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कैसे कृतज्ञ बनें

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कुछ लोगों में कृतज्ञता, प्रेम और सराहना की भावना बहुत अधिक होती है। जो लोग कृतज्ञता की भावना को विकसित करते हैं, वे इन भावनाओं को विकसित नहीं करने वाले लोगों से अधिक प्रसन्न और स्वस्थ होते हैं।[१]

संपादन करेंचरण

संपादन करेंदीर्घ-काल के लिए कृतज्ञ रहना

  1. कृतज्ञता का बहीखाता रखिए: स्वयं को यह याद दिलाना की आपको किस चीज़ के लिए कृतज्ञ होना है और प्रतिदिन अपनी कृतज्ञता का लेखा रखने से आपको अपनी कृतज्ञता की भावना को सुदृढ़ करने का अवसर मिलता है। इससे फर्क नहीं पड़ता है कि इस समय आपका जीवन किन कठिनाइयों से गुज़र रहा है, सदैव ही कृतज्ञ होने के लिए कोई न कोई चीज़ तो होती ही है, कृतज्ञता के लिए कोई सुनहरा अवसर। उसको खोजने से आपको अपने जीवन के अन्य पहलुओं से निबटने में सहायता मिलेगी।[२]
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    • प्रतिदिन 3-5 ऐसी चीजों की सूची बनाइये, जिनके लिए आप कृतज्ञ हों। ये चीज़ें इतनी सीधी सादी भी हो सकती हैं जैसे “सूरज चमक रहा था” या इतनी गंभीर भी हो सकती हैं जैसे “मेरे भविष्य के जीवन साथी ने आज मुझे प्रस्तावित किया”।
    • प्रतिदिन, दिन में कुछ ऐसा समय निकालिए जब आप उन चीजों के बारे में सोच सकें जिनके लिए आप सर्वाधिक कृतज्ञ हों। संभव है कि आप लेखा रखने के लिए 5 से अधिक चीजों की गिनती कर पाएँ।
    • जब आपका समय कुछ अधिक ही कठिन हो, तब मुड़ कर, पहले लिखी हुई चीजों को देखने से लाभ हो सकता है। यदि सच में बहुत ही कठिन समय हो, तब उस छोटी से छोटी चीज़ को ढूंढिए जिस के लिए आप कृतज्ञ हो सकते हैं। जैसे कि: यदि आपको कोई गंभीर बीमारी है, तब तो यह कठिन है कि आप उसके लिए कृतज्ञ होंगे, मगर आप ऐसी चीजों के लिए कृतज्ञ हो सकते हैं, जैसे कोई आपके लिए भोजन ला कर दे दे, गरम बिस्तर, आपकी बिल्ली का आपसे लिपटना आदि। यह छोटी छोटी चीज़ें, बड़े दुख (बीमारी) को अधिक सह्य बना देती हैं।
  2. पलट कर सोचिए: वे लोग जो अपने जीवन में कृतज्ञता व्यक्त करते रहते हैं, आपसे सुखद जीवन नहीं व्यतीत कर रहे हैं। वास्तव में, अनेक लोग, जो कृतज्ञता व्यक्त कर रहे हैं, वे हैं जिन्हें जीवन में अदम्य कठिनाइयां मिल चुकी हैं, मगर वे समझते हैं कि परिस्थिति ही समस्या नहीं है, अपितु आप परिस्थिति को कैसे देखते हैं उससे वह कठिन या सरल बन जाती है।
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    • सही शब्दों का उपयोग करिए। नकारात्मक भाषा का उपयोग और उसका लेबलीकरण स्थिति को और भी कठिन बना सकता है तथा तब आपके लिए आम तौर पर कृतज्ञ होना और भी मुश्किल हो जाएगा। जैसे कि: सीधे तरीके से “मुझे जो बीमारी है” कहने के स्थान पर उस पर लेबल लगा कर “मेरी भयानक बीमारी” कहने से तो वह और भी बुरी लगेगी। सीधी सादी भाषा का प्रयोग कर आप न केवल बीमारी को अपना ही एक भाग बना ले रहे हैं, अपितु उसको नकारात्मक से तटस्थ भाषा की ओर भी ले आ रहे हैं।
    • दूसरों के साथ स्वयं को भी चोट पहुंचाने से, आपकी कृतज्ञ होने की संभावना कम होती जाती है। जब आप पाते हैं कि आप स्वयं के या किसी अन्य के बारे में नकारात्मक विचार रख रहे हैं तब रुकिए और उस विचारधारा को मोड़ दीजिये। उदाहरण के लिए: आप सोचते हैं “जब बात गणित की होती है, तब तो मैं बिलकुल ही मूर्ख हूँ।“ इसके स्थान पर कहिए “मुझे गणित की इस समस्या में कठिनाई हो रही है।” इससे समस्या की पुनःसंरचना होती है तथा तब आप समस्या नहीं रह जाते हैं, आपमें और कठिनाई में संबंध टूट जाता है और तब तो इस पर आप विजय पा ही सकते हैं।
  3. ध्यान देने का अभ्यास करिए: वर्तमान में रह कर आप अपने मस्तिष्क के लिए भविष्य कि योजनाओं के संबंध में चिंता करना या अतीत की यादों में व्यस्त रहना असंभव बना देंगे। यह कृतज्ञता का अभ्यास करने का एक तरीका है, चूंकि आप स्वयं को वर्तमान में डुबा रहे हैं तथा “अभी” के महत्व को स्वीकार कर, उसके लिए कृतज्ञ भी हो रहे हैं।
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    • खाते समय ध्यान रखने का अभ्यास करिए। इसका अर्थ है, न तो किताब पढ़िया, न टी वी देखिये और न ही अपना फोन देखिये। इसके स्थान पर, आप जो भोजन अपने मुंह में रख रहे हैं, उस पर ध्यान दीजिये: क्या वह गरम है? ठंडा है? टेक्सचर क्या है? महक कैसी है? मीठा है या खट्टा है या नमकीन है?
    • जब आप टहल रहे हों तब यही करिए, या जब आप बैठे हों, तब भी। आकाश का रंग और बादलों का आकार देखिये। पेड़ पौधों के रंग रूप पर ध्यान दीजिये। अपनी नाक का प्रयोग किसी भी गंध कि उपस्थिति को जानने के लिए करिए, पेड़ों में से हो कर आती हुई हवा की ध्वनि, बच्चों के खेलने की आवाज़, बगल से निकलती हुई कारों की आवाज़ को सुनिए।
    • ध्यान देने का अभ्यास करने से आप गुजरते हुये हर लमहे में उपस्थित रह पाएंगे। यह एक ऐसी तकनीक है जो अवसाद और परेशानी जैसी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मामलों को सुलझाने में मदद कर सकती है, क्योंकि ये स्थितियाँ भविष्य के भय और अतीत की चिंताओं के कारण ही उपस्थित होती हैं।[३]
  4. साधना करने का अभ्यास करिए: साधना उन असाधारण विधियों में से एक है जो मानसिक स्वस्थ्य संबंधी मामलों से निबटने में और आम तौर पर जीवन के दुखों को झेल पाने सहायता करती हैं। यह आपकी कृतज्ञता और धन्यवाद ज्ञापन के अभ्यास को पोषित कर सकती है।
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    • किसी शांत स्थान पर जा कर प्रतिदिन 15 मिनट साधना करिए। आराम से बैठिए और गहरी सांसें लेना शुरू करिए। सांस के अंदर और बाहर होने से आपका पेट फूलेगा और पिचकेगा। अपनी साँसों पर ध्यान केन्द्रित करिए। जब भटकते हुये कोई विचार आपका ध्यान आकर्षित करने लगें, तब उनकी उपस्थिति स्वीकार करिए और फिर उन्हें जाने दीजिये। यदि आपको लगता है कि आप साधना से बहक गए हैं तब वापस अपने श्वसन पर ध्यान लगाइये।
    • यह अच्छा होगा यदि आप साधना के लिए समय की सीमा निर्धारित करने के स्थान पर साँसों की संख्या निर्धारित कर लीजिये क्योंकि तब आप लगातार घड़ी की ओर नहीं देखते रहेंगे। ऐसा कुछ कहिए “मैं 50 बार श्वसन करने तक साधना करूंगा।” यदि आप गिनती भूल जाते हैं, तब कोई बात नहीं! किसी भी स्थिति में शायद यह समापन का समय ही होगा।
  5. स्वस्थ जीवन शैली अपनाइए: कृतज्ञ होना वास्तव में एक ऐसी चीज़ है जिससे आपका स्वास्थ्य बन सकता है और वही आपको स्वस्थ बनाए भी रख सकता है। मगर कृतज्ञता की भावना को अपने लिए स्वस्थ जीवन शैली अपना कर, पूरी नींद सो कर, पानी पी कर, और ऐसे भोजन को करके जिससे आप ठीक रहें, बढ़ावा देना भी सहायक होता है।
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    • निद्रा स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण भाग है। हालांकि उन निद्रारहित, परेशानियों से भरे कठिन समय में कृतज्ञता का अभ्यास निश्चय ही प्रशंसनीय है, तथापि पूरी नींद लेने से कृतज्ञता ज्ञापन को विकसित कर पाना निश्चय ही आसान हो जाता है। रात में 11 बजे सो जाने का प्रयास करिए और उसके 30 मिनट पहले सभी इलेक्ट्रोनिक उपकरणों (कम्प्युटर, फोन, आइ पैड) बंद कर दीजिये।
    • पर्याप्त पानी पीजिए। चूंकि पानी हमारे शरीर की प्रक्रियाओं का एक महत्वपूर्ण भाग है, और सभी चीज़ें ठीक से चलती रहें यह उसको सुनिश्चित करता है। हर दिन कम से कम आठ ग्लास पानी पीने का प्रयास करिए।
    • व्यायाम करिए। व्यायाम (विशेषकर कार्डियो जैसी चीज़ें) प्रसन्नता कारक रसायन रिलीज़ करते हैं, जो आपके मनोभावों को नियंत्रित करते हैं तथा उनके कारण आपको अच्छा लगता है। प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करने का प्रयास करिए। यह बिलकुल सीधी सादी दौड़ भी हो सकती है, या संगीत के साथ 30 मिनट का नृत्य या थोड़ी सी योग साधना।
    • सुनिश्चित करिए कि आप पर्याप्त भोजन कर रहे हैं क्योंकि उससे आपका शरीर ठीक ठाक चलता रहेगा। सब्जियों और फलों का सेवन करिए (गहरे रंग का अर्थ है अधिक पोषक तत्व) जैसे साग, लाल शिमला मिर्च और केले; अच्छे कार्बोहाइड्रेट जैसे ब्राउन चावल, पूरे दाने वाले अनाज, ओट्स; सल्मोन मछली, मेवे, लीन मांस, अंडे अच्छी प्रोटीन देते हैं। यथा संभव चीनी और नमक के प्रयोग से बचिए। अपने आहार को शरीर के सबसे स्वस्थ भागों पर केन्द्रित करिए, हाँ कभी कभी बदपरहेज़ी कर सकते हैं।

संपादन करेंवर्तमान में कृतज्ञ रहिए

  1. थोड़ा रुकिए: कभी कभी वापस राह पर आने के लिए और बेहतर महसूस करने के लिए थोड़ा विराम लेने की आवश्यकता होती है। आपको उन चीजों का सृजन करना होगा जिनके लिए आप आभारी हो सकें और कभी कभी छोटी सी छुट्टी भी अच्छी हो सकती है।
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    • कार्य पर (या स्कूल आदि में) अपने भवन के चारों ओर टहलने जाइए या ताज़ी हवा लेने के लिए 15 मिनट को बाहर निकालिए। यह समय, यह सोचने में लगाइये कि आप इस छुट्टी के अवसर को प्राप्त करके, अपनी टांगों को खोलने के लिए, धूप के लिए कितने कृतज्ञ हैं।
    • कभी कभी आपको केवल छुट्टी की आवश्यकता होती है। यदि आपमें लेने की योग्यता हो, तो आपको लेनी चाहिए! एक छुट्टी या रोज़मर्रा के काम से थोड़ा अलगाव आपको अवसर देता है कि आप उनका मूल्य और अधिक समझ सकें, साथ ही यही अवसर होता है जब उन चीजों से भी निबट सकें जिनकी आप कम सराहना करते हैं।
  2. किसी को बताइये कि आप उनका मूल्य समझते हैं: अक्सर जीवन इतना व्यस्त हो जाता है कि हम लोगों को यह बताना ही भूल जाते हैं कि वे हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं, आपको पता है कि वे क्या करते हैं और आपके लिए उसका बहुत महत्व है। यदि आप उनसे आभार व्यक्त करेंगे तो लोग आपको और प्रेम से याद करेंगे। यह कृतज्ञता ज्ञापन के ऐसे वातावरण को जन्म देगा जो धीरे धीरे फैल सकता है।
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    • परिवार में कृतज्ञता की बातें करिए। उस दिन हुई उन सभी बातों पर चर्चा करने के लिए, जिन के लिए कृतज्ञ हुआ जा सकता हो, प्रतिदिन कोई समय निर्धारित कर लीजिये, जैसे रात्रि भोज। परिवार के हर सदस्य को कुछ मिनटों तक बताने दीजिये कि वो आज क्यों कृतज्ञ है।[४]
    • एक धन्यवाद का नोट भेजिये। यह वास्तव में आश्चर्यजनक है कि एक छोटा सा नोट क्या कर सकता है। धन्यवाद का नोट इस बात की स्वीकृति है कि उन्होंने आपको कुछ दिया है (समय, प्रयास, एक उपहार) जिसे देने की आवश्यकता भी नहीं थी और जो उन्होंने किया है, आप उसकी सराहना करते हैं। आपको धन्यवाद देने के लिए बड़ा सा उपन्यास लिखने की आवश्यकता नहीं है, बस केवल कुछ पंक्तियाँ जिनसे उन्हें पता चल सके कि वे और उनके उपहार (कोई चीज़, समय, प्रयास आदि) आपके लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।
  3. वापस दीजिये: कृतज्ञ होना मात्र लोगों से कृतज्ञता ज्ञापन नहीं है, वह समाज और आपके मित्रों को वापसी भी होती है। इसका अर्थ यह नहीं कि आप ऐसे वापस कर दें कि हिसाब बराबर हो जाये तथा किसी की भी कोई “देनदारी” न बचे। इस प्रकार से कृतज्ञता ज्ञापन और आभार प्रदर्शन नहीं चलता है।[५]
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    • अपने जीवन में आए उन लोगों के लिए कुछ करिए जिन्होंने आपकी मदद की हो। आपको यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि आप यह कुछ इस लिए कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने आपके लिए कुछ किया था। यह तो स्वार्थ साधने जैसा लगेगा। इसके स्थान पर जब उन्हें सहायता की आवश्यकता हो, तब आप हाथ बढ़ाइए। जैसे कि: जब सब ओर व्यस्तता हो तब अपनी बहन के घर की सफाई में मदद करना, अपनी दादी/ नानी को डॉक्टर के यहाँ दिखाने के लिए ले जाना, या अपने मित्र को घर बदलने के अवसर पर मदद करना।
    • ऐसे लोगों के लिए कुछ करिए जिन्हें आप जानते भी न हों। कभी कभी लोग ऐसा कुछ कर जाते हैं कि आप आसानी से उससे उऋण नहीं हो पाते हैं (अर्थात आप उनका आभार व्यक्त करना चाहते हैं और बताना चाहते हैं कि उसका आपके लिए कितना मूल्य था)। वैसे तो आपको धन्यवाद ज्ञापन करना ही चाहिए और उनको बताना चाहिए कि उनका कृत्य या उपहार आपके लिए कितना महत्वपूर्ण था। परंतु आप इस दयालुता को आगे भी बढ़ा सकते हैं। जैसे कि: आपके शिक्षक आपकी जो मदद करते हैं, आप वह ऋण कभी नहीं चुका सकते हैं (संस्तुति के पत्र लिखना, मेंटर बनना, आपके कार्य को पढ़ना), तो उसके स्थान पर आप उसको आगे बढ़ा दीजिये और किसी के मेंटर बन जाइए।
  4. अभिप्राय पर ध्यान केन्द्रित करिए: जब आपके लिए कोई कुछ अच्छा काम करता है – कोई उपहार लाता है, गरम खाना लाता है, आपके शोध प्रबंध को पढ़ने और संपादित करने की पेशकश करता है – तब ध्यान इस पर दीजिये कि कैसे किसी ने आपके लिए, जीवन में कुछ अच्छी चीज़ लाने का प्रयास किया है। किसी ने आपके लिए कुछ करने हेतु अपने धन और समय आदि की कुर्बानी दी है।[६]
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    • यही ध्यान रखना, कृतज्ञता के उस वातावरण को उत्पन्न करता है, जो कि आपके कृत्यों और शब्दों से दूसरों तक पहुंचता है, विशेषकर यदि आपके बच्चे हों तब।[७]
  5. केवल धन्यवाद कह दीजिये: शब्दों को आवाज़ देने से, जीवन में कृतज्ञता की भावना सुदृढ़ होती है। न केवल यह, बल्कि दूसरों को यह पता लगने में भी सहायता मिलती है कि, उन्होंने आपके लिए जो भी किया है, आप उसके लिए उनके आभारी हैं। जब आप को लग रहा हो कि सारी दुनिया ने मिल कर आपको दबा रखा है, या आप परेशानी में हों तब इसकी मदद से आप वापस राह पर आ सकते हैं।
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    • धन्यवाद शब्द का प्रयोग प्रार्थना या मंत्र की तरह करिए। आप खास चीजों के लिए आभार प्रकट कर सकते हैं या उसी शब्द को बार बार खुद से ही दोहरा सकते हैं। जैसे कि: यदि आप काम पर जाने के लिए बस में बैठे हैं, तब आप शांति से (या मन ही मन) धन्यवाद देना शुरू कर सकते हैं, आज सुबह के भोजन को, वर्षा को इसलिए कि उसने पेड़ों को सींचा है, बस को जो आपको आपके गंतव्य पर समय से पहुंचा रही है, अपनी बरसाती को जो आपको भीगने से बचाती है।
    • जिन लोगों से आप दिन भर में मिलते हैं, उन्हें भी धन्यवाद देना मत भूलिए। बरिस्ता को धन्यवाद दीजिये क्योंकि आपको उसके यहाँ कॉफी मिलती है, जो आपके लिए दरवाजा पकड़ कर खड़ा रहता है उसे धन्यवाद दीजिये, ग्राहक सेवा वाले उस व्यक्ति को धन्यवाद दीजिये जिसने आपको यह समझने में मदद की है कि आपका फोन काम क्यों नहीं कर रहा। लोगों को धन्यवाद देने से कृतज्ञता के वातावरण की उत्पत्ति होती है जिसका विस्तार दूसरे लोगों में भी हो जाता है।
    • याद रखिए कि भय और सराहना की भावनाएँ एक साथ नहीं रह सकती हैं। कृतज्ञता का विकास करके (उसको स्वर दे कर) आप क्रोध, चिंता (यहाँ तक कि पुरानी से पुरानी चिंता भी), अवसाद और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
  6. विशेष घटनाओं में कृतज्ञता खोजिए: कभी कभी जीवन में कृतज्ञ होना वास्तव में कठिन होता है। जैसे कि आपके साथी से आपका विछोह या उसका आपको खफा कर देना या जब आपको अपने काम से सचमुच में घृणा हो। तब भी, यही वे समय हैं, जब कृतज्ञता को विकसित करना और भी आवश्यक है, क्योंकि इससे से आप अपनी कठिनाइयों से नाराज़ या परेशान होने के स्थान पर उनका बेहतर मुक़ाबला कर पाएंगे।
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    • किसी कठिन या उबाऊ काम के लिए कृतज्ञता का विकास कर पाने के लिए, उस काम के बारे में अच्छी चीजों की एक सूची बनाइये: उससे आपको पैसा मिलता है जिससे भोजन और सिर पर छत मिलती है, इसी के कारण आपको बस में शहर आने का अवसर मिलता है और सुबह का सूरज देख सकते हैं, आज आपने एक बढ़िया सुस्वादु सैन्विच खाया है। आपको आभारी होने के लिए बहुत छोटी छोटी बातों से शुरुआत करनी पड़ सकती है मगर उससे आपकी मनोदशा सुधर जाएगी और जब भी आप अपनी ही नज़रों में गिरा हुआ महसूस करने लगें या अवसादग्रस्त होने लगें, तब आप वह सूची निकालिए और उसमें कुछ जोड़ना शुरू कर दीजिये।
    • किसी संबंध विच्छेद जैसी स्थिति के लिए स्वयं को दुखी होने और अवसादग्रस्त रहने का समय दीजिये (कृतज्ञ होने का यह अर्थ नहीं है कि आप उदासी और क्रोध जैसी भावनाओं को भूल ही जाएँगे, इसका अर्थ केवल यह है कि उनको अधिक काबू में रखा जा सके)। जब आप स्वयं को दुखी होने का समय दे चुकें, तब उन चीजों की सूची बनाइये जो आपने उस संबंध के कारण सीखी हों या जिनके लिए आप उस संबंध के कारण कृतज्ञ हों (आपने सीखा हो कि आप सुबह जल्दी उठने वाले व्यक्ति के साथ नहीं रहना चाहते हैं, आपने सीखा कि समझौते कैसे किए जाते हैं आदि) और फिर उस संबंध की समाप्ति पर आप कृतज्ञ हों (अब आप अपना सामान जहां चाहे वहाँ छोड़ सकते हैं, आप मूँगफली खा सकते हैं जो आप पहले अपने पिछले साथी की एलर्जी के कारण नहीं खा पाते थे, आदि)।
    • मूलतः आप अपनी आभार अभिव्यक्ति तकनीक का किसी भी परिस्थिति में उपयोग कर सकते हैं। सदैव ही कृतज्ञ होने के लिए कुछ न कुछ होता ही है, चाहे वह छोटी सी बात ही क्यों न हो (चमकता हुआ सूरज, आदि)। उन चीजों को खोज निकालना और उनको स्वीकार करना, आपको एक अधिक सम्पूर्ण एवं संतुष्ट जीवन जीने में सहायता कर सकता है।

संपादन करेंसलाह

  • एक कृतज्ञता मित्र बना लीजिये, जिसके साथ आप उन चीजों के संबंध में बात कर सकें, जिनके लिए आप कृतज्ञ हों तथा जब आप शिकायतीपन के फिसलन भरे रास्ते पर जाने लगें तब वो आपको आपके उत्तरदायित्व याद दिला सके।
  • मुस्कुराइए और सकारात्मक बने रहिए।

संपादन करेंचेतावनी

  • याद रखिए, कभी कभी आपका दिन अच्छा नहीं होगा, और आप चिड़चिड़ा रहे होंगे तथा आपको दुनिया में सबसे शिकायत होगी, मगर कोई बात नहीं। अपने को केवल इसलिए दंडित मत करिए क्योंकि आप लगातार कृतज्ञता के सागर में गोते नहीं लगा रहे हैं। यह लक्ष्य हो सकता है मगर आज तक कोई वहाँ पहुंचा नहीं है।
  • केवल इसलिए कि आपने कृतज्ञ होना सीख लिया है, इसका यह अर्थ नहीं है कि आपके साथ बुरी चीज़ें नहीं होंगी या जो भी होगा उसका आप पर असर नहीं पड़ेगा। इससे केवल चीजों से निबटने में आसानी होगी और आपके स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल असर भी नहीं पड़ेगा।

संपादन करेंस्रोत और उद्धरण


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