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कैसे पेटदर्द ठीक करें

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पेटदर्द बहुत अधिक पीड़ादायी होता है लेकिन पेटदर्द के कारण खोज कर उनका इलाज किया जाए तो इसे ठीक करना संभव होता है और यह सब घर पर भी किया जा सकता है। (How to Cure Stomach Cramps) आमतौर पर पेटदर्द के कारणों का सम्बन्ध पाचन अंगों से, एओर्टा (Aorta), अपेंडिक्स, किडनी, गालब्लैडर या स्प्लीन से होता हैं | पेटदर्द आपके शरीर में इन्फेक्शन होने पर भी उत्पन्न हो सकता है |[१] कुछ महिलाओं में उनके पीरियड्स के दौरान पेट में मरोड़ या दर्द होता है हालाँकि अधिकतर एक्सरसाइज से भी पेटदर्द (pet dard) हो सकता है | दर्द की तीव्रता से हमेशा गंभीरता का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता क्योंकि कई बार डाइजेस्टिव सिस्टम से बिना किसी हानि के गैस पास होने के कारण भी तेज़ पेटदर्द हो सकता है जबकि जीवन के लिए हानिकारक कंडीशन्स जैसे बड़ी आंत के कैंसर (colon cancer) और अपेंडिसाइटिस की प्रारंभिक अवस्था में हल्का दर्द है होता या फिर बिलकुल दर्द नहीं होता |[२]

संपादन करेंचरण

संपादन करेंहार्टबर्न/इनडाइजेशन का इलाज करें

  1. सीने की जलन (heartburn) और इनडाइजेशन (indigestion) के लक्षण को पहचानें: हालाँकि, हार्टबर्न या सीने की जलन और इनडाइजेशन या अजीर्ण दोनों अलग-अलग होते हैं लेकिन इनडाइजेशन के कारण हार्टबर्न हो सकता है | इनडाइजेशन या डिसपेप्सिया (dyspepsia) पेट के ऊपरी हिस्से में होने वाली हलकी सी परेशानी होती है जिसमे आमतौर पर पेट में भारीपन (fullness) लगता है |[३] दूसरी ओर, हार्टबर्न में ब्रैस्टबोन के बिलकुल पीछे या नीचे की ओर पीड़ादायक जलन होती है |[४] यह आमाशय (stomach) से निकलने वाले एसिड और आहारनली (esophagus- एक मस्कुलर ट्यूब जो स्टमक तक जाती है) में पड़े हुए फ़ूड के "रिफ्लक्स" के कारण होता है |
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    • इसके अलावा हार्टबर्न और इनडाइजेशन के कुछ और लक्षण भी होते हैं जैसे खाने के बाद पेट में भारीपन या फुलाव होना और/या आमतौर पर खाने के बाद ब्रैस्टबोन के नीचे जलन होना |
  2. लाइफस्टाइल में बदलाव लायें: लाइफस्टाइल में बदलाव लाने से हार्टबर्न और इनडाइजेशन से बचने और उसे ठीक करने में मदद मिल सकती है | लाइफस्टाइल में आप इस तरह से बदलाव ला सकते हैं:[५][६]
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    • अल्कोहल और कैफीन इन्टेक कम कर दें |
    • स्पाइसी, फैटी या चिकनाई वाले फूड्स कम खाएं |
    • एक बार ज्यादा खाने की बजाय कई बार थोडा-थोडा खाएं |
    • धीरे-धीरे खाएं और सोने से बिलकुल पहले न खाएं
    • अगर रात में सीने में जलन हो तो अपने पलंग के सिरहाने को ऊंचा रखें |
    • स्ट्रेस लेवल कम करें
    • नियमित एक्सरसाइज करें
    • धूम्रपान छोड़ें
    • अगर आप ओवरवेट हैं तो थोडा वज़न कम करें
    • एस्पिरिन या NSAIDs न लें | अगर इन्हें लेना ही पड़े तो भोजन के साथ लें |
  3. एन्टासिड्स (antacids) लें: आमतौर पर मिलने वाले एंटासिड्स या एसिड ब्लॉकर सीने की जलन और अजीर्ण में राहत देते हैं | इसके कई रूप बाज़ार में उपलब्ध हैं जिनमे शामिल हैं:[७][८]
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    • एंटासिड्स जैसे टुम्स (TUMS) थोड़े समय तक राहत देने के लिए अच्छे होते हैं| ये स्टमक में एसिड को न्यूट्रीलाइज कर देते हैं |
    • H2 ब्लॉकर्स जैसे ज़ेन्टेक (Zantac) या पेप्सिड (pepcid) स्टमक के एसिड प्रोडक्शन को ब्लॉक कर देते हैं और इनका प्रभाव कुछ घंटों तक बना रहता है |
    • प्रोटोन पंप इन्हिबिटर्स (proton pump inhibitors-PPIs) जो प्रिलोसेक (prilosec) और ओमेप्रजोल (omeprazole) में पाए जाते हैं, आमाशय में एसिड के प्रोडक्शन को ब्लॉक करने और उसके कारण होने वाले लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं और बार-बार होने वाले हार्टबर्न से बचाव करते हैं | PPIs को लम्बे समय तक उपयोग किया जा सकता है |
    • इनमे से कुछ एन्टासिड्स (antacids) के कारण कब्ज़ या डायरिया जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं | अपने लिए उचित विकल्प चुनने के लिए डॉक्टर या फार्मासिस्ट से सलाह लें |
  4. हर्बल/नेचुरल दवाएं लें: अगर आप हर्बल दवाएं लेना चाहते हैं तो वैकल्पिक उपचार हार्टबर्न और इनडाइजेशन से राहत देने में मदद कर सकते हैं | कुछ हर्बल दवाएं हैं:
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    • केमोमाइल (chamomile): कुछ एविडेंस दर्शाते हैं कि केमोमाइल को अन्य हर्ब्स के साथ कॉम्बिनेशन के रूप उपयोग करने से पेट की खराबी में बहुत अच्छे रिजल्ट्स मिलते हैं |[९] अगर आप खून को पतला करने वाली दवाएं (anticoagulants) लेते हैं तो केमोमाइल का उपयोग न करें अन्यथा ये इन दवाओं के प्रति प्रतिक्रिया कर सकती है |
    • पेपरमिंट ऑइल: पेपरमिंट ऑइल के कैप्सूल का उपयोग आमतौर पर इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम (IBS) में किया जा सकता है | कुछ स्टडीज के अनुसार, काले जीरे के ऑइल (caraway oil) के साथ पेपरमिंट ऑइल का उपयोग करने से इनडाइजेशन में बहुत लाभ मिलता है |[१०]
    • डिग्लाइसिराइजिनेटेड लिकोरिस (Deglycyrrhizinated licoris or DGL): कई स्टडीज में पाया गया है कि लिकोरिस या मुलेठी की जड़ पाचन और हार्टबर्न को ठीक करने में मदद करती है | परन्तु इसके कारण ब्लड प्रेशर भी बढ़ सकता है |[११]

संपादन करेंगैस का इलाज करें

  1. गैस की स्थिति को पहचानें: अक्सर, गैस की वजह से पेटदर्द होता है और पेट भरा हुआ लगता है | गैस होने पर जो लक्षण अनुभव किये जाते हैं उनमे शामिल हैं; बार-बार डकार आना और पेट में फुलाव होना (flatulence) | गैस के कारण भी पेट में मरोड़ हो सकती है और साथ ही पेट में कठोरता (tightness) या गाँठ (knotted) अनुभव हो सकती है |[१२]
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  2. लाइफस्टाइल में बदलाव लायें: लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर गैस से बचा जा सकता है और गैस की स्थिति को ठीक भी किया जा सकता है | इसके लिए जीवनशैली में जो परिवर्तन किये जा सकते हैं, उनमें शामिल हैं:[१३][१४]
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    • जितना हो सके, पानी ज्यादा से ज्यादा पिए और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स कम से कम लें |
    • लेग्युम्स, ब्रोकॉली और पत्तगोभी जैसी सब्जियां न खाएं क्योंकि इनसे अधिक गैस बन सकती है |
    • हाई-फैट फूड्स न खाएं।
    • खाने के दौरान वायु निगलने से बचने के लिए धीरे-धीरे खाएं।
  3. फ़ूड इनटॉलेरेंस (food intolerance) पर ध्यान दें: ऐसे फूड्स न लें जिनको खाने से आपको परेशानी हो | उदाहरण के लिए, जिन लोगों को लेक्टोस इनटॉलेरेंस होता है उन्हें मिल्क और डेरी प्रोडक्ट्स के कारण मरोड़ और पेटदर्द हो सकता है |[१५]
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  4. बाजार में मिलने वाली दवाएं लें: आमतौर पर मिलने वाले सिमेथिकोन (simethicone) युक्त प्रोडक्ट्स आसानी से गैस को डकार के रूप में बाहर निकालने में मदद करते हैं | अगर आप लेक्टोस इनटोलारेंट हैं तो डाइजेस्टिव एंजाइम्स फायदेमंद साबित हो सकते हैं जैसे; बेअनो (beano) जो बीन्स और वेजिटेबल्स को पचाने में मदद कर सकता है |[१६]
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संपादन करेंकब्ज़ का इलाज करें (kabj ka ilaz)

  1. कब्ज़ दूर करने पर ध्यान दें: कब्ज़ के कारण भी पेटदर्द हो सकता है | कब्ज़ के चिन्हों में शामिल हैं; सप्ताह में तीन बार से कम मलत्याग होना, स्टूल (stool) पास करने में परेशानी या हार्ड और ड्राई स्टूल होना |[१७]
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  2. लाइफस्टाइल में बदलाव लायें: लाइफस्टाइल में बदलाव लाने से कब्ज़ से बचाव भी होता है और कब्ज़ से निजात भी पाई जा सकती है | कुछ इस तरह से आप लाइफस्टाइल में बदलाव ला सकते हैं:[१८][१९]
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    • अपनी डाइट में पर्याप्त फाइबर शामिल करें | फ्रूट्स, वेजिटेबल और अनाजों में फाइबर की प्रचुर मात्रा पायी जाती है |
    • खूब पानी पियें (कम से कम 8 से 13 गिलास प्रतिदिन)
    • नियमित एक्सरसाइज करें |
  3. इफेक्टिव मेडिकेशन लें: बाज़ार में कई तरह के लैक्सेटिव्स (Laxatives) और फाइबर सप्लीमेंट्स मिलते हैं लेकिन इनमे से कई लैक्सेटिव्स के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं | कब्ज़ से निजात पाने के लिए इनमे से उचित लैक्सेटिव या फाइबर सप्लीमेंट का चयन करें | याद रखें कि लैक्सेटिव्स लम्बे समय तक उपयोग नहीं किये जाते |[२०]
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    • मिनरल ऑयल्स जैसे लुब्रिकेंट्स स्टूल (stool) को आसानी से निकालने में मदद करते हैं |
    • डोकुसैट (docusate) जैसे स्टूल सोफ्टनर्स (stool softners) से स्टूल सॉफ्ट हो जाता है | ये ऐसे पेशेंट्स के लिए बहुत अच्छा होता है जो ऐसी दवाओं का सेवन कर रहे हों जिनके कारण कब्ज़ होता है |
    • इसबगोल (psyllium) जैसे बल्क-फोर्मिंग (bulk-forming) लैक्सेटिव्स से स्टूल (stool) बल्क में निकलता है |
    • बिसाकोडायल (bisacodyl) जैसे स्टिमुलेंट लैक्सेटिव्स के कारण आँतों की भित्ति (intestinal wall)की मसल्स में संकुचन हो जाता है जिससे स्टूल को आगे पुश करने में मदद मिलती है लेकिन लम्बे समय तक इनका उपयोग करते रहने से आँतों की भित्ति डैमेज भी हो सकती हैं
    • सेलाइन लैक्सेटिव्स या पॉलीईथीलीन ग्लाइकोल (polyethylene glycol) जैसे ओस्मोटिक लैक्सेटिव्स के कारण पानी आहारनली (GI Tract) में पहुँच जाता है जिससे स्टूल पास करना आसान हो जाता है | लेकिन इनके कारण इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस हो सकता है |
    • मेटामुसिल (metamucil) जैसे फाइबर सप्लीमेंट्स पानी को अवशोषित करने और रेगुलारिटी मेन्टेन करने में मदद करते हैं |
  4. हर्बल उपचार आजमायें: वैकल्पिक उपचार कब्ज़ से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं | फ्लेक्ससीड बहुत ही कॉमन हर्बल औषधि है | इसमें घुलनशील फाइबर होते हैं जो कब्ज़ से निजात दिलाने में मदद कर सकते हैं |[२१]
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संपादन करेंपीरियड्स के दौरान होने वाले पेटदर्द का इलाज करें

  1. अपने पीरियड्स और पेटदर्द के बीच को-रिलेशन को समझें: महिलाओं में पीरियड्स के दौरान पेट के निचले हिस्से में होने वाले दर्द को आमतौर पर पीरियड शुरू होने के बिलकुल पहले/या पीरियड्स के दौरान अनुभव किया जाता है | कभी-कभी ये दर्द काफी गंभीर हो सकते हैं और एंडोमेट्रीओसिस (Endometroisis) या यूटेराइन फिब्रोइड्स (uterine fibroids) होने का संकेत दे सकते हैं |
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  2. लाइफस्टाइल में बदलाव लायें: पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में, कुछ लाइफस्टाइल चेंज जैसे एक्सरसाइज, स्ट्रेस मैनेजमेंट, और तंबाकू और अल्कोहल छोड़ने के द्वारा भी राहत पाई जा सकती है | इसके अलावा, स्टडीज़ में पाया गया है कि विटामिन E, ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, विटामिन B-6 और मैग्नीशियम सप्लीमेंट भी पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को कम कर सकते हैं |[२२]
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  3. दवाएं लें: अगर आपको पीरियड्स के दौरान दर्द होते ही हैं तो आइबूप्रोफेन (ibuprofen) जैसी दर्दनिवारक दवाएं, पीरियड शुरू होने के एक दिन पहले से रेगुलर डोज़ में लेने से दर्द में आराम पाया जा सकता है | आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार दो या तीन दिन तक या दर्द बंद होने तक लगातार दवाएं ले सकते हैं | अगत दर्द सीवियर है तो डॉक्टर बर्थ कण्ट्रोल पिल्स भी प्रेस्क्रिब कर सकते हैं जिनसे तेज़ दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है |[२३]
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  4. हर्बल तरीके आजमायें: कुछ स्टडीज़ में पाया गया है कि एक्यूपंक्चर (अपनी स्किन के एक विशेष पॉइंट में पतली नीडल डालने) के द्वारा पीरियड्स में होने वाले पेटदर्द में काफी आराम पाया जा सकता है | साथ ही, कुछ हर्ब्स जैसे सौंफ भी दर्द दूर करने में मदद कर सकती हैं |[२४]
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संपादन करेंस्टमक फ्लू (stomach flu) का इलाज करें

  1. अन्य फ्लू जैसे लक्षणों पर नज़र रखें: गेस्ट्रोएंटराइटिस या “स्टमक बग” (stomach bug) के कारण गंभीर दर्द हो सकता है | आमतौर पर इसके साथ मितली, उलटी, डायरिया और फीवर होते हैं |[२५]
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  2. हाइड्रेटेड रहें: गेस्ट्रोएंटराइटिस के साथ डिहाइड्रेशन होना आम बात है इसलिए पानी और पतले स्पोर्ट्स ड्रिंक्स (चूँकि जो स्पोर्ट्स ड्रिंक्स पतले नही होते उनमे बहुत अधिक चीनी मिली होती है) जैसे तरल पर्याप्त मात्रा में पियें | इन्हें बार-बार घूँट-घूँट करके पियें |[२६]
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    • डिहाइड्रेशन के चिन्हों में शामिल हैं: डार्क यूरिन, चक्कर, मसल्स क्रेम्प, थकान और मुंह सूखना | अगर तरल लेने के बाद भी आपकी स्थिति न सुधरे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ |[२७]
  3. अपने पेट को सेटल होने दें: पेटदर्द के अलावा गेस्ट्रोएंटराइटिस में मितली और उल्टियाँ भी होती हैं | अब अपने पेट को सेटल होने दें और फिर धीरे-धीरे आसानी से पचने योग्य और पिसे हुए फूड्स खाना शुरू करें | आमतौर पर फूड्स जैसे क्रैकर, टोस्ट, केला, और चावल आसानी से पच जाते हैं | कुछ दिनों तक स्पाइसी और फैटी फूड्स, डेरी प्रोडक्ट्स, कैफीन और अल्कोहल लेने से बचें |[२८]
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  4. पर्याप्त आराम करें: जल्दी रिकवर होने के लिए आराम बहुत जरुरी होता है | रेस्ट आपके इम्यून सिस्टम को शक्ति देता है जिससे आपकी सेहत सुधरती है |
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  5. अधिकतर अपने हाथ धोएं: अगर किसी फैमिली मेम्बर या सहकर्मी को “स्टमक फ्लू” हो तो हाथ बार-बार धोने पर ध्यान दें जिससे इन्फेक्शन फैलने बचे रहेंगे |
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संपादन करेंपरेशानी में आराम पाने के लिए अन्य तकनीकों का उपयोग करें

  1. ब्रीथिंग तकनीक का उपयोग करें: ब्रीथिंग एक रिलैक्सिंग तकनीक हैं और इससे आपके हलके दर्द से आपका ध्यान हट सकता है | आप ऐसा कोई और काम भी कर सकते हैं जिससे आपका ध्यान दर्द से दूर हो जैसे टेलीविज़न शो देखें |
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    • अपनी ब्रीथिंग या श्वसन पर फोकस करें | तेज़ और गहरी सांस लें, और एक-दो की लय का पालन करें (तेज़ी से सांस भरें और तेज़ी से सांस छोड़ें) |
  2. विशेषरूप के पेय पदार्थों से दूर रहें: अल्कोहल या अन्य कैफीनयुक्त या कार्बोनेटेड पेय पदार्थ पीने से पेटदर्द हो सकता है | केवल पानी या साफ़ तरल पियें |[२९]
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  3. दर्द दूर भगाने के लिए एक्सरसाइज करें: अपने घर या बगीचे के आस-पास टहलें | इससे तब मदद मिल सकती है जब आपको बैठने या लेटने पर आराम न मिल रहा हो |
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    • एक्सरसाइज से होने वाली परेशानी के कारण पेटदर्द अनुभव होने पर पेट की एक्सरसाइज करने से बचना चाहिए क्योंकि अगर आप खुद को बहुत कठोरता से पुश करते हैं तो क्रेम्प्स या मरोड़ एक्सरसाइज के कारण भी हो सकती है इसलिए अपनी एक्सरसाइज लिमिट को पहचानें |
  4. योग आजमायें: कुछ प्रमाण दर्शाते हैं कि योग इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम जैसी पेट की परेशानियों में मदद कर सकता है |[३०] अगर आपको योग करना आता है तो कुछ पोज़ करने पर विचार करें जो उदर भाग (एब्डोमिनल रीजन) को खोलें | मरोड़ (cramps) होने वाली जगह के आधार पर फिश पोज़ या रेक्लिनिंग हीरो (reclining hero) पोज़ करने पर विचार करें | डाउनवर्ड फेसिंग डॉग पोज़ भी मददगार साबित हो सकता है |
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    • अगर आपकी मरोड़ प्रकृति में मस्कुलर हो तो पेट की मांसपेशियों की एक्सरसाइज न करें और कोबरा पोज़ या भुजंगासन करें जिससे पेट की मांसपेशियां स्ट्रेच हों | ऐसी कोई भी पोजीशन जिसमे आप चेहरे को सामने की ओर लाकर छत की ओर देखते हैं उनसे एब्डोमिनल टेंशन बहुत कम हो जाती है |
  5. हीटिंग पैड का उपयोग करें: टेम्पररी रिलीफ के लिए अपने पेट पर हीटिंग पैड, हीटिड वीट बैग या हॉट वाटर बोतल रखें | हालाँकि कुछ लोग सलाह देते हैं कि हीटिंग पैड लगाने से अगर मितली होने लगे तो ऐसा नहीं करना चाहिए लेकिन अन्य इसके उपयोग को उचित बताते हैं | इसलिए हीट लगाने पर अपने शरीर पर होने वाली प्रतिक्रिया और अपने बुद्धि विवेक के अनुसार जो विधि आपकी जरूरत पर खरी उतरे, उसे अपनाएं |
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  6. गैस पास करें या पाद निकालें: खुद को पादने से न रोकें | अगर आपके कार्यस्थल या अन्य कोई जगह पर जहाँ पादना अनुचित या शर्मिंदगी देने वाला हो वहां से हटें और रेस्टरूम जाकर गैस निकालें | आपको खुद को ब्लोटेड या पेट में गैस भरने नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे मरोड़ या दर्द होगा और गैस भरे रहने से यह दर्द और अधिक गंभीर और पीड़ादायक बन जायेगा |
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  7. गर्म पानी में स्नान करें: गर्म पानी में नहाने से पेटदर्द में थोडा आराम मिल सकता है | पानी बहुत गर्म न लें, सहन करने योग्य ही उपयोग करें |
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संपादन करेंडॉक्टर से संपर्क करें

  1. जाने कि डॉक्टर तुरंत कब दिखाना है: पेटदर्द कई विभिन्न परेशानियों का लक्षण होता है और उनमे से कुछ गंभीर भी होते हैं जैसे पेप्टिक अलसर, पैंक्रियाटाइटिस, अपेंडिसाइटिस, ऑटोइम्यून डिजीज, गालब्लैडर की परेशानियाँ, कैंसर और अन्य | आमतौर पर पेटदर्द में तुरंत चिकित्सीय परामर्श की जरूरत होती हैं जब:[३१]
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    • आपको अचानक और तेज़ पेटदर्द हो या आपको छाती, गर्दन या कंधे में दर्द हो |
    • अगर आपको उलटी में खून आये या पखाने में खून आये |
    • आपका पेट सख्त हो जाए और छोने पर दर्द करे
    • आप अपनी आँतों को हिला नहीं पा रहे हों और उल्टियाँ भी हो रही हो
  2. जानें कि सीने में जलन/अजीर्ण होने पर चिकित्सीय परामर्श की जरूरत कब होती है: हालाँकि ये कंडीशन बहुत कम होती है और आमतौर पर मिलने वाली दवाओं से ठीक हो सकती हैं लेकिन फिर भी आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए:[३२][३३]
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    • अगर आपके लक्षण ज्यादा दिनों तक बने रहें या दवाओं से कोई फायदा न हो
    • आपका वज़न कम होता जाये जबकि आपने वज़न कम करने की कोई कोशिश न की हो
    • आपको अचानक या गम्भीर दर्द हो | अगर आपको तेज़ मरोड़ या ऐंठन हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें |
    • अगर आपको निगलने में परेशानी हो
    • आपकी स्किन और आँखें पीली दिखाई दें
    • अगर आपको खून की उलटी हो या रक्त युक्त डार्क स्टूल हो |
    • आपका मल पीसी हुई कॉफ़ी के समान दिखाई दे |
  3. जानें कि आपके पेट के इन्फेक्शन (Gastroentritis) में चिकित्सीय देखभाल की जरूरत कब होगी: “स्टमक फ्लू” के साथ सम्बन्धित अन्य लक्षणों के कारण ऐसी स्थिति बन सकती है जिसमे चिकित्सीय परामर्श लेना जरुरी हो सकता है | ये परिस्थितियां हैं:[३४]
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    • जब आपको दो दिन से अधिक समय तक उल्टियाँ होती रहें
    • कई दिनों तक डायरिया बना रहे या मल के साथ रक्त आता रहे
    • आपको लगातार 101डिग्री फेरनहाइट तक या उससे ज्यादा हाई फीवर हो
    • आपको खड़े होने पर चक्कर, बेहोशी या भ्रम हो
  4. डॉक्टर को दिखाने से पहले विशेष दवाएं लेने से बचें: जब या अगर आप डॉक्टर को दिखाने के बारे में निर्णय लें तो एस्पिरिन, आइबूप्रोफेन (ibuprofen) और अन्य एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं या नारकोटिक पैन मेडिकेशन तब तक न लें जब तक डॉक्टर आपको देखने के बाद खुद इन्हें प्रेस्क्रिब न करें | ये पेटदर्द को और बढ़ा सकती हैं |[३५]
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    • अगर आपको मालूम है कि आपके पेटदर्द का कारण मासिकधर्म है तो आप एंटी-इंफ्लेमेटरी ले सकती हैं |[३६]
    • अगर डॉक्टर वेरीफाई कर दें कि आपके पेटदर्द का सम्बन्ध लीवर से नहीं है तो एसिटामिनोफेन (acetaminophen) ली जा सकती है |[३७]

संपादन करेंसलाह

  • स्पाइसी फूड्स न खाएं |
  • अगर वास्तव में बहुत ज्यादा पेटदर्द न हो तो दवाएं न लें |
  • सीधे बैठें और पीठ के बल सीधे सोते समय अपनी पीठ के पीछे तकिया रखें जिससे पीठ थोड़ी ऊंची रहे |
  • सीधे बैठें (एक तरफ झुककर नहीं) और एक हॉट पैक में साफ़ गर्म पानी भरें और अपने पैर ऊंचे उठाकर रखें |
  • उन सारी संभावनाओं पर नज़र रखें जिनसे ऐसी कंडीशन या डिजीज हो सकती है जो पेटदर्द का कारण बने | पेटदर्द का कारण बनने वाली कुछ कंडीशन या डिजीज में शामिल हैं; क्रोहन्स डिजीज, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS), डाइवर्टिकुलाइटिस, बाउल ओब्स्ट्रक्शन, पैंक्रियाटाइटिस, अल्सरेटिव कोलाइटिस, यूरिनरी इन्फेक्शन, कैंसर, और हर्निया |[३८] अगर परेशानी बहुत ज्यादा हो तो डॉक्टर से सलाह लें और मेडिकल टेस्टिंग और ट्रीटमेंट के बारे में जानें |
  • सोते समय मेमोरी फोम पिलो का उपयोग करें जिसे आप बिलकुल सीधे सो सकें |

संपादन करेंचेतावनी

  • पॉइजनिंग (poisoning) जिसमे कुछ जानवर और इंसेक्ट्स के काटने से होने वाली पाइजनिंग शामिल है, के कारण गंभीर रूप से पेटदर्द हो सकता है | अगर आपको दंश लगा है या आप जहरीले केमिकल के संपर्क में आ गये हो तो तुरंत पाइजन कण्ट्रोल सेंटर में कॉल करें और उनके निर्देशों का पालन करें |
  • यह आर्टिकल आपको जानकारी तो देता है लेकिन चिकित्सीय सलाह नहीं | इसलिए अगर आपको अपने पेटदर्द के इलाज़ के बारे में या उसे पहचानने में संदेह हो तो डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए |

संपादन करेंस्रोत और उद्धरण


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