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कैसे अपने इमोशन्स (भावनाओं) पर काबू पाएँ

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वैसे तो किसी भी तरह के इमोशन्स महसूस होने के साथ में किसी भी तरह की प्रॉब्लम नहीं है, लेकिन अगर इनमें से कुछ को वक़्त रहते चेक न किया जाए, तो ये आपको बहुत सारा डिस्ट्रेस पहुंचा सकते हैं। अच्छी बात ये है, कि ऐसे काफी सारी हैल्थ टेक्निक्स मौजूद हैं, जिन्हें आप यूज कर सकते हैं और लाइफ़स्टाइल के बदलाव, इन नेगेटिव फीलिंग्स पर कंट्रोल कर पाना और इनसे निपटना सिखा देंगे।

संपादन करेंचरण

संपादन करेंअपने मन और शरीर पर फिर से ध्यान देना

  1. ध्यान दें, जब आप आपके इमोशन्स को आप से दूर जाता हुआ पाएँ: आपके इमोशन्स कब आउट ऑफ कंट्रोल हो रहे हैं, इसकी पहचान करते आना, इमोशन्स पर काबू पाने का पहला कदम होता है। अपने आप से पूछें, कि क्या ये आपको फिजिकली या मेंटली फील होता है, फिर किसी वक़्त पर इसे पहचानने की कोशिश करें। अपने इमोशन्स के उमड़ने के दौरान उन्हें समझने के लिए माइंडफुलनेस और चेतना, तर्कसंगत विचारों की जरूरत होती है; बस इन्हें पहचानने मात्र से आप खुद को मौजूदा पल में लाना शुरू कर देंगे।
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    • आपको शायद तेज हुई दिल की धड़कन, मसल में तनाव और धीमी या तेज़ साँसें लेने जैसे फिजिकल एक्सपीरियन्स भी हो सकते हैं।[१]
    • मेंटली, शायद आप अपना ध्यान भटकता हुआ, चिंता होना, पैनिक होना या बहुत ज्यादा अभिभूत होता हुआ पाएंगे या फिर ऐसा फील करेंगे, जैसे कि आप आपके विचारों पर काबू ही नहीं पा सकते हैं।
    • जरा थम जाएँ, और एक बार में अपने शरीर के किसी एक ही रिएक्शन के ऊपर ध्यान दें। जैसे कि, अगर आप अचानक ही चिंता करने लगते हैं, तब नोटिस करें, कि ये आपके शरीर में किस तरह से फील होता है: “मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा है। मेरी हथेलियाँ पसीने से भर जाती हैं।” इन फीलिंग्स को पहचानें और इन्हें जज करने के बजाय ये जैसी भी हैं, इन्हें वैसा ही स्वीकार कर लें।[२]
  2. अपने आप को शांत करने के लिए गहरी साँसें लें: जब आपके इमोशन्स आप से दूर जाते हैं, तब आपकी साँसें भी अक्सर आउट ऑफ कंट्रोल हो जाया करती हैं, जो आपकी स्ट्रेस और चिंता वाली फीलिंग्स को बढ़ा कर देती हैं। आप जब भी ऐसा होता हुआ पाएँ, तब अपने मन और शरीर को शांत करने के लिए कुछ गहरी साँसें लेकर, इसे होने से रोकें। अगर आप कर सकें, तो सबसे प्रभावी हल पाने के लिए एक उद्देश्यपूर्ण गहरी साँस लेने की टेक्निक का प्रयास करें।[३]
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    • इस टेक्निक को करने के लिए, पहले अपने एक हाँथ को अपनी चेस्ट पर रखें और दूसरे को अपने रिब केज (rib cage) के ठीक नीचे। अपनी नाक से धीमे-धीमे और गहराई से साँस अंदर लें और 4 तक काउंट करें। आपके द्वारा हवा खींचने के साथ-साथ अपने लंग्स और एब्डोमेन (पेट के निचले हिस्से) के फूलने को महसूस करें।
    • साँसों को कुछ 1 या 2 सेकंड्स के लिए होल्ड करके रखें, फिर धीमे से अपने मुंह के जरिए साँस को रिलीज कर दें। एक मिनट में 6-10 गहरी साँस लेने की कोशिश करें।[४]
    • अगर 4 तक काउंट कर पाना आपके लिए मुश्किल लग रहा है, तो आप पहले 2 काउंट से स्टार्ट कर सकते हैं और फिर प्रैक्टिस करते हुए यहाँ तक पहुँच सकते हैं। अपनी ओर से अपनी साँसों को ज्यादा से ज्यादा गहरी बनाने की पूरी कोशिश करें।
  3. अपने मन को वापस एक सेंटर पर लाने के लिए फिजिकल सेन्सेशन्स पर ध्यान दें: अपने इमोशन्स पर से काबू खोने के साथ अक्सर ही खुद की और स्थान की समझ भी चली जाती है; आप आपके इमोशन्स में ही खो जाते हैं और आप ये तक भूल जाते हैं, कि आप आखिर हैं कहाँ। इससे निपटने के लिए, खुद को अपने आसपास मौजूद चीजों की ओर या फिर आपके द्वारा एक्सपीरियंस की जाने वाली फिजिकल सेन्सेशन की तरफ ध्यान देने के लिए फोर्स करें।[५]
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    • ग्राउंडिंग एक्सर्साइजेज़ आपको मौजूदा पल में लाने के लिए, आपके ज्यादा से ज्यादा या सारे 5 सेन्सेस (इंद्रियों) का यूज करती हैं। ऐसे वक़्त पर ज़ोर से बोलना खासतौर पर बहुत जरूरी होता है, क्योंकि ये आपके मन को आपके इमोशन्स से दूर ले जाता है। अपने शरीर पर वापस आना और अपने मौजूदा पल पर फोकस करना, आपको वापस शांत होने में और इमोशन्स के मायाजाल में फँसने से बचा सकता है।
    • जैसे कि, अपने चारों तरफ देखें और आपको जो भी कुछ नजर आए, उसे ज़ोर-ज़ोर से डिस्क्राइब करें। आपको सुनाई देने वाले किसी साउंड को सुनें, और जो भी समझ आ रहा है, उसे भी ज़ोर-ज़ोर से बोलें। वहाँ पर मौजूद खुशबू पर ध्यान दें और देखें अगर आप आपकी जीभ पर कोई स्वाद ले पा रहे हों। आप कुछ ऐसा बोल सकते हैं, "ये कार्पेट और दीवार, दोनों में ही ब्लू के एक अलग शेड का यूज किया गया है और दीवार पर किया हुआ आर्ट कितना खूबसूरत है। मैं ब्रेक रूम में ब्रू (brew) हो रही कॉफी की खुशबू के साथ ही पुराने फ़ाइल फ़ोल्डर्स की महक को भी महसूस कर सकता हूँ।"
    • एक बार ध्यान देकर देखें, कि अपनी चेयर पर बैठना या हाँथ में कॉफी मग पकड़ने पर कैसा फ़ील होता है। ध्यान दें, जब आपकी मसल खिंची होती है, तब आपको आपके कपड़े कैसे फ़ील होते हैं। आप आपके हाँथ के अपने गोद के ऊपर फ़ील होने जैसी जरा सी बात को भी फ़ील करके देख सकते हैं।
    • एक कप चाय बनाएँ और फिर उस वक़्त पर चाय पीने की वजह से होने वाले सेन्सेशन पर ध्यान देने की कोशिश करें। वो कप कैसा फ़ील होता है? उसमें कैसी खुशबू आती है? उसका टेस्ट कैसा लगता है? इन सब बातों को ज़ोर-ज़ोर से खुद को ही डिस्क्राइब करें।
    • किसी पेंटिंग में मौजूद ज्यादा से ज्यादा डिटेल्स को खुद को ही डिस्क्राइब करें।
    • अपने साथ में, ऐसे स्ट्रेस फ़ील होने पर महकने लायक एशेन्सियल ऑइल लेकर चलें। उस महक को आप पर काबू पाने दें और आपको सेंट के बारे में जो भी कुछ अच्छा लगता है, उसके बारे में ज़ोर-ज़ोर से बोलें।
  4. फिजिकल और मेंटल टेंशन से राहत पाने के लिए अपने मसल को रिलैक्स करें: अपने शरीर का स्केन करें और देखें, कि आप कहाँ पर स्ट्रेस को लेकर चल रहे हैं, फिर उस एरिया को रिलैक्स करने के लिए खुद पर दबाव डालें। अपने हाँथों को अनक्लेंच (खोलें) करें, अपने कंधों को रिलैक्स करें और अपने पैरों की टेंशन को जाने दें। अपनी गर्दन को घुमाएँ और अपनी उँगलियों को हिलाएँ। फिजिकल टेंशन रिलीज करना भी मन को एक जगह पर लाने में बहुत मदद करता है।[६]
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    • अगर आपको अपने शरीर को रिलैक्स करने में तकलीफ हो रही है, तो फिर प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सेशन (Progressive Muscle Relaxation) या PMR करके देखें। आप बहुत सदे हुए तरीके से, अपने अंगूठे से शुरू करके और ऊपर जाते हुए ग्रुप्स में आपकी मसल्स को टेन्स और रिलीज करेंगे। जब आप टेंशन्स के किसी खास एरिया को नहीं ढ़ूंढ़ पाते हैं या उस पर फोकस नहीं कर पाते हैं, उस वक़्त इस तरह की मेथड्स आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकती हैं।
  5. खुद को एक शांत सेफ जगह पर सोचकर देखें: एक ऐसी सोची हुई या असली जगह चुन लें, जो आपको काफी सुकून देने वाली महसूस होती है। अपनी आँखें बंद कर लें और उसे महसूस करें, और धीमी-धीमी और एक-समान साँसें लेते हुए ज्यादा से ज्यादा डिटेल्स तैयार करने की कोशिश करें। अपने शरीर की किसी भी टेंशन को बाहर जाने दें और आपके उस सुकून भरे जगह के अहसास को, आपके विचारों और इमोशन्स को शांत करने दें।[७]
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    • आपका ये सेफ प्लेस एक बीच (beach), एक स्पा (spa), एक मंदिर, या आपका बेडरूम-ऐसी कोई भी जगह, जहां आप खुद को सेफ और रिलैक्स महसूस करते हैं, हो सकती है। आपको वहाँ पर सुनाई देने वाले साउंड्स, नजर आने वाली चीजों और यहाँ तक कि स्मेल्स और टेक्सचर्स के बारे में सोचें।
    • अगर आप आपकी आँखें नहीं बंद कर पाते हैं या फिर सेफ प्लेस को पूरी तरह से नहीं देख पाते हैं, तो इसे जल्दी से अपने जेहन में लाने की कोशिश करें। खुद को उस शांत और ठहरी हुई फीलिंग की याद दिलाएँ और कुछ गहरी, शांत सांसें लें।
    • अगर आप सोचते वक़्त किसी नेगेटिव इमोशन को आता हुआ पाते हैं, तो उसे एक ऐसे फिजिकल ऑब्जेक्ट की तरह इमेजिन करने की कोशिश करें, जिसे आप अपने सेफ प्लेस से हटा सकते हैं। जैसे कि, आपका स्ट्रेस एक ऐसा पत्थर है, जिसे आप दूर फेंक सकते हैं, और ऐसा करते वक़्त, अपने शरीर से स्ट्रेस को जाते हुए महसूस करें।
  6. अपनी खुद की एक "हैप्पी बुक (Happy Book)" या "जॉय बॉक्स (Joy Box)" तैयार करें: इसे अपनी हैप्पी मेमोरी से भर दें, जैसे कि आपकी कुछ अच्छी फोटो और कोई निशानी, जैसे कि आपके फेवरिट कॉन्सर्ट की टिकिट जैसा कुछ भी रख लें। आपको अच्छे लगने वाले इन्स्पिरेशनल कोट्स को प्रिंट करा लें और अपनी बुक या बॉक्स में एड कर लें। इसमें ग्रेटिट्यूड (आभार) की लिस्ट या जर्नल भी शामिल करें, साथ ही ऐसे आइटम्स को भी रखें, जो आपको कंफ़र्ट देने वाले लगते हैं। जैसे कि, आपके बॉक्स में एक फनी बुक, कुछ कैंडीज़, एक अच्छा मग और चाय का बॉक्स भी हो सकता है। जब कभी भी आप इमोशनल फील करें, अपने इस बॉक्स या बुक को निकाल लें।
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    • आप चाहें तो अपनी बुक में फ़ोटोज़, मीम्स (memes), इन्स्पिरेशनल कोट्स, जीआईएफ (gifs) बगैरह जैसी हर उन चीजों का डिजिटल वर्जन को भी तैयार कर सकते हैं, जिनसे आपको अच्छा फील होता है।

संपादन करेंअपनी फीलिंग्स का सामना करना

  1. आपके असली इमोशन्स की पहचान करें: अपने इमोशन को पहचानना और उसे एक नाम देना, ऐसे वक़्त पर आपको उनके ऊपर काबू दे सकता है, जब आप उन्हें वाइल्ड (काबू से बाहर) होता हुआ फील करते हैं। कुछ गहरी साँसें लें, फिर खुद को उन चीजों की तरफ ध्यान देने के लिए फोर्स करें, जिसे आप फील कर रहे हैं, फिर चाहे ये कितनी भी पेनफुल ही क्यों न हो। फिर, खुद से पूछें, इन फीलिंग्स का सोर्स क्या है और क्या ये किसी ऐसी चीज़ को छिपाने की कोशिश कर रही है, जिसे आप सामने लाने से डर रहे हैं।[८]
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    • उदाहरण के लिए, क्या किसी बड़े एग्जाम की तैयारी, आपको इतना ज्यादा स्ट्रेस दे रही है। हो सकता है, कि इसका आपके फ्यूचर पर काफी गहरा असर पड़ने वाला या हो सकता है, कि आप ऐसा सिर्फ अपनी फैमिली को इंप्रेस करने की वजह से कर रहे हों। हो सकता है, कि आपके मन में कहीं ऐसी बात चल रही हो, कि आपकी फैमिली का प्यार, आपकी सक्सेस के ऊपर ही डिपेंड करता है।
    • अपने इमोशन्स को एक नाम देना असल में एक ऐसी स्किल है, जिसे शायद आपने सीखा न हो। अच्छी बात ये है, कि आप डाइलेक्टिकल बिहेवियरल थेरेपी (Dialectical Behavioral Therapy या DBT) का यूज करके, इमोशन्स को एक नाम देना सीखने में अपनी खुद की मदद कर सकते हैं। यहाँ पर ट्राइ करने के लिए एक अच्छी एक्सर्साइज़ दी हुई है: https://www.dbtselfhelp.com/What_Skills.pdf
    • एक बात हमेशा याद रखें, कि कोई भी इमोशन, कभी भी “गलत” नहीं हुआ करता है। खुद को किसी चीज़ को फ़ील नहीं करने की बात समझा कर रखना, अपने आप को और ज्यादा दर्द पहुंचाने का एक तरीका है। जजमेंट पास किए बिना इमोशन को नोटिस करें। इस बात को स्वीकार कर लें, कि इमोशन नेचुरल हैं और खुद को इन्हें फ़ील भी करने दें।
    • अपने इमोशन्स को एक ऐसे केरेक्टर की तरह इमेजिन करें, जो इमोशन्स को लेकर चलता है। फिर, इमोशन को वापस उसकी असली वजह तक लेकर आएँ।
    • अपने इमोशन्स की हलचल के पीछे की असली फीलिंग को पहचानना और उसे एक नाम देना, आपको उन पर कंट्रोल करने में मदद करता है। अब जबकि आप आपके इमोशन्स के पीछे की असली वजह को पहचान सकते हैं, तब आप जान जाएंगे, कि ये तो सिर्फ एक फीलिंग है, और ये भी, कि इसका आपके ऊपर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ना चाहिए।
  2. अपने आप को अपने इमोशन्स के लिए काम करने की पर्मिशन दें: अपने इमोशन्स को दबाए रखना या उन्हें इग्नोर करने से वो चले नहीं जाएंगे। वो आपके अंदर ही कहीं दफन हो जाएंगे और कुछ वक़्त के बाद फिर से ऊपर आ जाएंगे, इसलिए जरूरी है, कि आप खुद को अपने इमोशन्स को फ़ील करने दें। हालांकि, आपको सिर्फ उनकी ही रट लगाए नहीं बैठे रहना है। इसकी बजाय, अपने इमोशन्स को बाहर निकालने के लिए कुछ 15-20 मिनट्स का वक़्त अलग निकालकर रखें।
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    • उदाहरण के लिए, आप अपने विचारों को बाहर निकालने के लिए या इन्हें एक जर्नल में लिखने के लिए आपके किसी एक फ्रेंड को कॉल कर सकते हैं।
    • अगर आप उदास महसूस कर रहे हैं, तो आपको अकेले में रोने के लिए भी वक़्त निकालना चाहिए।
    • अगर आप अपने शरीर में इमोशन्स को फ़ील कर रहे हैं, जैसे कि बहुत ज्यादा गुस्से, स्ट्रेस या जलन के साथ, तो फिर इन्हें बाहर निकालने के लिए आपको एक फिजिकल वर्क करने की कोशिश करना चाहिए। आपको या तो एक चोटी सी वाल्क पर चले जाना चाहिए या फिर योगा ही कर लेना चाहिए।
  3. उस परिस्थिति को संभालने के लिए आप क्या कर सकते हैं, इसके बारे में सोचें: कभी-कभी, आप खुद को सिर्फ इसी वजह से इमोशनली आउट ऑफ कंट्रोल पाते हैं, क्योंकि आपको आपके चारों तरफ की परिस्थिति को कंट्रोल करने का कोई तरीका ही समझ ही नहीं आ रहा होता है। ये आपको आपके विचारों की “रट लगाने (ruminating)” की स्थिति में ले जा सकता है, जो कि आपके विचारों का एक ऐसा “मायाजाल” होता है, जहां आप बिना मतलब के सिर्फ नेगेटिव फीलिंग में ही उलझे हुए रहते हैं, जिसका असल में कोई मतलब ही नहीं निकलता। उस वक़्त पर याद आने वाली किसी भी परिस्थिति की तरफ ध्यान देकर इस साइकल को तोड़ने की कोशिश करें।[९]
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    • “मैं अपने काम में इतना बेकार क्यों हूँ?” सोच-सोचकर अपने काम पर होने वाली परेशानियों के बारे में सोचते रहने का बजाय, ऐसी चीजों की एक लिस्ट बना लें, जिन्हें पहचान पा रहे हैं। आप चाहें तो प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने के लिए अपने बॉस से बात कर सकते हैं, किसी और ज्यादा एक्सपीरियंस वाले इंसान से मदद की मांग कर सकते हैं या फिर अलग-अलग तरह की स्ट्रेस-मेनेजमेंट टेकनिक्स को ट्राइ करके देख सकते हैं।
    • ऐसी चीजों को भी स्वीकार करने की कोशिश करें, जिन्हें आप सिर्फ अपनी मेहनत से नहीं पहचान सकते हैं। आपको ही हर एक चीज़ को “फिक्स” करना है या “कंट्रोल” करना है, इस एक धारणा को छोड़ देना, अपने आप को स्ट्रेस और इमोशनल उधेड़-बुन से बचाए रखने का एकमात्र तरीका है।[१०]
  4. अपनी तरफ से बेस्ट तरीके से आगे बढ़ने के तरीके को तय करें: जब भी आप आगे बढ़ने के लिए एक कदम बढ़ाने को तैयार हों, तो इसके किसी और बात के रिएक्शन या प्रतिद्वंदी इमोशन न होने के बजाय एकदम सच्चे होने की पुष्टि कर लें। इस बारे में सोचकर देखें, कि आप किस तरह से इस परिस्थिति को सुधारणा चाहते हैं और क्यों। ये प्रतिक्रियाएँ आपकी किस धारणा को पेश करती हैं? क्या ये असल में तर्कसंगत भी हैं?
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    • अपने आम नियमों के बारे में भी सोचें। आप इस परिस्थिति की तरफ से क्या पाना चाहते हैं? ऐसा कौन सा फैसला है, जिसे लेकर आप सबसे ज्यादा प्राउड फील करेंगे? फिर, खुद से पूछें, कि आपके द्वारा लिए जाने वाले कदम में से, ऐसा कौन सा कदम है, जिसकी वजह से आपको अपनी इच्छा के हिसाब से परिणाम मिल सकते हैं।
    • जैसे कि, अगर कोई आपकी इन्सल्ट करता है, आप कुछ नहीं भी कर सकते हैं, आप भी अग्रेसिव तरीके से जवाब दे सकते हैं या फिर दृढ़ता से उन्हें ये सब बंद करने का कह सकते हैं। अपने आप से पूछें, कि आप इस स्थिति के अंत को किस तरह से होते हुआ देखना चाहते हैं और फिर आप किस तरह से अपनी धारणाओं पर बिना कोई असर डाले, इसे पा सकते हैं।

संपादन करेंअपने इमोशन्स के ऊपर हैल्दी तरीके से रिएक्ट करना

  1. अपने और दूसरों के अंदर डिफ़ेंसिवनेस (रक्षात्मकता) की पहचान करना सीखें: डिफ़ेंसिवनेस की वजह से न सिर्फ इमोशन्स काबू से बाहर हो जाते हैं, बल्कि ये आपको लोगों के सामने एक बहुत इमोशनल इंसान की तरह पेश कर देते हैं। हो सकता है, कि शायद आप स्ट्रेस, फ्रस्ट्रेशन या किसी की तरफ से आप पर किए गए अटेक की वजह से डिफ़ेंसिव फ़ील करते हों। हालांकि, दूसरों के पास मौजूद ऑप्शन्स को पर्सनली (अपने ऊपर) लिए बिना सुनना भी जरूरी होता है, खासकर कि तब अगर वो एक अच्छे तरीके में दिए गए हों। आप उस परिस्थिति में मौजूद डर को कम करके और दूसरों के विचारों को जानने की उत्सुकता को बढ़ाकर डिफ़ेंसिवनेस का सामना कर सकते हैं। यहाँ पर डिफ़ेंसिवनेस के कुछ लक्षण दिए गए हैं:[११]
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    • नेगेटिव फीडबैक को सुनने से मना करना
    • अपनी असफलता के लिए बहाना बनाना
    • दोष लगाना
    • दूसरे लोगों का बोलना बंद करने के लिए अपनी आर्म्स को क्रॉस करना
    • किसी के सामने मुस्कुराना और सिर हिलाना (नोड करना), ताकि वो बोलना बंद कर दे
    • दूसरे लोगों से बात किए बिना, सिर्फ अपने सही होने के कारणों को सुनना
    • दूसरे लोगों के फीडबैक को इग्नोर करना
    • दूसरे लोगों को आपकी आलोचना करने से रोकने के लिए दूसरों लोगों के लिए व्यंग्य (सार्केज़्म) या आलोचना (क्रिटिसिज़्म) यूज करना
  2. अपने इमोशनल ट्रिगर्स के लिए एहतियात बरतें: आपके ये ट्रिगर्स, किसी तरह की एक्टिविटीज़, लोग, प्लेस, चीज़ें या ऐसे ईवेंट्स भी हो सकते हैं, जो बार-बार, लगातार आपके अंदर एक खास तरह का इमोशन लेकर आते हों। एक बार जब आपको आपके ट्रिगर्स मालूम हो जाते हैं, फिर आप खुद को उनके लिए मेंटली तैयार करने के लिए एक प्लान तैयार कर सकते हैं।
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    • जैसे कि, मान लीजिए कि आप जब भी आपकी सिस्टर की तरफ देखते हैं, तो आपको गुस्सा आता है। तो अब अगली बार जब भी आप अपनी फैमिली से मिलने वाले हों, तब जाने से पहले खुद को कुछ रिलैक्सिंग चीजों में शामिल कर लें, फिर प्लान करें, कि आप सारा दिन में किस तरह से अपनी सिस्टर से दूर रहेंगे। आप चाहें तो और दूसरे रिलेटिव्स के साथ मिलकर कुछ और करने का प्लान कर सकते हैं या फिर वहाँ से निकलकर और एक डिश लेने जाने ल भी प्लान कर सकते हैं। आपके द्वारा उसके साथ में बिताए जाने वाले वक़्त को लिमिट करें और जरूरत हो, तो वहाँ से जल्दी निकलने का प्लान भी करें।
  3. अगर कोई आपको सताने की कोशिश कर रहा हो, तो कुछ भी मत करें: अगर आप किसी को कहेंगे, कि वो आपको परेशान कर रहा है, तो ऐसा करके आप अपने लिए और भी परेशानी खड़ी कर देंगे, एक गहरी साँस लें और शांत रहें। उन से शांति से बात करें और उन्हें आप पर हावी न होने दें। जब आप ऐसे कूल बने रहेंगे, तो वो इंसान खुद ही फ्रस्ट्रेट हो जाएगा और आखिरकार वो खुद ही उसे करना छोड़ देगा।[१२]
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    • जब आप उन्हें बताने के लिए तैयार महसूस करें, पहले तो उन्हें बहुत आराम से बताएं, कि आपको कैसा फ़ील हो रहा है। ऐसा कुछ बोलें, कि “मुझे उस वक़्त बहुत फ्रस्ट्रेशन होती है, जब तुम मुझे उकसाने की कोशिश करते हो।”
    • फिर, उस परेशानी को बताएं, और उनसे उस पर उनके विचारों को पेश करने का कहें, फिर उन्हें सुनें और वो जो भी कह रहे हैं, उस पर रिस्पोंड करें। जैसे कि, आप कुछ ऐसा कह सकते हैं, “चलो आज हम सब मिलकर, प्रोजेक्ट को वक़्त पर पूरा करने के इस मुद्दे पर बात ही कर लेते हैं। आपके पास में इसके लिए क्या आइडिया हैं?”
  4. अगर आप नाराजगी या उदासी को फ़ील करते हैं, तो रिलैक्स हो जाएँ: अगर आप नाराजगी महसूस कर रहे हैं, तो आप शायद अपनी जॉ (जबड़े) को जकड़ सकते हैं और परेशान हो सकते हैं। गहरी साँसें लेना और अपनी मसल्स को रिलैक्स करना, ऐसी स्ट्रॉंग फीलिंग्स को कम करने का एक बहुत अच्छा तरीका है, जो आपको कुछ ऐसा करने से रोक सकता है, जिसे करने के बाद आपको बाद में पछतावा हो।[१३]
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  5. आप नॉर्मली जो भी कुछ करते हैं, उसका एकदम उल्टा करके देखें: अगर आप खुद को किसी स्ट्रॉंग इमोशन तक जाते हुए पाते हैं, तो फिर खुद को वहीं पर रोक दें। जरा सा वक़्त लें और एक बार सोचकर देखें, कि अगर आप अपने आमतौर वाले रिएक्शन की बजाया, उसका एकदम उल्टा करते, तो क्या होता। उसके नतीजे किस तरह से बदलते? अगर ये पॉज़िटिव या प्रोडक्टिव बन जाता है, तो फिर अपनी पुरानी मेथड की जगह पर इस नई मेथड का यूज करें।
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    • उदाहरण के लिए, हो सकता है, कि आप आपके स्पाउज़ (पति/पत्नी) के द्वारा रेगुलरली डिशेज साफ न करने की बात को लेकर परेशान हो जाते हों। ऐसे में एक बहस शुरू करने के बजाय, खुद को सारी डिशेज खुद से साफ करने का चेलेंज करें, फिर बहुत पोलाइट तरीके से अपने स्पाउज़ से पूछें, कि अगर वो चाहें तो आपकी हेल्प कर सकते हैं।
    • अगर ये आपको कठिन लग रहा हो, तो एक बार में कोई बहुत छोटी सी चीज़ को बदलकर शुरुआत करें। आओने स्पाउज़ पर चिल्लाने की बजाय, एक बहुत न्यूट्रल वॉइस में उन्हें आपकी फीलिंग बता दें। अगर ये भी काफी कठिन लग रहा है, तो वहाँ से निकल जाएँ और एक 5 मिनट का ब्रेक लें। आखिर में, आप अच्छे के लिए अपने रिएक्शन को बदलने की ओर काम कर ही पाएंगे।[१४]
  6. अपने आपको ऐसी परिस्थिति से निकाल लें, जहां पर आपको नेगेटिव फीलिंग्स होती हैं: कभी-कभी वहाँ से निकल जाना और ट्रिगर्स को पूरी तरह से अवॉइड करना ही एक बेस्ट रिएक्शन होता है। अगर उस परिस्थिति को बहुत आसानी से और बिना किसी को ठेस पहुंचाए भी ठीक किया जा सकता है, तो खुद को वहाँ से और अपनी नेगेटिव फीलिंग्स से निकालने के लिए आप से जो भी बन सके, करें।[१५]
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    • उदाहरण के लिए, अगर आप काम में एक ऐसी कमिटी में हैं, जिसमें ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो बिल्कुल भी फोकस्ड नहीं हैं, तो शायद मीटिंग अटेण्ड करते वक़्त आप अपसेट हो सकते हैं। अपने आपको किसी और दूसरी कमिटी में असाइन करने का पूछना, इस फ्रस्ट्रेशन से निपटने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।

संपादन करेंकॉन्फिडेंट और दृढ़ता के साथ कम्युनिकेट करना (Communicating Confidently and Assertively)

  1. अपनी फीलिंग्स को डाइरैक्टली और कॉन्फिडेंटली एक्स्प्रेस करें: असर्टिव तरीके से बात करना सीखना, किसी अनचाही परिस्थिति में एक बदलाव लाने के साथ अपने इमोशन्स को कंट्रोल और एक्स्प्रेस करने का एक तरीका होता है। अगर आप एकदम स्पष्ट तरीके से और चतुराई से कर सकें, तो अपनी राय रखने में या फिर आपको कम्फ़र्टेबल न लगने वाली किसी बात के लिए ना कहने में या आपके पास में वक़्त नहीं है कहने में कोई बुराई नहीं है।[१६]
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    • जैसे कि, अगर आपका कोई फ्रेंड आपको पार्टी के लिए इन्वाइट करता है, तो आप ऐसा कह सकते हैं: “थैंक यू, जो तुमने मेरे बारे में सोच! मुझे सच में बहुत ज्यादा भीड़ अच्छी नहीं लगती है, इसलिए मैं इस बार तो नहीं आ सकता। लेकिन इसकी जगह पर कॉफी पर मिलने के बारे में क्या सोचते हो?” ये आपको आपकी फीलिंग्स को अपने अंदर दबाए रखने और उन्हें आप पर कंट्रोल करने देने के बजाय, उन्हें एक्स्प्रेस करने देता है।
  2. दूसरे लोगों के ऊपर दोष डाले बिना, अपने विचारों को पेश करने के लिए “मैं (I)”-स्टेटमेंट्स का यूज करें: इस तरह के कम्यूनिकेशंस आपको दूसरों पर कोई इल्जाम लगाए बिना या किसी को नीचा दिखाए बिना, अपने इमोशन्स को एक्स्प्रेस करने में मदद करते हैं। आप कोई ऐसा सेंटेन्स बोलें, जो दोष लगाने या जजमेंटल होने जैसा लगे, उसके पहले खुद को रोक लें और उसे एक ऑब्ज़र्वैशन (अवलोकन) या अपने विचारों वाले स्टेटमेंट की तरह पेश करें।[१७]
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    • उदाहरण के लिए, "तुमको मेरी कोई परवाह ही नहीं है" बोलने के बजाय, आप ऐसा बोलकर देख सकते है: "मुझे सच में तब बहुत बुरा लगा, तुम मुझे कॉल करने का बोलने के बाद भी कॉल नहीं किए। ऐसा भी क्या हुआ?"
  3. दूसरे लोगों को भी उनके विचारो को शेयर करने के लिए इन्वाइट करें: किसी भी परिस्थिति का सिर्फ एक पहलू नहीं होता है। दूसरे लोगों से उनके विचारों को शेयर करने का कहना, आपके लिए उनके नजरिए को समझने में और उन्हीं के मुताबिक एक डायलोग बनाने में हेल्प कर सकता है। एक्टिव लिसनिंग आपको अपने इमोशन्स को शांत करने में, उनके ऊपर काबू पाने में और उनके दिए हुए आइडियाज को यूज करने के लिए आपको एक सही मेंटल स्टेज में लाने में मदद करती है।
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    • जैसे कि, जब आप आपके विचारों को शेयर करते हैं, तब इसके बाद में कुछ ऐसा बोलकर देखें: "आपके इस बारे में क्या विचार हैं?"
  4. जहां तक हो सके, “चाहिए” और “करना ही पड़ेगा” जैसी जजमेंटल लेंग्वेज का यूज करना अवॉइड करें: इस तरह के स्टेटमेंट्स से क्योंकि ऐसा लगता है, कि चीज़ें वैसी नहीं हो रही हैं, जैसी उन्हें होना चाहिए, इसलिए ये दोष डालने जैसे लग सकते हैं और ये फ्रस्ट्रेशन और नाराजगी की फीलिंग की तरफ भी ले जा सकते हैं। जब भी आप खुद को “चाहिए,” “करना ही पड़ेगा,” या ऐसे ही दूसरे उम्मीद वाले स्टेटमेंट्स का यूज करते हुए पाएँ, रुक जाएँ और याद करें, कि कुछ भी और कोई भी परफेक्ट नहीं होता है। खुद को इम्पर्फेक्शन (कमियों) को स्वीकारने के लिए चेलेंज करें और जो जैसा है, उसे वैसे ही एक्सेप्ट करें।[१८]
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    • उदाहरण के लिए, "मेरे पार्टनर को कभी भी मेरी फीलिंग्स को नहीं ठेस पहुंचानी चाहिए," सोचने के बजाय, आप खुद को ऐसा याद दिला सकते हैं, कि ये पर्सनल नहीं था और आप दोनों ही मिस्टेक्स कर सकते हैं।
    • अगर आपको ऐसा लगता है, कि आप अपने साथ मेन कुछ ज्यादा ही नाइंसाफी कर रहे हैं, तो अपने आपको काइंडनेस (दयालुता) और कम्पैशन (मेहरबानी) दिखाएँ। उदाहरण के लिए, अगर आप कुछ ऐसा सोच रहे हैं, कि “मुझे इस टेस्ट के लिए ज्यादा पढ़ाई नहीं चाहिए। मैं तो फ़ेल ही होने वाला हूँ,” तो इसे “मैं हार्ड स्टडी करूंगा और मैं हमेशा ही इसके लिए तैयार रहूँगा। फिर चाहे कुछ भी क्यों न हो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”

संपादन करेंशांति देने वाला फिजिकल रूटीन तैयार करना

  1. रिलैक्स होने और उत्साह को कम करने के लिए रेगुलरली वर्क आउट करें: स्वीमिंग, वॉकिंग या रनिंग जैसी खासकर शांत और दोहराई जाने वाली एक्सर्साइज़ पाना, आपके मन और आपके सेन्सेस को शांत करने में मदद कर सकता है। आप चाहें तो योगा या पिलाटिज (Pilates) भी करके देख सकते हैं, जो सूदिंग (आराम देने वाले), स्ट्रेचिंग एक्सर्साइज़ और ब्रीदिंग टेक्निक्स के जरिए मन को स्थिर करने की ओर फोकस करती हैं।[१९]
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  2. अपने शरीर को आराम देने वाले अलग-अलग सेन्सेस पर ध्यान दें: अपने डेली सेल्फ-केयर रूटीन में काम करने के लिए अपने आस-पास की दुनिया की सुंदरता और शांत माहौल की सराहना पर ध्यान केंद्रित करें। ये ग्रेटिट्यूड (आभार) पर और फिजिकल सेन्सेस पर किया हुआ फोकस आपको उस वक़्त पर शांत करने में मदद कर सकते हैं, जब आप स्ट्रेस में हों या एकदम आपे से बाहर हों। इस तरह की कुछ अलग-अलग टेक्निक्स के साथ एक्सपेरिमेंट करें:[२०]
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    • सूदिंग (आरामदायक) म्यूजिक सुनना।
    • एक डॉग या कैट को पैट (हाँथ फेरना) करना। अपने सेन्सेस के ऊपर फोकस करने के साथ, स्टडीज़ से ऐसा भी मालूम हुआ है, कि अपने प्यारे पैट के साथ में रेगुलर इन्टरैक्शन भी डिप्रेशन को कम करने में मदद करता है।[२१]
    • एक शांत वॉक पर जाना, अपने आसपास की खूबसूरती पर फोकस करना।
    • हॉट शावर के नीचे वार्म बाथ लेना। फिजिकल गर्माहट भी काफी सारे लोगों को रिलैक्स करता और आराम देती है।[२२]
    • अपने फेवरिट फूड को खाएं और उसके टेस्ट के मजे लें।
  3. सूदिंग सेल्फ-टच ट्राइ करें: इन्सानों को कामयाब होने के लिए एक प्यार भरे टच की जरूरत पड़ती है।[२३] पॉज़िटिव टच से ऑक्सीटोसिन (oxytocin), एक ऐसा पावरफुल हॉरमोन रिलीज होता है, जो आपके मूड को बूस्ट करता है, स्ट्रेस से राहत दिलाता है और आपको दूसरे लोगों के साथ जुड़ा हुआ सा भी फील कराता है। ऐसी टेक्निक्स, जो आपको इमोशनल वक़्त में रिलैक्स करने में हेल्प करती हैं, वो ये हैं:[२४]
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    • अपने हाँथ को अपने दिल पर रखना। अपने दिल की धड़कन को, अपनी चेस्ट के फूलने और नीचे जाने को और अपनी स्किन की गर्माहट को फील करना। अपने आप से “मैं प्यार पाने के लायक हूँ” या “मैं अच्छा हूँ” जैसे कुछ पॉज़िटिव वर्ड्स रिपीट करें।
    • अपने आप को एक हग दें (गले लगाएँ)। अपनी आर्म्स को अपनी चेस्ट के ऊपर क्रॉस कर लें और खुद को आराम से दबाते हुए अपने हाँथों को अपनी अपर आर्म्स पर रखें। “मैं खुद से बहुत प्यार करता हूँ” जैसे पॉज़िटिव वाक्यों को दोहराएँ।
    • अपने चेहरे को ठीक उसी तरह से अपने हाँथों में भर लें, जैसे आप किसी बच्चे या अपने लव्ड वन के चेहरे को लेते हैं और अपने चेहरे को अपनी उँगलियों से थपकी दें। अपने आप से “मैं कितनी खूबसूरत हूँ। मैं कितनी दयालु हूँ।” जैसे अच्छे शब्दों को रिपीट करें।
  4. मेडिटेशन करें: मेडिटेशन चिंता और डिप्रेशन को कम करने के साथ ही स्ट्रेस से निपटने की अपनी एबिलिटी को सुधारने का एक अच्छा तरीका होता है, रेगुलर माइंडफुलनेस मेडिटेशन भी आपको आपके इमोशन्स को रेग्युलेट करने में हेल्प कर सकते हैं। आप एक क्लास ले सकते हैं, ऑनलाइन गाइडेड मेडिटेशन कर सकते हैं या आप खुद से भी माइंडफुलनेस मेडिटेशन करना सीख सकते हैं।[२५]
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    • एक कम्फ़र्टेबल, शांत जगह पर सीधे बैठ जाएँ। गहरी, साफ साँसें लें और सांस लेने के हर एक छोटे से एलीमेंट, जैसे कि साउंड या लंग्स में हवा भरने पर, उनमें हुआ उभार, पर फोकस करें।[२६]
    • अपने फोकस को बढ़ाकर, अपने बाकी के शरीर पर लेकर आ जाएँ। ध्यान दें, कि आपके दूसरे सेन्सेस किस तरह का एक्सपीरियंस करते हैं। किसी भी एक ही सेंस पर बहुत ज्यादा फोकस या उसे जज न करने की कोशिश करें।
    • आपके सामने आने वाले हर एक विचार और सेन्सेशन को स्वीकार करें और अपने आप से “मेरे मन में ऐसा विचार आ रहा है, कि मेरी नाक में खुजली हो रही है” जैसा कुछ बोलकर इन सबको स्वीकार करें। अगर आप आपके ध्यान को भटकता हुआ पाते हैं, तो अपने ध्यान को फिर से अपनी साँसों पर लेकर आएँ।
  5. अपने आप से सेल्फ-अफ़र्मिंग (आत्म-पुष्टि) करने वाले मंत्रों को रिपीट करें: माइंडफुलनेस का असली मकसद, बिना किसी रुकावट या जजमेंट के, उस वक़्त पर होने वाले एक्सपीरियंस को स्वीकार करना होता है। इसे करने से ज्यादा, बोलना आसान होता है, लेकिन आप माइंडफुलनेस टेक्निक की प्रैक्टिस करते हुए खुद ही पाएंगे, कि आपके ब्रेन ने आपकी इन नई “आदतों” को अपना लिया है। जब भी आप किसी मुश्किल हालात में हों, तब खुद से कुछ इस तरह के सपोर्टिव वाक्यों को दोहराएँ:[२७]
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    • मैं हमेशा इसी तरह से नहीं फील करते रहना वाला हूँ, और ये फीलिंग भी चली जाएगी।
    • मेरे विचार और भावनाएँ सच नहीं हैं।
    • मुझे अपने इमोशन्स के ऊपर कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहिए।
    • मैं इस पल में बहुत खुश हूँ, फिर चाहे ये कितना भी अनकम्फ़र्टेबल ही क्यों न हो।
    • इमोशन्स तो आते और जाते रहते हैं, मैंने पहले भी तो इस तरह के इमोशन्स का मुक़ाबला किया है।

संपादन करेंलॉन्ग-टर्म (लंबे वक़्त तक) शांति पाने की तरफ काम करना

  1. अपनी इमोशनल खलबली का सामना करें, ताकि आप उससे अपना पीछा छुड़ा सकें: अगर आप इमोशनल कंट्रोल की कमी महसूस कर रहे हैं, तो इसकी असली वजह को पाने के लिए अपनी पर्सनल हिस्ट्री में गहराई तक झाँकने की कोशिश करें। इमोशनल उथल-पुथल के आने की वजह को जानने से आपको उसे स्वीकारने के तरीके का पता लगाने और उससे राहत पाने के में मदद मिलेगी।[२८]
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    • इस बारे में सोचें, कि जब आप बड़े हो रहे थे, तब आपकी फैमिली में होने संघर्षों को किस तरह से हैंडल किया जाता था। क्या आपके पेरेंट्स, उनके इमोशन्स को छिपाते थे या दिखाते थे? क्या कुछ खास इमोशन्स “ऑफ-लिमिट्स (लिमिट के बाहर)” होते थे? कौन से इमोशन्स आपके लिए सबसे ज्यादा अनकम्फ़र्टेबल हुआ करते थे और आपकी फैमिली किस तरह से उन्हें हैंडल किया करती थी?[२९]
    • आप आपकी लाइफ के टर्निंग पॉइंट्स, जैसे कि डिवोर्स, एक डैथ के बारे में या फिर घर बदलने या जॉब खोने के जैसे बड़े बदलावों की तरफ भी ध्यान देकर देख सकते हैं। आपको किस तरह के इमोशन्स फील हुए थे और आप किस तरह से उन ओर रिएक्ट करते थे?
  2. डर या तर्कहीनता पर आधारित पैटर्न्स और विश्वास को चेलेंज करें: आपके इमोशनल उतार-चढ़ाव के पीछे की असली वजह को पहचानना, ये आपको उन विश्वासों का सामना करने और उन्हें दूर करने की शक्ति देता है जो इसे पैदा कर रहे हैं। उस स्थिति से एक कदम पीछे जाएँ और डर या अपर्याप्तता जैसी नेगेटिव मान्यताओं की निष्पक्ष पहचान करें। इन टॉक्सिक फीलिंग्स के पीछे की असली वजह क्या है? इसका सामना करने और इससे निपटने के लिए आप क्या कर सकते हैं?[३०]
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    • उदाहरण के लिए, अपने आप में अपर्याप्त होने की भावना “पॉज़िटिव को नजरअंदाज करने” के विचार की तरह होता है: अगर कोई आपके बारे में कुछ अच्छा कहता है, तो इसका कोई मतलब नहीं निकलता, लेकिन अगर वो आपके बारे में कुछ बुरा कहता है, तो "आपको इसके ऊपर विचार करना है।" आपके द्वारा आपकी लाइफ में की जाने वाली सारी अच्छी चीजों की ओर ध्यान देकर इसे चेलेंज करें।
    • डर की वजह से होने वाली इमोशनल उथल-पुथल, निष्कर्ष पर कूदने की प्रवृत्ति के रूप में प्रकट हो सकती है, जब आप एक नेगेटिव जजमेंट करते हैं, फिर चाहे उसका सपोर्ट करने के लिए कोई सच्चाई हो या न हो। अपने आप को हर कदम पर चेलेंज करके और अपने निष्कर्षों के सबूतों की जांच करके, इस तरह की सोच को चेलेंज करें।
    • इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी ही दूसरी नकारात्मक भावनाओं को उजागर करते हैं, आप अपने आप से निष्पक्ष सत्य के बारे में पूछकर और अपनी ओर जरा सी दिखाकर, लगभग उनमें से हर एक को चेलेंज कर सकते हैं।
  3. सेल्फ-रिफ्लेक्शन (अपने बारे में विचार करना) प्रैक्टिस करने के लिए एक जर्नल लिखना शुरू करें: अपने इमोशन्स के बारे में जर्नल करने से, आपको अपनी फीलिंग्स को पहचानने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही ये आपको किसी खास इमोशन के पीछे के ट्रिगर की पहचान करने में भी मदद करेगा और साथ ही उन से निपटने के हेल्पफुल और अनहेल्पफुल तरीकों की पहचान करने में भी मदद करेगा।[३१]
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    • अपने इमोशन्स को पहचानने, आपको बुरा फील कराने वाली चीजों को दूर करने, अपनी तरफ दया दिखाने किसी खास इमोशनल रिस्पोंस की वजह के बारे में सोचने और अपनी फीलिंग की ज़िम्मेदारी लेने और उन को काबू करने के लिए, अपनी जर्नल का यूज करें।
    • अपनी जर्नल एंट्री में खुद से कुछ सवाल पूछें, जैसे कि: मैं अभी इस वक़्त कैसा फील कर रहा हूँ? क्या मुझे ऐसा लग रहा है, कि इस प्रतिक्रिया को भड़काने के लिए कुछ भी हुआ? जब मुझे ऐसा फील होता है, तब मुझे क्या करना चाहिए? क्या मुझे इसके पहले कभी ऐसा फील हुआ है?
  4. नेगेटिव विचारों को पॉज़िटिव विचारों में बदल लें: अपने दृष्टिकोण में और भी पॉज़िटिव होने में वक़्त और प्रैक्टिस लग सकती है, लेकिन ये आपके अचानक आने वाले या परेशान करने वाले इमोशन्स और अनुभवों के प्रति फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ा सकता है। हर दिन के आखिर में, आपके साथ हुई कुछ 1 या 2 पॉज़िटिव बातों के बारे में लिखें, फिर चाहे ये आपके द्वारा रेडियो पर सुना हुआ कोई एक अच्छा सॉन्ग हो या फिर एक फनी जोक।[३२]
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    • परमानेंट स्टेटमेंट्स को किसी एक फ्लेक्सिबल स्टेटमेंट से रिप्लेस कर दें। जैसे कि, अगर आप किसी एग्जाम को लेकर स्ट्रेस में हैं, तो हो सकता है, कि आपके मन में ऐसा विचार आए, कि आप तो फेल होने वाले हैं, तो फिर पढ़ाई करने का क्या मतलब।
    • ऐसा सोचना, कि आप खुद में कोई सुधार नहीं ला सकते हैं, इसके बजाय अपने विचारों को कुछ इस तरह से बदलने की कोशिश करें, “मैं एक्स्ट्रा फ्लैश कार्ड्स बना लूँगा और एक स्टडी ग्रुप जॉइन करूंगा। मैं शायद टेस्ट में बहुत अच्छा न कर पाऊँ, लेकिन मुझे ये तो पता होगा, कि मैंने अपनी ओर से बेस्ट दिया।” किसी एक्सपीरियंस की ओर कुछ इस तरह से देखना, जैसे उसे बस जरा सी मेहनत से बदला जा सकता है, ये आपको सफलता की तरफ लेकर जाता है।
  5. प्रोफेशनल हेल्प की तलाश करें: कभी-कभी आप आपके इमोशन्स को कंट्रोल करने के लिए सब-कुछ करते हैं और तब भी उन से अभिभूत महसूस कर सकते हैं। एक लाइसेन्स्ड मेंटल हैल्थ प्रोफेशनल के साथ मिलकर काम करने से आपको बेमतलब के इमोशनल रिस्पोंसेस की पहचान करने में और अपनी फीलिंग्स को प्रोसेस करने के नए हेल्दी तरीकों को खोजने में मदद मिल सकती है।
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    • अपने इमोशन्स को हैंडल करने में आने वाली मुश्किलें, कभी-कभी पास्ट अब्यूस (बीते वक़्त में हुई कोई मुश्किल) या ट्रॉमा जैसी किसी और सीरियस प्रॉब्लम होने का भी एक इशारा हो सकता है या ये शायद डिप्रेशन जैसे किसी डिसऑर्डर का साइन भी हो सकता है।

संपादन करेंचेतावनी

  • अपने इमोशन्स पर काबू पाना जरूरी होता है, लेकिन उन्हें अपने अंदर दबाए रखना या उनकी मौजूदगी को ही नजरअंदाज करना एकदम अलग बात होती है। अपने इमोशन्स को दबाकर रखने की वजह से फिजिकल डिसऑर्डर्स और साथ ही दूसरे कुछ और भी इमोशनल सिम्प्टंस भी हो सकते हैं।

संपादन करेंस्रोत और उद्धरण


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