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कैसे दिमागी शक्ति (ब्रेन पॉवर) बढ़ाएँ

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क्या आप अपनी दिमागी शक्ति को बढ़ाने के, मानसिक उम्र को बढ़ने से रोकने के और शायद लंबी आयु पाने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं? आपको भी ये जानकर हैरानी हो सकती है, कि ऐसा करने के लिए न सिर्फ कुछ स्ट्रेटजीस मौजूद हैं, बल्कि आपकी डेली रूटीन में बस कुछ छोटे-मोटे आसान से बदलाव करके इन्हें आसानी से पा भी सकते हैं। ऐसे आपके ब्रेनपॉवर को इसे फॉलो करने वाली स्ट्रेटजीस को अपनाने से आपकी ब्रेन पॉवर को बढ़ाने में एक मदद मिलेगी, आपको मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी और आखिरकार ये आपको स्मार्ट भी बनाएगी।

संपादन करेंचरण

  1. एक्सर्साइज़ करें: एक्सर्साइज़ आपके नर्व सेल्स के बीच के कनैक्शन (इंटरकनैक्शन) को मजबूती देकर और उन्हें किसी भी डैमेज से बचाकर, आपके ब्रेन को उसकी पूरी क्षमता से काम करने लायक बनाती है।
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    • एक्सर्साइज़ के दौरान नर्व सेल्स न्यूरोट्रोफिक फ़ैक्टर्स के नाम का प्रोटीन रिलीज करती है। जिनमें से एक खास ब्रेन-डिराइव्ड न्यूरोट्रोफिक फ़ैक्टर (BDNF), स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले कई अन्य केमिकल्स को ट्रिगर करता है, और कोग्निटिव (cognitive) फंक्शन्स सहित लर्निंग में भी सीधे लाभ देता है।
    • इसके अलावा, एक्सर्साइज़ आपके दिमाग में कुछ इस तरह के प्रोटेक्टिव इफ़ेक्ट्स भी प्रदान करती है
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      • नर्व प्रोटेक्टिंग कम्पाउण्ड का प्रॉडक्शन कर
      • ब्रेन में ब्लड फ़्लो बढ़ाकर
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      • न्यूरॉन्स के बेहतर डेवलपमेंट और सर्वाइवल को बढ़ाकर
      • स्ट्रोक जैसी कार्डियोवेस्क्यूलर के खतरे को कम कर के
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    • 2010 में न्यूरोसाइंस प्राइमेट्स (primates) पर पब्लिश हुई एक स्टडी ने ये खुलासा किया, कि रेगुलर एक्सर्साइज़ न केवल मस्तिष्क में रक्त प्रवाह में सुधार होता है, बल्कि इसकी वजह एक्सर्साइज़ करने वाले बंदरों ने एक काम को, बिना एक्सर्साइज़ कर रहे बंदरों की तुलना में दोगुना तेजी से सीखा, ये एक ऐसा लाभ है, जो रिसर्चर्स के मत के अनुसार लोगों (मनुष्यों) के लिए भी सच होगा।
    • इसके साथ ही कुछ और भी रिसर्चेस से पता चला है, कि एक्सर्साइज़ से माइटोकॉन्ड्रिया (mitochondria), एक ऐसा अंग, जो आपके शरीर की हर कोशिका में ऊर्जा उत्पन्न करता है, को बढ़ावा मिलता है, जो कि स्टडीज़ के मुताबिक, आपके दिमाग को तेजी से और अधिक कुशलता से काम करने में मदद कर सकता है।
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    • अपने वर्कआउट से ज्यादा से ज्यादा लाभ लेने के लिए, एक्सर्साइज़ के लिए एक ऐसा प्रोग्राम तैयार करने की सलाह दी जाती है, जिसमें पीक फिटनेस हाइ-इंटेंसिटी एक्सर्साइज़, स्ट्रेंथ-ट्रेनिंग, स्ट्रेचिंग और कोर वर्क शामिल हों।
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  2. एनिमल-बेस्ड ओमेगा-3 फैट्स लें।
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    • डोकोसाहेक्साएनोइक एसिड (Docosahexaenoic acid), या डीएचए (DHA), ओमेगा -3 फैट, आपके मस्तिष्क और रेटिना दोनों के लिए ही एक जरूरी स्ट्रक्चरल कम्पोनेंट है। आपके मस्तिष्क का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा फैट्स से बना हुआ होता है—जिसमें से 25 प्रतिशत तो सिर्फ डीएचए ही होता है। डीएचए ब्रेस्ट मिल्क (स्तन दूध) का भी एक जरूरी स्ट्रक्चरल कम्पोनेंट है, और इसे ही ब्रेस्टफीड करने वाले बेबीज़ के आईक्यू टेस्ट को फॉर्मूला-फेड बेबीज़ के आईक्यू टेस्ट की तुलना में ज्यादा स्कोर मिलने के पीछे की असली वजह माना जाता है।
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    • ओमेगा-3 फैट्स को लेना इसलिए भी जरूरी माना जाता है, क्योंकि ये हमारे शरीर के अंदर नहीं बनते हैं और इसलिए हमें इन्हें अपनी डेली डाइट में शामिल कर लेना चाहिए। डीएचए (DHA) रिच फूड्स में, फिश, लीवर और ब्रेन आदि शामिल हैं।
    • डीएचए सबसे ज्यादा न्यूरोन्स -- आपके सेंट्रल नर्वस सिस्टम की सेल्स में पाया जाता है, जहाँ ये स्ट्रक्चरल सपोर्ट देता है। जब आपका ओमेगा-3 इनटेक भरपूर नहीं हो पाता है, तब आपके नर्व सेल्स कड़क हो जाते हैं और क्योंकि शरीर में लापता ओमेगा-3 फेट्स की जगह कोलेस्ट्रॉल और ओमेगा-6 ले लेता है, इसलिए इनमें सूजन होने की समस्या होने लग जाती हैं। जब आपके नर्व कड़क हो जाते हैं और इनमें सूजन आ जाती है, तो ऐसे में सेल्स के बीच में और सेल्स के अंदर, प्रोपर न्यूरोट्रांसमिशन बिगड़ जाता है।
    • ओमेगा-3 फैट के फिजिकल और मेंटल हैल्थ पर पड़ने वाला प्रभाव, पिछले चार दशकों से इंटेन्स रिसर्च का हिस्सा रहा है, और ऐसे कुछ सबूत भी मिले हैं, जिनके मुताबिक एनिमल-बेस्ड ओमेगा-3 फैट्स कई तरह की मनोवैज्ञानिक बीमारियों और डीजनरेटिव ब्रेन डिसऑर्डर्स के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, लो डीएचए लेवल से मेमोरी लॉस और अलजाइमर जैसी बीमारियाँ जुड़ी हुई होती हैं।
    • यहां तक ​​कि और भी एक्साइटिंग रिसर्च्स के मुताबिक, डीजनरेटिव कंडीशन्स को न केवल रोका जा सकता है बल्कि संभावित रूप से इनके प्रभाव को उल्टा भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक स्टडी में, 485 ऐसे बुजुर्ग वॉलंटियर्स, जो मेमोरी लॉस की समस्या से जूझ रहे थे, उन्होने 24 हफ्तों तक रोजाना 900 मिलीग्राम डीएचए लेने के बाद, अपने आप में कंट्रोल्स (controls) की तुलना में काफी सुधार पाया।
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    • एक और स्टडी के मुताबिक, प्लेसबो (placebo) की तुलना में, चार महीने तक रोजाना 800 मिलीग्राम डीएचए लेने के बाद वर्बल फ्लुएंसी स्कोर्स में काफी बड़ा सुधार देखा गया।
      • इसके अलावा, जब डीएचए को प्रति दिन 12 मिलीग्राम ल्यूटिन (lutein) के साथ दिया गया, तब सीखने की दर में और मेमोरी में काफी सुधार पाया गया।
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    • रिसर्च्स से ये भी पता चलता है, कि नॉर्मल ब्रेन टिशू के अनसेचुरेटेड फैटी एसिड की संरचना उम्र-विशिष्ट होती है, जिसका मतलब ये है, कि आपकी उम्र जितनी बढ़ेगी, आपको मानसिक पतन से और ब्रेन डीजनरेशन से बचने के लिए उतना ही ज्यादा एनिमल-बेस्ड फैटी एसिड लेने की जरूरत पड़ेगी।
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    • आपकी लो ओमेगा-3 डाइट की क्षतिपूर्ति के लिए, एक हाइ क्वालिटी का एनिमल-बेस्ड ओमेगा-3 सप्लिमेंट्स एक ऐसी चीज़ है, जिसे हर किसी को, खासकर अगर आप प्रेग्नेंट हैं, लेने की सलाह दी जाती है।
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    • और दूसरे एनिमल-बेस्ड ओमेगा-3 लेने की बजाय क्रिल (Krill) ऑइल लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि क्रिल ऑइल और फिश ऑइल के मेटाबोलिक इफ़ेक्ट्स "अनिवार्य रूप से समान होते हैं," फिर भी इसमें कम ईपीए (EPA) और डीएचए (DHA) शामिल होने के बावजूद भी क्रिल ऑइल फिश ऑइल से ज्यादा प्रभावी होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसकी मोलिक्युलर कोम्पोजीशन के कारण क्रिल ऑइल, फिश ऑइल की तुलना में 10-15 गुना तक अवशोषित कर होता है, और क्योंकि ये शक्तिशाली फैट-सोल्यूबल एंटीऑक्सीडेंट अस्थैक्सथिन (astaxanthin) के साथ स्वाभाविक रूप से कॉम्प्लेक्स होता है, इसलिए इसमें ऑक्सीडेशन (पुराने होने) की संभावना भी कम होती है।
  3. भरपूर नींद लें: नींद सिर्फ आपके शरीर को फिर से फ्रेश करने के लिए जरूरी नहीं होती, बल्कि नई मेंटल इनसाइट तक पहुंचने और पुरानी प्रॉब्लम्स के लिए नए क्रिएटिव सोल्यूशंस देखने में सक्षम होने के लिए भी इसकी जरूरत होती है। नींद आपके सामने छाए सारे अँधेरों को हटा देती है और सारी प्रॉब्लम्स को एक अलग ही परिप्रेक्ष्य से देखने के लिए आपके ब्रेन को "रीसेट" करने में मदद करती है, जो कि क्रिएटिविटी के लिए काफी जरूरी होता है।
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    • हार्वर्ड (Harvard) से हुई एक रिसर्च से संकेत मिलता है, कि सोने के बाद लोगों के दूर-दूर के विचारों के बीच कनेक्शन का अनुमान लगाने की 33 प्रतिशत अधिक संभावना होती है, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि उनके प्रदर्शन में वास्तव में सुधार हुआ है। नींद आपकी मेमोरी को बढ़ाने और चैलेंजिंग स्किल्स के लिए आपकी "प्रैक्टिस" और आपकी परफ़ोर्मेंस में सुधार करने में भी मदद करती है। वास्तव में, एक रात में ली हुई केवल चार से छह घंटे की नींद भी अगले दिन आपकी स्पष्ट रूप से सोचने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
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    • बढ़ने की प्रक्रिया, जिसे प्लास्टिसिटी (plasticity) कहा जाता है, जिसे ब्रेन की बिहेवियर कंट्रोल करने की क्षमता के तौर पर जाना जाता है, जिसमें लर्निंग और मेमोरी भी शामिल है। प्लास्टिसिटी उस वक़्त होता है, जब वातावरण की किसी घटना, या जानकारी द्वारा न्यूरॉन्स उत्तेजित होते हैं। हालाँकि, नींद और नींद की कमी कई जींस (genes) और जीन प्रोडक्टस की अभिव्यक्ति को संशोधित करती है जो सिनैप्टिक (synaptic) प्लास्टिसिटी के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं। इसके अलावा, लॉन्ग-टर्म पोटेन्सेशन (potentiation), सीखने और मेमोरी से जुड़ी हुई एक न्यूराल प्रोसेस, के कुछ रूप, नींद में हासिल किया जा सकता है, जिससे ऐसा मालूम चलता है, कि आप नींद के दौरान सिनैप्टिक कनेक्शन मजबूत कर रहे हैं।
    • जैसे कि आपको भी संदेह होगा, ये नवजात शिशुओं के लिए भी सही साबित होता है, और रिसर्च्स से तो ये भी पता चलता है, कि ये छोटी-छोटी झपकियाँ शिशुओं के ब्रेनपॉवर को बढ़ाती हैं। खासकर, ऐसे नवजात बच्चे, जो लर्निंग और टेस्टिंग सेशन के बीच में सोया करते हैं, उनके अंदर किसी नई जानकारी के पैटर्न को समझने की काबिलियत कुछ ज्यादा रहती है, जो कि मेमोरी में एक महत्वपूर्ण बदलाव को करती है, और साथ ही कोग्निटिव डेवलपमेंट में एक जरूरी रोल अदा करते हैं।
      • यहाँ तक कि एडल्ट्स में भी, दिन के बीच में ली हुई झपकी से उनके ब्रेनपॉवर में एक अलग ही सुधार पाया गया।
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  4. कोकोनट ऑइल (नारियल का तेल) इस्तेमाल करें।
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    • ग्लूकोज आपके ब्रेन के लिए जरूरी प्राथमिक ईंधन है, जो कि एनर्जी में कन्वर्ट हो जाता है। आपका मस्तिष्क वास्तव में आपके रक्त प्रवाह में ग्लूकोज को उस भोजन में बदलने के लिए अपने इंसुलिन का निर्माण करता है जिसे इसे जीवित रहने की आवश्यकता होती है।
    • अगर आपके ब्रेन में इंसुलिन का प्रॉडक्शन कम हो जाएगा, तो क्योंकि ये उस ग्लूकोज-रूपांतरित एनर्जी से वंचित है, जिसकी इसे सामान्य रूप से कार्य करने के लिए जरूरत होती है, इसलिए आपका मस्तिष्क असल में भूखा होना शुरू हो जाएगा। एक अल्जाइमर के मरीज के साथ में अक्सर ऐसा ही होता है -- मस्तिष्क का एक हिस्सा घटने या भूखा रहने लगता है, जिसकी वजह से फंक्शनिंग में गड़बड़ी, और धीरे-धीरे मेमोरी लॉस, स्पीच मूवमेंट और पर्सनालिटी लॉस होना शुरू हो जाता है।
    • इसके प्रभाव में, अगर आपका मस्तिष्क इंसुलिन प्रतिरोधी बन जाता है और ग्लूकोज को एनर्जी में कन्वर्ट करने की इसकी क्षमता को खो देता है, तो ये भूख की वजह से क्षय की ओर जाने लगता है। अच्छी बात ये है, कि आपका मस्तिष्क एक और तरह के एनर्जी सप्लाय के ऊपर काम कर सकता है और यहीं से कोकोनट ऑइल इस्तेमाल करने की बात शुरू होती है।
    • ऐसा एक और सब्स्टेंस है, जो ब्रेन को फीड कर सकता है और ब्रेन के क्षय को रोक सकता है। इसके साथ ही ये डैमेज को ठीक करने के बाद, आपके ब्रेन में न्यूरोन और नर्व फंक्शन को रिन्यू और रिस्टोर भी कर सकता है।
    • जिस सब्स्टेंस की बात की जा रही है, उसे कीटोन बॉडीज (ketone bodies) या कीटोएसिड्स (ketoacids) के नाम से जाना जाता है। कीटोन्स का निर्माण शरीर के द्वारा फैट (जो कि ग्लूकोज का विपरीत है) को एनर्जी में कन्वर्ट करते वक़्त होता है, और मीडियम चैन ट्राईग्लिसराइड्स (MCT) कीटोन बॉडीज का एक प्राइमरी सोर्स होता है, जो कि कोकोनट ऑइल में पाया जाता है! कोकोनट ऑइल में लगभग 66 प्रतिशत एमसीटी (MCT) पाया जाता है।
      • प्रति दिन 20 ग्राम पर एमसीटी के चिकित्सीय (Therapeutic) स्तर का अध्ययन किया गया है। डॉ. मेरी नेपर्ट के द्वारा की हुई एक रिसर्च के अनुसार, केवल 2 चम्मच भर नारियल का तेल (लगभग 35 ml) भी आपको 20 ग्राम के बराबर एमसीटी दे सकता है, जिसे डीजनरेटिव न्यूरोलोजिकल डिसीज के खिलाफ या तो निवारक उपाय के रूप में इंगित किया जाता है, या एक पहले से बीमार के लिए एक इलाज के तौर पर लिया जाता है।
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    • नारियल के तेल को सहन करने की सबकी अपनी अलग क्षमता होती है, तो इसलिए आपको भी इसे धीरे-धीरे लेना शुरू करना होगा और इन थेरेपेटिक लेवल्स तक पहुँचना होगा। हम आपको इसे सुबह फूड्स के साथ एक चम्मच लेने की सलाह देते हैं। फिर धीरे-धीरे हर कुछ दिन के अंतर में इसकी मात्रा को तब तक बढ़ाते जाएँ, जब तक कि आप इसकी 4 चम्मच मात्रा तक न पहुँच जाएँ। पेट खराब होने की संभावना से बचने के लिए नारियल के तेल को खाने के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
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  5. विटामिन डी लें।
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    • एक्टिवेटेड विटामिन डी रेसिपेटर्स आपके ब्रेन में नर्व ग्रोथ को बढ़ाते हैं और रिसर्चर्स ने भी हिप्पोकैम्पस (hippocampus) और मस्तिष्क के सेरिबैलम (cerebellum), ऐसे हिस्से जो कि प्लानिंग, किसी जानकारी को स्वीकारना और किसी नई याद को बनाने में शामिल होते हैं, में विटामिन डी के लिए मेटाबोलिक पाथवे भी पाये हैं।
    • नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हैल्थ ने अभी हाल ही में ये निष्कर्ष निकाला है, कि किसी प्रेग्नेंट लेडी को अपने बच्चे के ब्रेन के सही ढंग से विकसित करने के लिए भरपूर मात्रा में विटामिन डी लेना चाहिए। बच्चे के जन्म के बाद भी उसके ब्रेन की "नॉर्मल" फंक्शनिंग के लिए, उसे भरपूर विटामिन डी दिया जाना चाहिए। एडल्ट्स के लिए भी, रिसर्च से मालूम हुआ है, कि लो विटामिन डी का संबंध ब्रेन के खराब प्रदर्शन से होता है और वहीं इसकी मात्रा में बढ़त किए जाने से ये बड़े एडल्ट्स को भी मेंटल रूप से फिट रखने में मदद करता है।
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    • सूर्य की किरणें या सूरज की रौशनी के सीधे संपर्क में आकर इस तरह के मामलों को ठीक किया जा सकता है, जैसे कि बात जब विटामिन डी की हो रही हो, तो इसे भरपूर मात्रा में देने के लिए सूरज की तुलना में और कोई आपकी उतनी मदद नहीं कर पाएगा।
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    • सूरज के सामने एक उचित वक़्त के लिए आने से ये इसे आपके ब्रेन के द्वारा सही तरीके से काम किए जाने के लेवल तक बनाए रखता है। अगर ये ऑप्शन आपके लिए सही नहीं है, तो ऐसे में विटामिन डी3 सप्लिमेंट्स के साथ, सेफ टेनिंग बेड आपके लिए एक और अच्छा ऑप्शन रहेगा। अब ऐसा प्रतीत होता है कि ज़्यादातर एडल्ट्स को उनके 40 ng/ml से ऊपर सीरम (serum) लेवल को पाने के लिए एक दिन में लगभग 8,000 आईयू (IU) विटामिन डी की आवश्यकता होती है, जो कि इनके लिए सबसे कम है। आदर्श रूप से, कैंसर और हार्ट से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए आपके सीरम का स्तर 50-70 ng/ml और 100 ng/ml के बीच होना चाहिए। हालांकि, यह जानना भी जरूरी है कि विटामिन डी की आपूर्ति के लिए कोई डोज़ मौजूद नहीं है। अगर कुछ जरूरी है, तो वो है आपका सीरम लेवल, तो इसलिए आपको ये पता लगाने के लिए, कि आप नीचे दर्शाई हुई ओप्टिमल और थेरेपेटिक रेंज के अंदर ही हैं, आपको विटामिन डी का लेवल टेस्ट कराते रहना चाहिए।
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  6. आपके गट फ्लोरा (gut flora) को ऑप्टिमाइज़ करें।
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    • आपके गट, आपका "दूसरा ब्रेन" होते हैं और आपके गट बैक्टीरिया आपके ब्रेन की इन्फॉर्मेशन को वेगस नर्व (vagus nerve), जो दसवी क्रेनियल (या कपाल) नर्व है, जो कि ब्रेन स्टेम से एंट्रिक (आंतों) नर्वस सिस्टम (आपके आपके गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट का नर्वस सिस्टम) तक जाती है, के जरिये ट्रांसमिट करते हैं।
      • यहाँ पर एब्नॉर्मल गट फ्लोरा और एब्नॉर्मल ब्रेन डेवलपमेंट के बीच में बहुत गहरा संबंध है और और ठीक जैसे आपके ब्रेन में न्यूरोन्स होते हैं, वैसे ही न्यूरोन आपके गट में भी होते हैं -- जिसमें सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर्स बनाने वाले न्यूरोन्स भी शामिल हैं, जिन्हें ब्रेन में भी पाया जाता है और जो आपके मूड से संबंधित होते हैं।
    • आसान भाषा में, आपके गट की हैल्थ, आपके ब्रेन के बीच में अलग-अलग तरीके से न जाने कितने ही संबंध होने की वजह से ये आपके ब्रेन फंक्शन, मानसिकता और बर्ताव को प्रभावित कर सकती है।
    • आपके गट बैक्टीरिया आपके शरीर का एक सक्रिय और एकीकृत हिस्सा है और ये ज़्यादातर आपकी डाइट पर निर्भर होते हैं और ये आपकी लाइफ़स्टाइल के प्रति संवेदनशील भी होते हैं।
      • अगर आप बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड फूड्स और मीठी ड्रिंक्स लिया करते हैं, तो इसकी वजह से आपके गट बैक्टीरिया को काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है, क्योंकि प्रोसेस्ड फूड्स आपके माइक्रोफ्लोरा को नष्ट कर देंगे और शुगर आपके अंदर सारे खराब बैक्टीरिया और यीस्ट जमा कर देगी।
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      • परंपरागत रूप से फेरमेंटेड (स्वाभाविक रूप से अच्छे बैक्टीरिया में समृद्ध) फूड्स लेते हुए अपने शुगर और अन्य प्रोसेस्ड फूड्स की मात्रा को सीमित करें, प्रोबायोटिक सप्लिमेंट्स को लेना और बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराना, आपके गट फ्लोरा को ऑप्टिमाइज़ करने के बेस्ट तरीके हैं और बाद में यही आपके ब्रेन की हैल्थ का समर्थन करते हैं।
  7. विटामिन बी12 लें।
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    • फ्यूचर में आपके ब्रेन हैल्थ के लिए होने वाली इसकी कमी को "खतरे की घंटी (canary in the coalmine)" कहा जाता है, और हाल ही में हुई एक रिसर्च ने आपके दिमाग को तेज रखने में इस विटामिन के महत्व को बल दिया है।
      • हाल ही में हुई एक रिसर्च के मुताबिक, ऐसे लोग, जिनमें विटामिन बी12 की कमी बहुत ज्यादा थी, उनके कोग्निटिव टेस्ट में सबसे कम स्कोर करने की संभावना ज्यादा थी, साथ ही उनके पूरे ब्रेन का वॉल्यूम भी काफी कम था, जिससे ऐसा मालूम हुआ, कि इस विटामिन की कमी की वजह से ब्रेन सिकुड़ने लगता है।
    • दिमागी धुंधलापन और मेमोरी से जुड़ी हुई प्रॉब्लम्स विटामिन बी12 कि कमी की ओर इशारा करने वाले सबसे बड़े सबूत हैं और यही आपके ब्रेन की हैल्थ के लिए इसके महत्वपूर्ण का संकेत भी है।
    • इसके अलावा, एक फिनिश (Finnish) स्टडी में पाया गया, कि विटामिन बी 12 में समृद्ध फूड प्रोडक्टस लेने वाले लोग, अपने आगे के जीवन में अल्जाइमर होने के जोखिम को कम कर सकते हैं।
      • विटामिन बी12 की हर एक यूनिट (holotranscobalamin) को बढ़ाने के बाद, अल्जाइमर के बढ़ने के रिस्क को 2 परसेंट से कम पाया गया। रिसर्च्स से ये भी मालूम हुआ कि विटामिन बी वाले सप्लिमेंट्स, जिनमें विटामिन बी12 भी शामिल है, ये कम मेमोरी वाले बुजुर्ग लोगों में होने वाले ब्रेन के क्षय (ब्रेन का कम होना, अल्जाइमर बीमारी का सबसे बड़ा कारण माना जाता है) को कम करता है।
    • विटामिन बी12 की कमी बहुत व्यापक है और कई लोगों को खाद्य स्रोतों से इस पोषक तत्व को ठीक से अवशोषित करने में परेशानी होती है। विटामिन बी12 के लिए कराया हुआ ब्लड टेस्ट भी बी12 के स्टेट्स का कोई भरोसेमंद स्त्रोत नहीं होता, इसलिए कमी के लक्षणों के ऊपर नजर रखना और अपनी डाइट और सप्लिमेंटल इनटेक्स में वृद्धि करना, ब्लड टेस्ट के लिए एक दूसरा प्रैक्टिकल ऑप्शन माना जाता है।
    • बी12 इसके नेचरल फॉर्म में सिर्फ एनिमल फूड सोर्सेस में ही पाया जाता है। इसमें सीफूड, चिकन, दूध और अंडे शामिल हैं। अगर आप बी12 की भरपूर मात्रा को पाने के लिए, सही मात्रा में में एनिमल प्रोडक्टस (सीफूड लें, आप जानते हैं कि यह शुद्ध जल स्रोत से है) नहीं लेते हैं या फिर फूड के जरिये मिलने वाले विटामिन को आपका शरीर सही तरीके से नहीं ग्रहण कर पा रहा है, विटामिन बी12 सप्लिमेंट्स एकदम पूरी तरह से नॉन-टोक्सिक होते हैं, खासतौर पर लैब टेस्टिंग की लागत की तुलना में।
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      • एक अंडर-द-टंग फ़ाइन माइस्ट स्प्रे लेकर देखें, जैसे कि ये टेक्नॉलॉजी आपके टंग के नीचे से केपिलरीज़ (केशिकाओं) में विटामिन को एब्जोर्ब करने में मदद करती है।
  8. म्यूजिक सुनें।
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    • ऐसा काफी पहले से माना जाता आ रहा है, कि म्यूजिक आपकी ब्रेनपॉवर को अच्छा कर सकता है; आपने शायद "मोजर्ट इफेक्ट (Mozart Effect)" में इसके बारे में सुना होगा, जिसमें ऐसा कहा गया है, कि क्लासिकल म्यूजिक सुनना, आपको स्मार्ट बनाने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही, रिसर्च से ऐसा मालूम हुआ है, कि एक्सर्साइज़ करते वक़्त म्यूजिक सुनने से आपका कोग्निटिव लेवल बढ़ता है और कोरोनरी धमनी रोग (कोरोनरी धमनी रोग कोग्निटिव क्षमताओं में आई गिरावट से जुड़ा हुआ है) से जुड़े हुए लोगों में वर्बल फ्लुएंसी स्किल को बेहतर बनाती है। इस स्टडी में, नॉन-म्यूजिक सेशन की तुलना में म्यूजिक सुनने के बाद वर्बल फ्लुएंसी एरिया में सुधार के संकेत दोगुनी मात्रा में बढ़ गए।
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    • म्यूजिक, अच्छे हैल्दी एडल्ट्स के बीच कोग्निटिव फंक्शनिंग बढ़ाने और मेंटल फोकस में सुधार लाने से भी जुड़ा हुआ है, इसलिए आप से जितना हो सके, उतना ज्यादा इस आसान से आनंद का लाभ उठाया करें।
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  9. अपने माइंड को चैलेंज करें।
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    • हमेशा सीखते रहना, अपने ब्रेन की फंक्शनिंग को बेहतर बनाए रखने की एक बेहद सिंपल सी विधि है। आप जब कुछ सीखते हैं, तो न्यूरोन्स के साइज़ और स्ट्रक्चर और उनके बीच का कनैक्शन असल में बदलता है।
      • इसमें बुक लर्निंग से आगे भी न जाने कितने ही सीखने के तरीके मौजूद हैं, जिसमें ट्रेवलिंग, किसी म्यूज़िकल इन्स्ट्रुमेंट को प्ले करना सीखना या एक नई लेंग्वेज बोलना सीखना या फिर सोशल और कम्यूनिटी एक्टिविटीज़ में भाग लेना शामिल हैं।
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  10. ब्रेन एरोबिक्स करें।
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    • सीखने की तरह ही, माइंड-ट्रेनिंग एक्सर्साइज़ेस के जरिये अपने ब्रेन को चैलेंज करना, भी उम्र बढ़ने के साथ-साथ आपके ब्रेन को फिट रखने में मदद कर सकता है। ये ऐसे मशहूर लोगों के बारे में सोचना, जिनके नाम का शुरुआती अक्षर आ है, जितना आसान भी कुछ हो सकता है, क्रॉसवर्ड पजल खेलना या फिर ऐसा कोई बोर्डगेम खेलना, जो कि आपको सोचने पर मजबूर करे, हो सकता है।
    • कुछ रिसर्च से ये भी मालूम हुआ है, कि वेब सर्फिंग करना, आपके ब्रेन में डिसीजन लेने और कठिन रीजनिंग से जुड़े हुए क्षेत्रों को एक्टिव करता है। इसलिए लगातार टीवी देखने के बजाय, इंटरनेट इस्तेमाल करना सच में एक ऐसा काम है, जो आपको बिजी रखने के साथ-साथ असल में आपके ब्रेनपॉवर को भी बढ़ाता है।

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