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कैसे हाथ की रेखायें पढें

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हस्तरेखाओं का पाठन जिसे हस्तरेखा विज्ञान अथवा सामुद्रिक शास्त्र भी कहते हैं, सारी दुनिया में प्रचलित है। इसका प्रारम्भ भारतीय ज्योतिष शास्त्र एवं जिप्सी भविष्य वक्ताओं से हुआ है।[१] इसका उद्देश्य हस्तरेखाओं के अध्ययन से किसी व्यक्ति के चरित्र अथवा भविष्य का आकलन करना। चाहे आप शौकिया हस्तरेखाएँ पढ़ने वाले हों, केवल मज़े से समय बिताने के लिए पढ़ने वाले हों अथवा मित्रों को प्रभावित करने के लिए पढ़ने वाले हों आप भी किसी का हाथ अपने हाथ में ले कर अंतर्दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं।

संपादन करेंचरण

संपादन करेंरेखाओं को समझना

  1. एक हाथ का चयन करें: हस्तरेखा शास्त्र में ऐसा कहा जाता है:

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    • महिलाओं के लिए, दाँया हाथ जन्म के फल का द्योतक होता है और बाँया कर्मों का,
    • पुरुषों के लिए स्थिति इसकी उल्टी होती है। बाँया हाथ जन्म का और दाँया कर्मों का द्योतक होता है।
    • वैसे तो आप प्रमुखता से उपयोग किए जाने वाले हाथ को तत्कालीन/पिछले जीवन के लिए चुन सकते हैं (और प्रमुखता से उपयोग न किए जाने वाला हाथ तब भविष्य का हाथ होगा)।
      • इस विषय में अलग अलग विचारधाराएँ हैं। कुछ का कहना है कि बाँया हाथ क्षमताओं का द्योतक होता है अर्थात क्या कुछ हो सकता है, आवश्यक नहीं कि, क्या होगा। और हाथों में परिवर्तन का अर्थ है कि जीवन में या तो कुछ परिवर्तन हो रहा है अथवा ऐसा कुछ किया जाने वाला है जिससे परिवर्तन होगा।[२]
  2. चार मुख्य रेखाओं को पहचानिए: उनमें दरारें हो सकती हैं या हो सकता ही कि वे छोटी हों, परंतु कम से कम उनमें से तीन तो वहाँ होनी ही हैं।

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    • (1)हृदय रेखा
    • (2)मस्तिष्क रेखा
    • (3)जीवन रेखा
    • (4)भाग्य रेखा (केवल कुछ ही लोगों के होती है)
  3. हृदय रेखा का विवेचन करें: प्रचलित परम्पराओं के अनुसार, इस रेखा को किसी भी दिशा से पढ़ा जा सकता है कनिष्ठिका से तर्जनी की ओर अथवा विपरीतक्रम से। विश्वास किया जाता है कि यह रेखा भावनात्मक स्थिरता, रूमानी दृष्टिकोण, विषाद एवं हृदय के स्वास्थ्य की द्योतक होती है। मूल विवेचन इस प्रकार हैं:
    • तर्जनी के नीचे से शुरू होती है तो – जीवन में प्रेम से संतुष्ट

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    • मध्यमा के नीचे से शुरू होती है तो – प्रेम के मामले में स्वार्थी

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    • बीच में से शुरू होती है तो – आसानी से प्रेम में पड़ जाते हैं

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    • सीधी एवं छोटी – प्रेम में कम रुचि

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    • जीवन रेखा को छूती है – आसानी से दिल टूटता है

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    • लंबी तथा वक्र – अपनी भावनाओं एवं प्रेम का खुला प्रदर्शन

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    • सीधी एवं मस्तिष्क रेखा के समानान्तर – भावनाओं पर कठोर नियंत्रण

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    • वक्र – अनेक संबंध एवं प्रेमी, गंभीर सम्बन्धों का अभाव

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    • रेखा पर गोल चिन्ह – दुख एवं विषाद

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    • टूटी हुई रेखा – भावनात्मक आघात

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    • छोटी छोटी रेखाओं द्वारा हृदय रेखा को काटा जाना - भावनात्मक आघात

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  4. मस्तिष्क रेखा का विवेचन करें: यह विद्वत्ता, सम्प्रेषण पद्धति, बौद्धिकता एवं ज्ञानपिपासा की द्योतक होती है। वक्र रेखा सृजनात्मकता एवं स्वच्छंदता से सम्बद्ध होती है, जबकि एक सीधी रेखा व्यावहारिकता एवं सधे हुये दृष्टिकोण को दर्शाती मानी जाती है। मूल विवेचन इस प्रकार हैं:
    • छोटी रेखा – मानसिक उपलब्धियों की दैहिक उपलब्धियों पर प्राथमिकता

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    • वक्र ढलवां रेखा – सृजनात्मकता

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    • जीवन रेखा से अलग – साहसी, जीवन उत्साह से भरपूर

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    • लहराती हुई रेखा – छोटी याददाश्त

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    • गहरी, लंबी रेखा – केन्द्रित एवं स्पष्ट विचार क्षमता

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    • सीधी रेखा – यथार्थवादी

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    • मस्तिष्क रेखा में काटकूट अथवा गोल चिन्ह – भावनात्मक संकट

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    • भंग मस्तिष्क रेखा – विचारों में विसंगति

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    • मस्तिष्क रेखा पर अनेक काटकूट के चिन्ह – महत्वपूर्ण निर्णय

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  5. जीवन रेखा की विवेचना करें: यह अंगूठे के निकट से शुरू होती है और धनुषाकार हो कर कलाई तक जाती है। यह शारीरिक स्वास्थ्य, सामान्य डील डौल तथा जीवन के महत्वपूर्ण परिवर्तनों (जैसे प्रलयंकारी घटनाओं, शारीरिक चोटों एवं स्थान परिवर्तन) को प्रतिबिम्बित करती है। इसकी लंबाई, आयु से सम्बद्ध नहीं है। मूल विवेचन इस प्रकार हैं:
    • अंगूठे के निकट रहती है – बहुधा थकान

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    • वक्र – ऊर्जावान

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    • लंबी, गहरी – उत्साही

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    • छोटी एवं छिछली – दूसरों के बहकावे में आने वाला

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    • अर्धवृत्ताकार चक्र – शक्ति एवं उत्साह

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    • सीधी एवं हथेली के किनारे के सन्निकट – संबंध बनाने में सतर्क

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    • अनेक जीवन रेखाएँ – अतिरिक्त जीवनशक्ति

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    • रेखा में गोल चिन्ह – चोट अथवा अस्पताल में भर्ती होने के द्योतक हैं।

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    • रेखा भंग – जीवन शैली में परिवर्तन

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  6. भाग्य रेखा का विवेचन करें: यह नियति रेखा भी कहलाती है और यह इंगित करती है कि किसी व्यक्ति का जीवन उसके नियंत्रण के बाहर की परिस्थितियों से किस हद तक प्रभावित होता है।[३] यह हथेली के मूल से शुरू होती है। मूल विवेचन इस प्रकार हैं:
    • गहरी रेखा – भाग्य का प्रभावी नियंत्रण

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    • रेखा भंग एवं दिशा परिवर्तन – परिस्थितिवश जीवन में अनेक परिवर्तनों की संभावना

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    • प्रारम्भ में जीवन रेखा से जुड़ी हुई – स्वनिर्मित व्यक्ति, शीघ्र ही महत्वाकांक्षी हो जाता है

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    • लगभग मध्य में जीवन रेखा से जुड़ जाती है – यह जीवन का वह काल दर्शाता है जब दूसरों के कल्याण के लिए स्वयं के हितों का बलिदान कर दिया जाता है

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    • अंगूठे के आधार से आरम्भ हो कर जीवन रेखा को काटती है – मित्रों एवं संबंधियों द्वारा सहायता

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संपादन करेंहाथ एवं अंगुलियों आदि का विवेचन

  1. हाथ का आकार देखें: हाथ का हर आकार चरित्र की किसी न किसी विलक्षणता का द्योतक होता है। हथेली की लंबाई कलाई से अंगुलियों के आधार तक नापि जाती है। मूल विवेचन इस प्रकार हैं:

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    • ”धरती” – चौड़ी, वर्गाकार हथेली, स्थूल तथा खुरदुरी अंगुलियाँ, सुर्ख रंग, हथेली तथा अंगुलियों की लंबाई बराबर होती है।
      • सुदृढ़ मूल्य एवं ऊर्जा, परंतु कभी कभी हठीला स्वभाव
      • व्यावहारिक एवं ज़िम्मेवार, कभी कभी भौतिकतावादी
      • अपने हाथों से काम करने वाले एवं उसी में सुखी रहने वाले
    • ”वायु” – लंबी अंगुलियों के साथ वर्गाकार अथवा आयताकार हथेलियाँ, कभी कभी बाहर को निकले हुये पोर, नीचे को दबा हुआ अंगूठा और शुष्क त्वचा; अंगुलियों की लंबाई से छोटी हथेलियाँ
      • मिलनसार, बातुनी एवं हाजिरजवाब
      • छिछला, ईर्ष्यालु एवं भावशून्य
      • दूसरों से अलग एवं स्वच्छंद तरीके से कार्य करने वाला
    • ”जल” – लंबी शंक्वाकार अंगुलियों के साथ, लंबी, कभी कभी अंडाकार हथेली; हथेली की लंबाई अंगुलियों की लंबाई के बराबर परंतु हठेली के सबसे चौड़े भाग की चौड़ाई से कम।
      • सृजनात्मक, अनुभवी एवं संवेदी
      • तुनकमिजाज, भावुक एवं संकोची
      • अंतर्मुखी
      • शांतचित्त एवं सहजज्ञान से कार्य करने वाला
    • ”अग्नि” - वर्गाकार अथवा आयताकार हथेलियाँ, लाल अथवा गुलाबी त्वचा एवं छोटी अंगुलियाँ; अंगुलियों से लंबी हथेली
      • सहज, उत्साही एवं आशावादी
      • कभी कभी अहंवादी, मनमौजी एवं असंवेदनशील
      • बहिर्मुखी
      • निडरतापूर्वक, सहजज्ञान से कार्य करने वाला
  2. पर्वतों को देखिये: ये है पोरों के पीछे, अंगुलियों के नीचे का मांसल भाग। इनको देखने के लिए अपने हाथ को कप जैसा बनाइये। अब बताइये कि कौन सा, सबसे बड़ा है?

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    • उच्च शुक्र पर्वत (आपके अंगूठे के नीचे वाला भाग) सुखवादिता, स्वच्छंदता एवं क्षणिक परितुष्टि की आवश्यकता को इंगित करता है। शुक्र पर्वत की अनुपस्थिति पारिवारिक मामलों में उदासीनता को इंगित करती है।
    • तर्जनी के नीच के पर्वत को बृहस्पति पर्वत कहते हैं। इसके उन्नत होने का अर्थ है कि आप प्रभावी, संभवतः आत्मकेंद्रित एवं अति महत्वाकांक्षी हैं। और इसकी अनुपस्थिति का अर्थ है कि आप में विश्वास की कमी है।
    • आपकी मध्यमा के नीचे शनि पर्वत है। उच्च पर्वत, आपके हठी, चिड़चिड़े एवं विषादग्रस्त होने का द्योतक है। यदि यह दबा हुआ है तो यह सतहीपन एवं अव्यवस्था का द्योतक है।
    • सूर्य पर्वत आपकी अनामिका के नीचे है। यदि सूर्य पर्वत उच्च है तो आप जल्दी क्रोधित हो जाने वाले, शाहखर्च और गर्वीले हैं। दबा हुआ सूर्य पर्वत आपके कलपनाहीनता का द्योतक है।
    • बुध पर्वत आपकी कनिष्ठिका के नीचे होता है। यदि यह उभरा हुआ है तो आप बहुत वाचाल हैं। दबे हुये पर्वत का अर्थ इसके विपरीत है – आप शर्मीले हैं।
      • इसमें से कुछ भी विज्ञान पर आधारित नहीं है। और आपके हाथों में समय के साथ परिवर्तन होता ही रहता है। इस सबको गंभीरता से मत लीजिये!
  3. हाथ और अंगुलियों को नापिए: जिनके हाथ शरीर के आकार की तुलना में छोटे होते हैं उनके संबंध में कहा जाता है कि वे फुर्तीले होते हैं तथा इस संबंध में अधिक नहीं सोचते हैं कि करना क्या है। बड़े हाथों वाले विचारशील और धीमे काम करने वाले होते हैं।[४]

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    • ध्यान रहे कि यह शरीर की तुलना में है। यदि आप लंबे हैं (2.4 मी), तब आपके हाथ तो चार वर्ष के बच्चे से बड़े ही होंगे। यह सब सानुपातिक है।
    • और हाँ, लंबी अंगुलियाँ सुसंस्कृत, सुंदरता एवं कोमलता के साथ व्यग्रता की निशानी भी हो सकती हैं। छोटी अंगुलियाँ उनकी होती हैं जो व्यग्र, कामुक एवं सृजनशील होते हैं।
    • दूसरी ओर लंबे नखों का अर्थ है कि आप दयावान हैं और रहस्यों के उत्तम रखवाले हैं। छोटे नाखूनों का अर्थ है कि आप छिद्रान्वेषी एवं व्यंग्यात्मक हैं। यदि वे बादाम के आकार के हैं तब आप मृदु एवं व्यवहार कुशल हैं।[२]

संपादन करेंसलाह

  • स्वीकार कर लीजिये कि हस्तरेखाओं का अध्ययन सदैव सही नहीं होता है। भविष्य-वाचन को अपने जीवन और निर्णयों को प्रभावित मत करने दीजिये; अपितु आपके प्रयास एवं दृढ़ता ही आपको जीवन में सफल होने में सहयोग करेंगी।
  • सुनिश्चित करिए कि जहां पर आप हस्तरेखाएँ देखें वह स्थान अच्छी तरह से प्रकाशित हो क्योंकि अंधकार में हस्तरेखाएँ ठीक से नहीं पढ़ी जा सकती हैं।
  • सब चीजों पर विश्वास मत करिए। चाहे जो भी हो आप अपने निर्णय स्वयं ले सकते हैं।
  • हस्तरेखाएँ पढ़ते समय लोगों को आकलन मत करिए।
  • पतली और छिछली रेखाओं पर ध्यान मत दीजिये। केवल चार मुख्य रेखाओं का अध्ययन करिए। अन्य रेखाओं पर ध्यान देने से आपको भ्रांति हो सकती है। ये रेखाएँ किसी अनुभवी व्यक्ति के लिए छोड़ दीजिये।
  • हस्तरेखाओं का अध्ययन सदैव सही नहीं होता है।
  • अपनी बच्चों की रेखा को देखिये। दाहिने हाथ की मुट्ठी बाँधिए। हाथ के बाहरी ओर देखिये, कनिष्ठिका की ओर। जितनी रेखाएँ होंगी आपके उतने ही बच्चे होंगे (हथेली को अंगुली से जोड़ने वाली रेखा बच्चों की रेखा में नहीं गिनी जाएगी)। वैसे आपके कितने बच्चे होंगे यह तो निर्भर करेगा आपकी व्यक्तिगत पसंद पर, परिवार नियंत्रण विधि पर तथा आपके किसी से मिलन अथवा विछोह पर।
  • आगे और पीछे से हाथ की संरचना देखें। कोमल हाथ संवेदनशीलता एवं सभ्यता के द्योतक होते हैं जबकि कठोर हाथ शुष्क प्रकृति के द्योतक होते हैं। [५]
  • जैसे जैसे आप जीवन में आगे बढ़ते हैं वैसे वैसे हाथों की रेखाएँ परिवर्तित होती जाती हैं, अतः यह कहा जाता है कि हस्तरेखाओं के अध्ययन से यह तो बताया जा सकता है कि भूतकाल में क्या हुआ था परंतु भविष्य बताना संभव नहीं है।[६]
  • किसी की भी हस्तरेखाओं का अध्ययन उसकी अनुमति से ही करें।
  • उसको सरल एवं मधुर ही रखिए।

संपादन करेंचेतावनी

  • यदि आप किसी की हस्तरेखाओं का अध्ययन करने जा ही रहे हैं तो उसको हलका-फुलका ही रखिए। ऐसे कुछ भयानक भविष्यकथन मत करिए कि वे अपने जीवन के लिए चिंतित हो जाएँ; आपको ऐसा कुछ बहुत अधिक नहीं मालूम है। कोई भी हस्तरेखाओं के संबंध में असंदिग्ध नहीं है अतः ऐसा कोई भविष्यकथन मत करिए जिसके कारण कोई स्वयं को हानि पहुंचा ले अथवा उसका जीवन नष्ट हो जाये।
  • ध्यान रहे कि हस्तरेखा अध्ययन केवल मनोरंजन के लिए है तथा मनोवैज्ञानिक लक्षणों एवं हाथ की आकृति में पारस्परिक सम्बन्ध का कोई प्रामाणिक सबूत नहीं है।

संपादन करेंस्रोत और उद्धरण


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