आपने भी उन जिम मीम्स के बारे में सुना होगा "फ्रेंड्स कभी फ्रेंड्स को लेग डे मिस नहीं करने देते।" शायद आपने अभी-अभी लेग मसल्स बनाना शुरू किया हो या आपने अपने पैरों के ऊपर ध्यान दिया हो और अब आप अपने पैरों की स्ट्रेंथ को बढ़ाने की एक्सर्साइज़ को अपने मौजूदा वर्कआउट में शामिल करना चाह रहे हैं। आपके फिटनेस लेवल के हिसाब से, लेग वर्कआउट तैयार करने के बहुत सारे तरीके मौजूद हैं।
संपादन करेंचरण
संपादन करेंअपने लिए बेस्ट वर्कआउट तैयार करना
- अपने समय की प्रतिबद्धता निर्धारित करें: आप नियमित रूप से हर हफ्ते कितने वक़्त तक लेग वर्कआउट कर सकते हैं? आपका मौजूदा वर्कआउट टाइम, ये जानने में आपकी मदद करेगा, कि कौन सा लेग वर्कआउट आपके लिए सबसे ज्यादा इफेक्टिव होगा। एक सॉलिड, निरंतर रूप से 15 मिनट के लिए किए हुए वर्कआउट से आपको लगभग 30-मिनट या 1 घंटे के वर्कआउट जितने अच्छे रिजल्ट्स ही मिलते हैं।
- आपके लिए मौजूद जिम इक्विपमेंट्स के टाइप के बारे में विचार करें: आप अपने लिए लेग वर्कआउट प्लान तैयार करें, इसके पहले एक बार विचार करें, कि आपको ट्रेडमील और जिम की और दूसरी मशीन्स पर एक्सेस प्राप्त है या नहीं या फिर आप आपके घर पर ही सिंपल वर्कआउट सेटअप के ऊपर काम करने वाले हैं। फ्री वेट्स और एक एक्सर्साइज़ मैट जैसे इक्विपमेंट्स, अगर आपके पास नहीं हैं, तो इन्हें खरीदना, एक जिम मेम्बरशिप लेने के वैकल्पिक तौर पर सस्ता पड़ता है। और ऐसी और भी कई लेग एक्सर्साइज़ मौजूद हैं, जिन्हें करने के लिए आपको जिम इक्विपमेंट्स की जरूरत ही नहीं पड़ती।[१]
- तय करें कि आप कितनी लेग स्ट्रेंथ बिल्ड करना चाहते हैं: आप अगर एक एथलीट हैं, मसल स्ट्रेंथ बिल्ड करना चाहते हैं, तो आपका वर्कआउट ज्यादा इंटेन्स और हाइ-इम्पैक्ट वाला होगा। आप अगर बेसिक स्ट्रेंथ एक्सर्साइज़ के जरिए अपने पैरों को टोन और शेप देना चाहते हैं, तो आपका वर्कआउट जरा कम इंटेन्स हो सकता है। इसके साथ ही, अगर आप किसी खास मसल को टार्गेट करना चाह रहे हैं (मान लीजिये, कि आपके बट या आपकी थाईस), तो सुनिश्चित करें, कि आप एक ऐसी एक्सर्साइज़ शामिल कर रहे हैं, जो इन खास मसल्स को टार्गेट करती हों।
- एक बात का ध्यान रखें, कि पुरुष और महिलाओं का शारीरिक गठन बायोलोजिकली अलग होता है, तो इसलिए हर एक जेंडर के मसल भी प्राकृतिक ढंग से अलग ही तरह से बनेंगे। एक पुरानी बड़ी गलत धारणा ये है, कि महिलाएं अगर बहुत सारी लेग एक्सर्साइज़ करती हैं, तो उनके पैर बहुत भरे-भरे और भारी हो जाते हैं। असल में, टेस्टोस्टेरोन (testosterone) की कमी के कारण महिलाओं में बड़ी मसल्स का निर्माण नहीं हो पता है।[२] इसलिए, अपने फिजिकल बिल्ड और जेंडर को ध्यान में रखें और अपने द्वारा चुने हुए वर्कआउट प्लान के हिसाब से एक पाने योग्य, हैल्दी लक्ष्य तैयार करें।
संपादन करेंअपना वर्कआउट प्लान बनाना
- वार्म अप के साथ शुरुआत करें: अगर हो सके तो, किसी भी वर्कआउट की शुरुआत में हमेशा 5 से 10 मिनट का कार्डियो और/या स्ट्रेचिंग वार्म अप जरूर शामिल करें। किसी भी तरह का वार्म अप, फिर चाहे वो ट्रेडमील पर चलना या फिर बाहर निकलकर जॉगिंग या रनिंग करना, ये आपको लेग वर्कआउट करने के लिए मेंटली और फिजिकली तैयार होने में मदद कर सकता है। हफ्ते में दो बार रनिंग करना या जॉगिंग करना भी आपके पैरों की फैट को बर्न करने में और एक अच्छा आकार देने में मदद कर सकती है।[३] इसके साथ ही, वार्म अप करने से आपके पैरों के मसल्स को हीट देने में मदद मिलती है और साथ ही ये आपको ज्यादा डीप फ्लेक्सिबिलिटी और मोशन की रेंज भी देती है।[४] ध्यान रखें, कभी भी कोल्ड मसल्स पर वर्कआउट या स्ट्रेच न करें, क्योंकि इसकी वजह से आपको कोई गंभीर चोट भी पहुँच सकती है।
- पहले बेसिक्स से शुरुआत करें और उन्हें ही कस्टमाइज करें: स्क्वेट्स (squats), लंजेज़ (lunges), डेडलिफ्ट्स (deadlifts), और काफ़ रेजेज़ (calf raises) जैसी बेसिक एक्सर्साइज़ पैरों की मसल्स पर बहुत इफेक्टिव तरीके से काम करती हैं।[५] हालाँकि, इन बेसिक एक्सर्साइज़ के लिए ऐसे बहुत सारे बदलाव मौजूद हैं, जिन्हें आप सिर्फ आपके बॉडी वेट्स या बारबेल्स और/या फ्री वेट्स का इस्तेमाल करके, आज़मा सकते हैं[६] ज़्यादातर एक्सर्साइज़ खास मसल्स (ग्लूट्स, क्वेड्स, हैमस्ट्रिंग्स, काल्व्स) पर टार्गेट करती हैं, अच्छे रिजल्ट्स पाने के लिए, एक ऐसा मिला-जुला प्रोग्राम तैयार करें, जो अलग-अलग मसल्स को टार्गेट कर सके।[७]
- अपने बॉडी वेट का इस्तेमाल करते हुए बेसिक स्क्वेट्स करना, किसी भी लेग वर्कआउट के लिए एक अच्छी शुरुआत हो सकता है।[८] एक बेसिक स्क्वेट्स से आप जंप स्क्वेट्स (jump squats),[९] split squats,[१०] और बारबेल स्क्वेट्स तक जा सकते हैं।[११]
- लंजेज़ (Lunges करना भी भी आपके क्वेड मसल्स को टोन करने का एक बेहतर तरीका होता है। स्केटर लंजेज़ (skater lunges)[१२], बारबेल के साथ कर्टसी लंजेज़ (curtsey lunges)[१३], और थ्री वे लंज एक (three way lunge) करके देखें।[१४]
- डेडलिफ्ट्स को भी आपके अपने बॉडी वेट के साथ या फ्री वेट के साथ किया जा सकता है। पुष्टि कर लें, कि आपके वर्कआउट प्लान में अलग तरह की डेडलिफ्ट्स शामिल हों, जिसमें लेग डेडलिफ्ट्स (leg deadlifts)[१५], सिंगल लेग डेडलिफ्ट्स[१६], और डेडलिफ्ट्स स्क्वेट्स (deadlift squats) शामिल हों।[१७]
- काफ़ रेजेज़ बहुत सिंपल, लेकिन इफेक्टिव होते हैं। आप इन्हें सीढ़ियों के नीचे वाले स्टेप पर[१८], एक चेयर की मदद से कर सकते हैं[१९], या फिर अगर आपके पास में स्टेप मशीन वाला जिम इक्विपमेंट हो, तो उसे इस्तेमाल कर सकते हैं।
- ब्रिजेस (bridges) और लाईंग हिप एडक्शन (lying hip adductions) जैसी अलग-अलग इनर और आउटर थाई एक्सर्साइज़ करके देखें।
- नियमित रहें: ये तो आपको बहुत सुनी हुई सी बात लग रही होगी, लेकिन नियमित रहना, स्ट्रॉंग मसल्स बनाने का बेस्ट तरीका है। हर एक एक्सर्साइज़ को एक सेट में करें, हर एक्सर्साइज़ के कम सेट्स से शुरुआत करें और धीरे-धरे खुद को और ज्यादा सेट्स कर सकने के लिए तैयार कर लें।[२०] आपको अपनी मसल्स को रेस्ट करने का टाइम भी देना है, इसलिए लेग एक्सर्साइज़ को हफ्ते के अलग-अलग (लेकिन लगातार नहीं) दिनों पर करने की कोशिश करें। सावधान रहें, अपनी बॉडी पर कभी भी ओवरवर्क न करें या न ही इसे ओवरट्रेन करें।[२१]
- अच्छा फॉर्म (मुद्रा) बनाए रखें: अच्छे रिजल्ट्स अक्सर क्वालिटी से मिलते हैं, न कि क्वांटिटी से। अपनी पीठ को स्ट्रेट रखने के ऊपर ध्यान रखें और अपने लेग मसल्स को बहुत ज्यादा भी न फैलाएँ, नहीं तो आपको चोट भी लग सकती है। वर्कआउट के दौरान, अपने पॉस्चर और आपके फॉर्म को चेक करने के लिए, एक आईने का इस्तेमाल करें।[२२]
- टाइम के साथ, अपनी प्रोग्रेस को भी चेक करते रहें और इसे मोड़िफ़ाई करें: एक वर्कआउट नोटबुक में या फिर आपके कंप्यूटर या फोन पर मौजूद फिटनेस ट्रेकिंग एप के जरिये अपनी प्रोग्रेस पर नजर रखें।[२३] अपने मौजूदा वर्कआउट प्लान को एडजस्ट करने और उसी में कुछ एड करने का विचार करें। हो सकता है, कि आप किसी एक ही एक्सर्साइज़ पर अटके रहें और रिजल्ट्स पाने की उम्मीद लगाने लगें और ऐसा सोचें कि आप किसी एक विशेष एक्सर्साइज़ के सेट्स नंबर को बढ़ा सकते हैं या फिर आप बारबेल या डंबल की मदद से कुछ और ज्यादा इंटेन्स एक्सर्साइज़ करने का सोचें।[२४]
- वर्कआउट के बाद हमेशा अपने मसल्स को स्ट्रेच जरूर किया करें: स्ट्रेचिंग किसी भी तरह की चोट से बचाएगी, ब्लड सर्क्युलेशन बढ़ाएगी और मसल्स की थकान में भी मदद करेगी। ये आपके वर्कआउट का एक ऐसा जरूरी स्टेप है, जिसे आपको कभी नहीं भूलना चाहिए।[२५]
- अपने मसल्स को प्रोपरली स्ट्रेच करें, अपने मेजर मसल ग्रुप (काल्व, थाई, हिप्स, लोअर बैक) पर ध्यान दें और किसी भी एक साइड की हुई स्ट्रेच को हमेशा अपनी बॉडी के दोनों हिस्सों (या पैरों) पर करते हुए अपने बॉडी के दोनों साइड्स को स्ट्रेच किया करें।[२६]
- स्मूद मोशन में स्ट्रेच करें। स्ट्रेच करते वक़्त कभी बाउन्स न किया करें, क्योंकि इसकी वजह से आपको चोट लग सकती है। ध्यान रखें कि आप स्ट्रेच करते वक़्त साँसें ले रहे हैं और हर एक स्ट्रेच को कम से कम 30-60 सेकंड के लिए होल्ड भी करें।[२७]
- स्ट्रेच को कितनी देर तक और किस हद तक बनाए रखे जाने का एक सिंपल सा नियम ये है: थोड़ा सा डिसकंफ़र्ट होना ठीक है, लेकिन आपको कभी भी दर्द महसूस नहीं होना चाहिए। जब आपकी मसल्स धीरे से रिलीज होंगी, तब आपको ज़रा सा तनाव का अहसास होगा, लेकिन अगर आपको किसी भी तरह का दर्द या चोट का अहसास हो रहा हो, तो फिर इसे यहीं रोक कर अपने लिए कम्फ़र्टेबल स्ट्रेच की तलाश करें।[२८]
- मसल बनाने के लिए हैल्दी खाएं: नियमित रूप से वर्कआउट करने का संकल्प लेने के बाद, रोजाना अच्छी खुराक से आपको विटामिन, मिनरल्स, और न्यूट्रीएंट्स की अच्छी मात्रा मिल रहे होने की पुष्टि होगी। एक बेलेंस्ड डाइट का मतलब ये भी है, कि आपके पास अपने वर्कआउट प्लान को पूरा करने के लिए भरपूर एनर्जी रहेगी, आपकी बॉडी को टोन और मजबूत करने के लिए जरूरी ताकत रहेगी।
- बैलेंस रखना बेहद जरूरी है। सारे फूड ग्रुप — अनाज, प्रोटीन से भरपूर भोजन, सब्जियाँ और फल लेने की पूरी कोशिश करें। अपने शरीर की आवाज सुनें, और जब भी आपको भूख लगे, कुछ जरूर खाएँ। जब आपको संतुष्टि मिल जाए, तब खाना बंद कर दें।[२९]
- अलग-अलग चीज़ें खाकर देखें। हर फूड ग्रुप के अलग-अलग फूड्स खाने का लक्ष्य बनाएँ। उदाहरण के लिए, जब आप फल खाने वाले हों, तब हर बार एक एप्पल या सब्जियाँ चुनते वक़्त सिर्फ गाजर ही न खाते रहें। हर रोज अलग-अलग तरह के फूड्स खाने से आपको आपके लिए जरूरी न्यूट्रीएंट्स मिलेंगे।[३०]
- लिमिट में खाएँ। किसी भी चीज़ को बहुत ज्यादा या एकदम बहुत कम भी न खाएँ। सारे फूड्स, अगर एक लिमिट में खाए जाएँ, तो ये हैल्दी डाइट का एक हिस्सा हो सकते हैं।[३१] यहाँ तक कि जरा सी आइस क्रीम को भी अगर लिमिट में लिए जाए, तो ये भी एक हैल्दी फूड बन सकती है!
संपादन करेंसलाह
- अगर आप आपके वर्कआउट प्लान में किसी भी तरह के वेट (वजन) का इस्तेमाल करते हैं, तो पहले ध्यान से हल्के वजन के साथ शुरुआत करें और फिर धीरे-धीरे भारी वजन के ऊपर काम करना शुरू करें। यहाँ तक कि अनुभवी वेट यूजर्स को भी किसी नई या अनजानी एक्सर्साइज़ को करने के लिए और संभावित रूप से मांसपेशियों के खींचे जाने के बजाए हल्के वजन के साथ शुरुआत करनी चाहिए।
- कहने के लिए तो ऐसे बहुत सारे "बेस्ट वर्कआउट" मौजूद हैं, लेकिन हमेशा अपने शरीर को गाइड के रूप में उपयोग करें और अपने शेड्यूल और अपने शरीर को फिट करने के लिए अपनी कस्टम कसरत योजना समायोजित करें। और बेशक, अपने इतने हार्ड वर्क के बाद, अपने पहले से और ज्यादा मजबूत, और हैल्दी पैरों को लेकर अच्छा महसूस करें!
- पैरों की मसल्स को हाइकिंग, बाइकिंग, और योगा जैसी हल्की एक्सर्साइज़ इसके साथ ही सॉकर, बास्केटबाल और फुटबाल जैसे स्पोर्ट्स के जरिए भी मजबूत किया जा सकता है। एक दृढ़ वर्कआउट प्लान के साथ ही एक बेलेंस्ड, एक्टिव लाइफ मसल्स की शक्ति बढ़ाने और इसे बनाए रखने का सबसे प्रभावी तरीका है।
- आपको आपके थाइस (जाँघों) को मजबूत करने के बारे में सोचना चाहिए। ये आपको और स्टेबल बनाने में मदद करेंगे। एक्सर्साइज़ करना शुरू कर दें।
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- Videos provided by Criticalbench
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