिश्ते को निभाना है। जब तक आपके लिए संभव हो। ये कहना आसान है पर करना बहुत कठिन। बीच बीच में ऐसे पल आएंगे जब आपको लगेगा कि आप अब और नहीं बर्दाश्त कर सकते पर धीरे धीरे आपको आदत हो जाएगी और आप परिस्थिति को काबू में रखने में अधिक सफल होंगे।
  2. क्या आप सही व्यक्ति के साथ हैं: ऐसा भी हो सकता है कि बाकी लोगों के साथ अच्छे से पेश आने वाला व्यक्ति आपके साथ ही दुष्कर व्यवहार कर रहा हो।
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    • यदि आपके साथ का व्यक्ति ये कहे कि और किसी को तो उससे कोई दिक्कत नहीं है, इससे आप दोनों के बीच की समस्या हल नहीं हो जाती। इसलिए वो व्यक्ति किसी और से कैसे बर्ताव करता है इससे आपके सेहत पर कोई फ़र्क नहीं पड़ना चाहिए। यह सिर्फ दोषारोपण का एक और तरीका है। आखिरकार दोषारोपण से वास्तविकता तो नहीं बदल जाती। आप यह तय करने की कोशिश करें कि क्या आप उस व्यक्ति से और रहना चाहते हैं।
  3. कठिन परिस्थिति में पड़ने से बचें: आप ऐसे व्यक्ति के साथ अकेले दो-दो हाथ करने से बचें। यदि आपको ऐसा लग रहा है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न होने वाली है तो किसी अन्य व्यक्ति को भी शामिल करने की बात करें। यदि अगला ऐसा करने से मना करे तब भी आप वही करें जो आपको सही लगे। याद रखें कि वह व्यक्ति सबके सामने आप पर दबंगई झाड़ने की कोशिश नहीं करेगा।
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  4. अपने स्वाभिमान की रक्षा करें: यदि आपको नियमित रूप से ऐसे किसी व्यक्ति के साथ बने रहना पड़ रहा है जो आपको सभी बुराइयों का जड़ मानता हो, तो आपके लिए एक सकारात्मक छवि बनाना अत्यंत आवश्यक है। आप ये समझ लें कि अगला अपनी छवि सुधारने के लिए आपका इस्तेमाल कर रहा है। आप ऐसे लोगों पर ध्यान दें जो आपकी राय की पुष्टि करते हैं।
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    • आप खुद को याद दिलाते रहें कि इस दुष्कर व्यक्ति की कही हर बात सच नहीं है। शायद वो अपने स्वभाव के कारण सही-गलत मे फ़र्क करने में ही असमर्थ है।
    • यदि कही हुई बात में दम ही नहीं है तो उसे साफ़ तौर पर नकार दें। खुद की सफाई देने की भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि इससे बहस की स्थिति पैदा होने का खतरा है।
  5. अलग होने के लिए तैयार रहें: आपको यह बात समझनी होगी कि अंततः, आपको उस दुष्कर व्यक्ति से अलग होना ही होगा। वो कोई सहकर्मी, मित्र, संबंधी, माता/पिता या जीवनसाथी ही क्यों न हो, साथ छोडने का समय अपने आप आ जाएगा। किसी दुष्कर व्यक्ति के साथ रहना दुष्कर ही है।
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    • यदि फिलहाल वास्तविक रूप से आप अलग नहीं हो सकते तो मानसिक रूप से खुद को अलग करें। और उस सही वक़्त का इंतज़ार करें जब आप पूर्ण रूप से संबंध-विच्छेद कर सकें।
    • अगर वो दुष्कर व्यक्ति आपका जीवनसाथी (पति या पत्नी) है और साथ रहना ही आपके लिए एकमात्र विकल्प है तो उन विषयों से बचें जब अगला अधिक दुष्कर हो जाता है। इन असंगत बातों को कभी उठाएँ ही नहीं। ऐसे लोगों से बात-चीत करने के बारे में डॉक्टरों, मनोवैज्ञानिकों या अन्य समर्थ लोगों की राय पढ़ें और उसे लागू करने की कोशिश करें। अपनी किसी रुचि या शौक को बढ़ावा दें और सकारात्मक कार्यों में व्यस्त रहें। कहते हैं न, खाली मन शैतान का अड्डा।
  6. दुष्कर व्यक्ति के लक्षणों को न ग्रहण करें: आप अनजाने ही ऐसे व्यक्ति के गुणों, या कहा जाए तो दुर्गुणों, को अपने अंदर आत्मसात करना शुरू कर सटे हैं। इसलिए हमेशा सचेत रहें कि आप वैसा ही व्यवहार तो नहीं करने लगे हैं जो अपने जीवनसाथी में आपको नापसंद है।
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  7. अपनी निजी बातों को निजी रखें: दुष्कर व्यक्ति आपके किसी भी व्यक्तिगत बात को आपके खिलाफ इस्तेमाल करने में नहीं हिचकेंगे। इसलिए उनके सामने, बहुत उकसाये जाने पर भी अपनी किसी व्यक्तिगत बात को न बोलें।
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    • दुष्कर व्यक्ति के माथे पर नहीं लिखा होता कि वो कैसा है। इसलिए आपको ये मानना होगा कि आपकी कही हुई छोटी से छोटी बात को बढ़ा-चढ़ा कर वो आपके खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। देर रात ऑफिस में अपने मित्र से बांटी गई बातों को भी आपके खिलाफ दूसरे लोगों के सामने कहा जा सकता है।
  8. सरल स्वभाव अपनाएँ: दुष्कर व्यक्ति के प्रतिकूल, सरन स्वभाव वाले बनें। अपने अंदर धैर्य, करुणा और सहनशीलता का संचार करें।
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    • हम सभी अपने आस-पास के लोगों और वातावरण से प्रभावित होते हैं। यदि आप अपने अंदर अच्छे गुण लाएँगे, अगले की बात को सहिष्णुता से सुनेंगे तो संभव है कि उस व्यक्ति में भी कुछ, रत्ती भर ही सही, बदलाव आए। यही एक आशा की किरण के सहारे आपको आगे बढ़ते जाना है।

संपादन करेंसलाह

  • प्रशंसा या आलोचना, दोनों के प्रति उदासीन रहें। यदि आप उनकी बातों से खुश हो कर फूले नहीं समाएंगे तो जल्द ही वो आपको ज़मीन पर ला कर पटक भी देंगे। इसलिए अपने को खुद की नज़रों में सुयोग्य बनाने की कोशिश करें, न की किसी और के लिए।
  • जब वह दुष्कर व्यक्ति आपसे दुर्व्यवहार करेगा या आपकी निंदा करेगा, बाकी लोग खुद आपसे सहानुभूति करने लगेंगे। आपको उसे खराब ढिकने के लिए मेहनत नहीं करना होगा। अगर वो व्यक्ति आपको गुस्सा दिला रहा है तो यकीनन बाकी लोग भी उससे चिढ़ रहे होंगे।
  • यदि वह व्यक्ति आपकी सहनशीलता की सीमा पार कर रहा है, तो लंबी लंबी साँस लें, दस तक गिनती करें और तब कोई जवाब दें। वो भी शांतिपूर्वक। जब वो देखेगा कि वह आपको भड़काने में सफल नहीं हो पा रहा है तो खुद ही शांत हो जाएगा।
  • बड़प्पन दिखाते हुए वहाँ से चले जाएँ।
  • अगर वो व्यक्ति आपके खिलाफ गलत बातें आपके पीठ पीछे कर रहा है तो लोगों के बीच में उससे साफ-साफ पूछें कि वो इस विषय में आपसे बात करना चाहता है क्या। उम्मीद रखें कि उसकी ज़बान अपने आप बंद हो जाएगी।
  • यदि आप वहाँ से जा नहीं सकते तो माहौल हल्का रखते हुए बात-चीत को अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश करें। बस इसका ध्यान रखें कि आपको कब रुक जाना है। ऐसा न हो कि आप मौका पाते ही उस पर हावी होने की कोशिश करने लगें। याद रखें कि आपका उद्देश्य खुद को मानसिक तौर पर मुक्त रखना है, न कि अगले का स्वामित्व जीतना।
  • किसी दुष्कर व्यक्ति से निपटने का सबसे अच्छा और आसान तरीका है उससे दूर रहना।
  • यदि आप उससे बच नहीं सकते तो कम से कम भूल तो सकते ही हैं। नए दोस्त बनाइये, नई-नई चीज़ें सीखिये और करिए। इस तरह आप उसके बारे में सोच-सोच कर समय बर्बाद नहीं करेंगे।
  • एक बार अलग होने के बाद उस व्यक्ति से दुबारा संबंध मत जोड़िए, भले ही वो ये कहे कि वो बदल गया है।
  • दुष्कर व्यक्तियों के आप-पास अपनी भाव-भंगिमा पर ध्यान दें। धीरे धीरे बात करें और शांतिपूर्वक चलें। आपके किसी भी हाव-भाव से आपके अंदर चल रही सही भावनाएँ प्रदर्शित नहीं होनी चाहिए। इससे आप भी शांत रहेंगे और सामने बाले पर भी कुछ सकारात्मक प्रभाव होगा।
  • दुष्कर व्यक्ति के साथ बिताया गया वक़्त आपके लिए कीमती सीख है, जिसका उपयोग आप आने वाली ज़िंदगी में कर सकते हैं। ऐसे व्यक्ति को संभालने के बाद हर व्यक्ति से बात-चीत करना आसान ही रहेगा।
  • ऐसे व्यक्ति की उपेक्षा करें। यदि कोई व्यक्ति सिर्फ आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए ही चिल्ला रहा हो तो उसे शांत करने का सबसे कारगर तरीका है उस पर ध्यान नहीं देना। जब उसे आपसे तवज्जो नहीं मिलेगी तो वो आपको अकेला छोड़ देगा।
  • एक चीज़ का हमेशा ध्यान रखें कि ऐसे लोगों को गुस्सा नहीं दिलाएँ। क्रोध में उनका व्यवहार और भी दुष्कर हो जाएगा और आप खुद परेशानी में पड़ेंगे। गुस्सा नहीं आने देना भी एक कला है और धीरे धीरे आपको यह सीखना पड़ेगा। आप अगर ये ध्यान रखें कि आपके सामने वाला व्यक्ति बीमार है और इसे आपकी सहानुभूति की ज़रूरत है तो यह करना आपके लिए आसान हो जाएगा।
  • दुष्कर व्यक्ति के साथ बहस में न पड़ें। वाद-विवाद में आपके लिए खुद पर काबू रख पाना मुश्किल हो जाएगा और आपकी सोच भी धुंधली हो जाएगी।
  • दुष्कर व्यक्ति के किसी भी बात का विरोध न करें। अपनी बात व्यक्त करने का सकारात्मक तरीका निकालें। ऐसे लोग हमेशा बहस की तलाश में रहते हैं और अगर आप उनकी बात मान लेते हैं तो तो खुद ही शांत हो जाएंगे।
  • किसी के दुर्व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करते रहना है। सही समय पर उन्हें शांतिपूर्वक समझाने का प्रयास करें कि अगर वो अपना व्यवहार बदलेंगे तो उनके लिए अच्छा होगा। उनके सामने सारे तथ्य रख दें और उन्हें निर्णय लेने दें कि क्या करना है – ऐसे ही बने रहना है या अपने स्वभाव में बदलाव लाना है। यदि आप उन पर अपना निर्णय थोपने की कोशिश करेंगे तो आपकी बात उन तक कभी नहीं पहुंचेगी। हो सकता है कि उन्हे लगे कि बदलने में ही फायदा है।
  • आपको सच्चाई का सामना करना चाहिए। हो सकता है कि अगला जान बूझ कर आपको मानसिक पीड़ा पहुंचा रहा हो। आप अन्यत्र ऐसे लोगों के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
    • ऐसे व्यक्ति के साथ दोस्ती और सहिष्णुता से पेश आयें। अगर उनका व्यवहार मात्र ध्यान आकर्षित करने के लिए है तो वो आपकी भावना का कदर करेंगे और सुधर जाएंगे। यदि वे स्वभावतः प्रताड़ित करने वाले लोगों में से हैं तो वे समझ जाएंगे कि आप पर उनका बस नहीं चलेगा और आपको फिर तंग नहीं करेंगे। हर स्थिति में प्रेम-भाव बनाए रखना आवश्यक है, भले वो मुश्किल हो।
  • दूसरों के प्रति अपने दृष्टिकोण को सही रखें। यह समझें कि आप अकेले नहीं हैं। आपको अन्य लोगों के साथ रहना है, जिनके बुद्धि या विवेक का स्टार आपसे अलग हो सकता है। किसी व्यक्ति की तालीम, हैसियत, पहनावा या पारिवारिक परिवेश उसके परिपक्वता के बारे में कुछ नहीं बता सकता। इसलिए इन मापदण्डों से उसके व्यवहार का अंदाजा मत लगाइये ।
  • किसी व्यक्ति को सही या गलत परखने की कोशिश न करें। इससे कुछ और तो हासिल नहीं होगा, आपके मन पर बोझ अवश्य पड़ेगा। आप उसके प्रति जितना कम जज्बाती हों उतना आपके लिए सही है।
  • हर व्यक्ति कभी न कभी किसी न किसी के साथ दुष्कर व्यवहार अवश्य करता है। इसलिए किसी को असामान्य कहने से पहले दस बार सोचें।
  • दुष्कर व्यक्ति के साथ रहना शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से थकाऊ है। इसलिए उनसे अलग होना शुरू में यदि आपको कठिन भी लगे तो अंततः आपको शांति और स्वतंत्रता की अनुभूति ही देगा ।
  • यह मानना आपके लिए आवश्यक है कि आप ऐसे लोगों को बदल नहीं सकते। उनके व्यवहार या बात पर आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी, आप सिर्फ वही बदल सकते हैं। इसलिए ऐसे लोगों से शांतिपूर्वक निपटने पर ध्यान दीजिये।

संपादन करेंस्त्रोत और उद्धरण

  • Cavaiola, A. C., & Lavender, N. J. (2000). Toxic co-workers: How to deal with dysfunctional people on the job. Oakland, CA: New Harbinger Publications.

  • American Psychiatric Association (1994). Diagnostic and Statistical Manual, DSM-IV-TR, 4th ed. Washington, DC: American Psychiatric Association.

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