मोमबत्तियाँ बनाना एक ऐसी शिल्पकला है जो शताब्दियों पुरानी है, जिसका जन्म 200 ईसवी में आवश्यकताओं के कारण हुआ, और जो आज एक एक जोरदार लोकप्रिय शौक बन चुकी है। घर में मोमबत्तियाँ बना कर, इस पुरातन कला में गोता लगाइए। इनको बनाना आसान है, देखने में मनमोहक है ..... और ये सुंदर उपहार भी हो सकती हैं। घर में बनाई जा सकने वाली मोमबत्तियाँ बनाने के लिए निम्न निर्देशों का पालन करें।
[संपादन करें]चरण
[संपादन करें]पिघलाने के लिए मोम को तैयार करना
- निश्चय कीजिये कि मोमबत्ती बनाने के लिए आप कैसे मोम का प्रयोग करेंगे: चयन करने के लिए अनेक प्रकार का मोम उपलब्ध है। एक पाउंड पैराफीन मोम से लगभग 20 औंस तरल पिघला हुआ मोम मिल सकता है। एक पाउंड सोय मोम से पिघलाने पर लगभग 18 औंस तरल मिल सकता है। एक पाउंड मधुमोम से पिघलाने पर लगभग 16 औंस तरल मिल सकता है।
- पारंपरिक रूप से पैराफीन मोम से ही मोमबत्तियाँ बनाई जाती रही हैं और आज भी वही सबसे लोकप्रिय मोम है। नौसिखियों के लिए यह अच्छा है, क्योंकि यह जल्दी पिघल जाता है, सस्ता है और इसमें आसानी से रंग और इत्र मिलाया जा सकता है। हालांकि यह याद रखना होगा कि मोम के पिघलाने से जो रसायन निकलते हैं उनसे कुछ लोगों को जलन हो सकती है।
- सोय मोम की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है क्योंकि वह इस्तेमाल करने में आसान होता है, सोयाबीन से बनता है और उसे आसानी से साफ किया जा सकता है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और स्वाभाविक रूप से इसका नवीनीकरण हो सकता है। कहा जाता है कि सोय मोम अन्य मोम की तुलना में धीमे जलता है।[१]
- मधुमोम (Beeswax) पूर्णतया प्राकृतिक होता है और उसमें वायुमंडल साफ करने के गुण भी होते हैं; यद्यपि न तो इसमें कोई गंध टिकती है और न ही कोई रंग। वैसे आवश्यक तेल इसमें मिलाये जा सकते हैं, मगर याद रखिए कि मधुमोम की अपनी एक मधुर गंध होती है।[२]
- आप उन पुरानी मोमबत्तियों का भी प्रयोग कर सकते हैं, जिन्हें आप पहले जला चुके हों या जिनका आधा भाग पिघल चुका हो या विकृत हो चुका हो। पुरानी मोमबत्तियों का प्रयोग उनके पुनर्चक्रण की एक अच्छी विधि है। उनको बस वैसे ही पिघलाइए जैसे कि अन्य मोम को पिघलाते (देखिये भाग दो)।[३]
- प्रारम्भ करने से पूर्व अपने कार्य स्थान को सुरक्षित बना लें: जब तक कि आपके पास ऐसा कोई समर्पित कार्य स्थान नहीं हो जहां पर आप चिंता किए बिना मोम से काम कर सकें, आपको अखबार, मोमिया कागज, या तौलिये या चिथड़े उस सतह पर रखने होंगे जहां आप काम करेंगे। छलक जाने की स्थिति से निबटने के लिए, कुछ साबुन युक्त गर्म पानी भी आस पास ही तैयार रखिए।
- मोम के टुकड़े या छीलन तैयार कर लीजिये: मोम के छोटे टुकड़े, बड़े टुकड़ों की तुलना में आसानी से पिघलते हैं। छोटे टुकड़ों के प्रयोग से आप सुनिश्चित करते हैं कि मोम समगति से पिघले।[४]
- जैसा कि आप खाना बनाते समय प्रयोग करते हैं, उसी प्रकार का एक डबल बॉयलर तैयार करिए: मोमबत्ती के मोम को आप सीधी आंच पर नहीं रख सकते हैं। उसको धीरे धीरे पिघलाना होता है अन्यथा, या तो उसमें आग लग जाएगी या वह वाष्पीभूत हो जाएगा। बड़े बर्तन को पानी से आधा भरिए। बड़े बर्तन में एक छोटा बर्तन रखिए। यह छोटा बर्तन वह होगा जिसमें आप मोम पिघलाएंगे। ध्यान रखिएगा कि मोम को साफ करना कठिन होता है - शायद आप कोई सस्ता, गरम हो सकने योग्य ऐसा बर्तन खरीदना चाहेंगे, जिसे आप मोमबत्ती बनाने के बर्तन की तरह ही प्रयोग करना चाहें।
[संपादन करें]मोम को पिघलाना
- मोम के टुकड़ों या छीलन को छोटे बर्तन में रखिए: आग जलाइए ताकि पानी उबलने लगे। उबलते पानी के कारण धीरे धीरे मोम पिघलने लगेगा।
- ध्यान रखिये की मोम को बाद में बर्तन से निकालना मुश्किल होगा इसलिए इस काम के लिए अलग से हीट रेसिस्टेंट पॉट खरीद लें।
- एक घरेलू थर्मामीटर का प्रयोग कर मोम के तापमान पर नज़र रखिए: आप कुकिंग या क्राफ्ट स्टोर में से कैंडी या मोमबत्ती थर्मामीटर खरीद सकते हैं। यदि आपके पास कैंडी थर्मामीटर नहीं है, तो आप मीट थर्मामीटर का भी प्रयोग कर सकते हैं। बस इतना याद रखिए कि मोम को छुड़ा पाना कठिन होता है।
- पैराफीन मोम को 122 से 140 डिग्री फ़ैरनहाइट (50 से 60 डिग्री सेंटीग्रेड) तक गर्म कर पिघलाना चाहिए।[५]
- सोय मोम को तब तक पिघलाना चाहिए जब तक वह 170 से 180 डिग्री फ़ैरनहाइट (76.6 से 82.2 डिग्री सेंटीग्रेड) तक न पहुँच जाये।[६]
- मधूमोम को तब तक पिघलाना चाहिए जब तक कि वह लगभग 145 डिग्री फ़ैरनहाइट (62.7 डिग्री सेंटीग्रेड) तक न पहुँच जाये। आप कुछ ऊंचे भी जा सकते हैं, मगर प्रयास करिए कि 175 डिग्री फ़ैरनहाइट (79.4 डिग्री सेंटीग्रेड) से ऊपर न जाएँ।[७]
- पुरानी मोमबत्तियों को लगभग 185 डिग्री फ़ैरनहाइट (85 डिग्री सेंटीग्रेड) पर पिघलाना चाहिए। पुरानी वर्तिकाओं को चिमटी से निकाल दीजिये।[८]
- पिघले हुये मोम में इत्र मिलाइये: आप कौन सा इत्र चुनते हैं, यह आप पर है। इत्र, जैसे कि प्राकृतिक तेल, आप अपने स्थानीय क्राफ्ट स्टोर से खरीद सकते हैं। इत्र डालने के बाद उसकी गंध की तीव्रता के अनुसार उसकी मात्रा का निर्धारण करने से अच्छा है कि शीशी पर दिये गए निर्देशों को पढ़ लिया जाये। खूब मिलाइये।
- रंग मिलाइए: सामान्य खाने के रंगों से मोमबत्तियों में काम नहीं चलेगा, क्योंकि वे जल आधारित होते हैं। अपने स्थानीय क्राफ्ट स्टोर से तेल-आधारित रंग खरीदिए। वाछित रंग प्राप्त करने के लिए, कितना रंग डालना है, इसका निर्णय शीशी पर दिये गए निर्देशों को पढ़ कर करिए। बूंद बूंद करके, तब तक रंग मिलाते रहिए जब तक कि आपको वांछित रंग न मिल जाये।
[संपादन करें]मोम की ढलाई
- मोमबत्ती के साँचे में वर्तिका डालिए और साँचे तैयार करिए: आप छोटे बड़े डिब्बों, पुराने प्यालों या सच पूछिये तो किसी भी प्रकार के ऐसे बर्तन का प्रयोग कर सकते हैं, जो तापमान सहन कर सके। धातु के डिब्बे सामान्यतः इसके लिए सबसे सुरक्षित होते हैं, मगर यदि आपको पता हो कि आपका बर्तन उच्च तापमान सहन कर लेगा तो, आप जो बर्तन चाहें उसका प्रयोग कर सकते हैं। उनको अपने सुरक्षित कार्यस्थल पर एक समतल सतह पर रखिए (जैसे सब्जी काटने के पटरे आदि पर)। वर्तिका को मोमबत्ती के साँचे के केंद्र में डालना चाहिए और उसको लगभग 2 इंच मोमबत्ती से बाहर होना चाहिए। जो भाग मोम के बाहर हो उसका एक फंदा किसी कलम या पेंसिल के मध्य में लगाएं। कलम को उस साँचे के ऊपर टिकाइए जिसमें आप मोम डालने वाले हैं। ध्यान रहे कि वर्तिका सीधी, साँचे के केंद्र में ही लटकती रहे। यदि आपके पास हो, तो आप एक लंबी क्लिप का भी प्रयोग कर सकते हैं। वर्तिका में क्लिप लगाइए ताकि वह साँचे के केंद्र में बनी रहे। क्लिप इतनी बड़ी होनी चाहिए, कि वह पूरे साँचे के ऊपर टिकी रह सके। [९]
- पिघले हुये मोम को साँचे में डालिए: धीरे से डालिए ताकि छलके नहीं। सुनिश्चित करिए कि दुर्घटनावश कहीं वर्तिका साँचे से बाहर न गिर जाए। आपको निर्धारित करना है कि आप साँचे को कितना भरना चाहते हैं। जब आप साँचे में डाल रहे हों तब ध्यान रखिए कि, मधुमोम, ठंडा होने पर, थोड़ा सिकुड़ता है।
- मोम को ठंडा करिए: यदि संभव हो तो पूरे 24 घंटे ठंडा होने देना सर्वश्रेष्ठ है। आप जितनी अधिक देर तक ठंडा होने देंगे, वे उतने ही बेहतर होंगे।
- पैराफिन मोमबत्तियों को ठंडा होने में आम तौर पर 24 घंटे लगते हैं।
- सोय मोमबत्तियों को आम तौर पर ठंडा होने में 4 से 5 घंटे लगते हैं।[१०]
- मधुमोम मोमबत्तियाँ आमतौर पर ठंडा होने में 6 घंटे लेती हैं, मगर यदि आप प्रतीक्षा कर सकें, तो उनको रात भर ठंडा करना सबसे अच्छा है।[११]
- यदि आप पुरानी मोमबत्तियों से मोमबत्तियाँ बना रहे हैं तो, आपको उन्हें केवल कुछ घंटे ही रखना पड़ेगा।[१२]
- साँचे में से मोम छुड़ाइए और वर्तिका को मोमबत्ती के ऊपर, चौथाई इंच रहने तक ही काट दीजिये: इससे अग्निशिखा नियंत्रित होगी, क्योंकि लंबी वर्तिका से लपट भी काफी बड़ी हो जाएगी।
- वर्तिका को आलोकित करिए, अपनी मोमबत्ती जलाइये और अपनी श्रेष्ठ कृति का आनंद उठाइये।
- समापन।
[संपादन करें]सलाह
- आप अपनी मोमबत्ती में सिण्ड्रेला गंध तेल का प्रयोग कर सकते हैं, जिससे ऐसी मोमबत्ती बनती है जो मच्छर जैसे कीटों को भगा देती है। यह अधिकांश प्राकृतिक भोज्यों के स्टोर में मिल सकता है।
[संपादन करें]चेतावनी
- मोम को पिघलाने से आग लगने का खतरा हो सकता है। पिघलते हुये मोम को कभी भी अरक्षित मत छोड़िए। जब पिघले हुये मोम का प्रयोग कर रहे हों, तब अतिरिक्त सावधानी बरतिए।
[संपादन करें]चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी
- मोमबत्ती बनाने के लिए मोम को पिघलाना
- वर्तिका
- कलम, पेंसिल, या बड़ी क्लिप
- साँचे जैसे कि शीशियाँ और डिब्बे
- एक डबल बॉयलर (1 बड़ा बर्तन और 1 छोटा बर्तन)
- पानी
- इत्र (ऐच्छिक)
- रंगने वाले पदार्थ (ऐच्छिक)
- कैंडी या मोमबत्ती थर्मामीटर
- अपने कार्य स्थान की सुरक्षा के लिए अखबार, कार्डबोर्ड या पुराना कपड़ा
- छलक़ने की स्थिति से निबटने के लिए, साबुन का गरम पानी
[संपादन करें]स्रोत और उद्धरण
- http://www.pioneerthinking.com/jh_candlemaking.html
- http://www.wicks-wax-scents.com/make-homemade-candles.html