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कैसे किसी एमआरआई (MRI) को पढ़ें

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एमआरआई (MRI) मशीन में ब्रेन, स्पाइन, हार्ट, हड्डियों, और अन्य टिशूज़ की डिटेल्ड इमेजेज़ का इस्तेमाल किया जाता है। अधिकांश एमआरआई सेण्टर आपके अपोइंटमेंट के बाद आपके MRI की कॉपी, आपको एक डिस्क या फ्लैश ड्राइव पर दे सकते हैं। हालांकि इमेज के आधार पर डायगनोसिस तो केवल डॉक्टर ही कर सकता है, मगर एमआरआई को घर पर ही देखना और एनालाइज़ करना आसान है!

[संपादन करें]चरण

[संपादन करें]अपने एमआरआई को लोड करना

  1. अपनी एमआरआई डिस्क को अपने कंप्यूटर में इन्सर्ट करिए: आजकल, आम तौर पर आपके एमआरआई के बाद आपको इमेजेज़ के साथ एक डिस्क दे दी जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि आप वो डिस्क अपने डॉक्टर को दे दें, मगर एमआरआई को घर पर पढ़ने में भी कोई हर्ज नहीं है। आप डिस्क को अपने कंप्यूटर के DVD ड्राइव में डालने से शुरुआत करिये।
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    • नोट: एमआरआई की कॉपी देने के बारे में कुछ एमआरआई केन्द्रों की पॉलिसी फ़र्क भी हो सकती है। जैसे कि, डिस्क की जगह, शायद वे आपको यूएसबी ड्राइव भी दे सकते हैं। यह भी संभव है कि वे खुद ही होस्ट करके, आपको एमआरआई फ़ाइल्स, ऑनलाइन भेज दें। महत्वपूर्ण बात है कि आपको एमआरआई फ़ाइल्स अपने कंप्यूटर पर मिल जाएँ।[१]
  2. अगर प्रोग्राम ऑटोमेटिकली लोड हो जाये तब ऑन स्क्रीन प्रॉम्प्ट फॉलो करिए: अगर आप भाग्यशाली होंगे तब डिस्क को कंप्यूटर में डालने पर प्रोग्राम ऑटोमेटिकली लोड हो जाएगा। इस केस में, प्रोग्राम को इन्स्टाल तथा एक्सेस करने के लिए केवल स्क्रीन पर आने वाले इंस्ट्रक्शन्स को फॉलो करिए। आम तौर पर, आप डिफ़ौल्ट ऑप्शन ("हाँ," "ओके," आदि) या हर दिये गए प्रॉम्प्ट को इस्तेमाल करना चाहेंगे।[२]
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    • हालांकि, एमआरआई व्यू करने वाला सॉफ्टवेयर बहुत ही अविश्वसनीय होता है; यहाँ तक की डॉक्टर्स को भी इसमें बहुत कठिनाई होती है। आपको शायद कुछ अतिरिक्त एक्शन लेना पड़ेगा (नीचे देखिये)।
  3. अगर ज़रूरी हो, तब व्यू करने वाले सॉफ्टवेयर को इन्स्टाल करिए: अगर सॉफ्टवेयर ऑटोमेटिकली लोड नहीं होता है, तब अधिकांश एमआरआई डिस्क्स किसी न किसी ऐसे तरीके के साथ आती हैं जिनसे वे डिस्क पर इन्स्टाल की जा सकें। आम तौर पर, आपको फ़ाइल्स को एक्सप्लोर करने के लिए डिस्क को खोलना पड़ेगा, इस इन्स्टाल करने वाले प्रोग्राम को खोजना पड़ेगा, और उसे रन करना पड़ेगा। जिस एमआरआई केंद्र ने आपकी इमेजेज़ को डिस्क पर पैकेज किया होगा उसके अनुसार आपको जो इगज़ैक्ट कदम उठाने पड़ेंगे वे फ़र्क होंगे।
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    • अगर भाग्य साथ नहीं दे रहा है या आपको उसमें शामिल इन्स्टाल करने वाला प्रोग्राम नहीं मिल पा रहा है, तब इन्टरनेट से मुफ्त एमआरआई व्यूअर डाउनलोड करने की कोशिश करिए।इस साइट में उन प्रोग्राम्स के लिए अनेक लिंक्स होते हैं जो स्टैण्डर्ड DICOM फ़ारमैट में मेडिकल इमेजेज़ को व्यू कर सकते हैं।[३]
  4. स्टडी को लोड करिए: यहाँ पर यह फिर से बता दें कि इगज़ैक्ट स्टेप्स जो आपको लेने होंगे, वे आपकी इमेजेज़ के साथ जो प्रोग्राम पैकेज किया गया होगा, उसके अनुसार थोड़ा बहुत फ़र्क हो सकते हैं। आम तौर पर, अधिकांश एमआरआई व्यूअर्स में किसी न किसी प्रकार का ऑप्शन होगा, जिससे स्क्रीन के टॉप पर मेनू बार में दी गई इमेजेज़ को चुन कर लोड या इम्पोर्ट किया जा सकता होगा। इस केस में, इस ऑप्शन को चुनिये, और अपनी डिस्क पर जिस इमेज फाइल को आप देखना चाहते हों, उसे पिक कर लीजिये।
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    • ध्यान रहे कि अधिकांश मेडिकल इमेजिंग सॉफ्टवेयर, इमेजेज़ के कलेक्शन को "स्टडीज़" के नाम से रेफ़र करते हैं। हो सकता है कि आपको "import image" ऑप्शन न दिखाई पड़े मगर "import study" जैसा कुछ दिखाई पड़े।
    • एक और ऑप्शन जो आपके सामने आ सकता है, वो यह है कि जैसे ही प्रोग्राम लोड होगा, उसमें आपके सामने "table of contents" आयेगा जिसमें उस डिस्क पर जितने भी एमआरआई होंगे वो सभी होंगे। इस केस में, आप उस स्टडी को चुन लीजिये जिसे कि आप आगे देखना चाहते हैं।
  5. इमेजेज़ (Images) को देखिये: अधिकांश एमआरआई प्रोग्राम, स्क्रीन के एक साइड में बड़ी सी काली जगह और दूसरी साइड में एक छोटे से टूलबार से शुरू होते हैं। अगर आप टूलबार में अपनी एमआरआई इमेजेज़ की छोटी प्रीव्यू पिक्चर्स को देख पाते हैं, तब आप जिस इमेज को देखना चाहते हैं, उस पर डबल क्लिक कर लीजिये। इससे उस इमेज का एक बड़ा वर्ज़न उस काले क्षेत्र में लोड हो जाना चाहिए।
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    • इमेजेज़ के लोड होने का इंतज़ार धैर्यपूर्वक करिए। हालांकि व्यूइंग प्रोग्राम में समय बहुत अधिक नहीं लगता है, मगर एक सिंगल एमआरआई इमेज में बहुत अधिक जानकारी हो सकती है, इसलिए आपके कंप्यूटर को उसे लोड करने में कुछ पलों का समय लग सकता है।

[संपादन करें]अपने एमआरआई का अर्थ निकालना

  1. एमआरआई व्यू करने की विभिन्न स्कीम्स से परिचित हो जाइए: अगर आप भाग्यशाली होंगे, तो जैसे ही आपका पहला एमआरआई लोड होगा, वैसे ही आपको पता चल जाएगा कि आप क्या देख रहे हैं। मगर, अनेक केसेज़ में आप जो इमेज देखेंगे वो काले, सफ़ेद, और ग्रे का एक न समझ में आने वाला मिक्स होगा। यह जानने से कि कि किस प्रकार एमआरआई शॉट लिए जाते हैं, आपको अपनी इमेजेज़ को समझने में मदद मिलेगी। तीन प्रमुख तरीके हैं जिनसे एमआरआई डिस्प्ले किए जाते हैं:[४]
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    • सैगिटल (Sagittal): अक्सर नॉन-डॉक्टर्स के लिए इनको इंटरप्रेट करना सबसे सरल होता है। सैगिटल एमआरआई बेसिकली आपके शरीर के साइड या प्रोफ़ाइल व्यू होते हैं। यह इमेज ऐसी होती है जैसे कि आप को वर्टिकली, सिर से पेल्विस तक, आधे में स्लाइस कर दिया गया है।
    • कोरोनाल (Coronal): ये इमेजेज़ आपके शरीर का "हेड ऑन" व्यू होती हैं। आप अपने फीचर्स को वर्टिकली सामने से देख रहे होते हैं; जैसे की आप कैमरे के सामने खड़े हों।
    • क्रॉस-सेक्शनल (Cross-sectional): अक्सर नॉन-डॉक्टर्स के लिए इनको इंटरप्रेट करना सबसे कठिन होता है। यहाँ पर आप अपने शरीर के पतले स्लाइसेज़ को ऊपर से नीचे की तरफ़ देख रहे होते हैं; जैसे कि आपको सलामी की तरह सिर से पैर तक पतले-पतले हॉरिजॉन्टल स्लाइसेज़ में काटा गया हो।
  2. शरीर के विभिन्न फीचर्स को आइडेंटिफ़ाई करने के लिए कण्ट्रास्ट्स को देखिये: एमआरआई, काले सफ़ेद होते हैं, और इसलिए शरीर के विभिन्न हिस्सों को अलग-अलग पहचान पाना कठिन होता है। चूंकि वे रंगीन नहीं होते इसलिए कण्ट्रास्ट से ही सबसे बढ़िया सहारा मिल सकता है। अच्छी बात यह है कि एमआरआई में, अलग-अलग प्रकार के टिशू, अलग-अलग शेड्स में दिखाई पड़ते हैं, इसलिए उस कण्ट्रास्ट को, जहां भिन्न टिशू मिलते हैं, देख पाना आसान हो जाता है।[५]
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    • हर प्रकार के टिशू का इगज़ैक्ट शेड एमआरआई की कण्ट्रास्ट सेटिंग पर निर्भर करेगा। दो प्रमुख कण्ट्रास्ट सेटिंग्स को टी1 तथा टी2 कहा जाता है। हालांकि इन दोनों के बीच अंतर बहुत मामूली होता है, मगर डॉक्टर इनकी सहायता से समस्या को अधिक एफ़िशियेण्ट्ली समझ सकते हैं। जैसे कि, टी2 की मदद से (चोटों की जगह) बीमारियों का अधिक आसानी से पता लगाया जा सकता है, चूंकि इस सेटिंग में बीमार टिशू बेहतर तरीके से दिखाई पड़ते हैं।
  3. एक अपीलिंग सीरीज़ ले आउट चुनिये: एमआरआई प्रोग्राम लगभग सदैव ही, एक बार में, अनेक इमेजेज़ दिखा सकते हैं। इससे डॉक्टर्स को एक ही क्षेत्र के भिन्न व्युज़ या अलग अलग समय पर लिए गए एमआरआई कंपेयर करने का मौका मिल जाता है। अधिकांश नॉन-डॉक्टर्स के लिए, एक बार में एक इमेज चुनने वाला ले आउट चुन कर एक-एक इमेज को देखते जाना सबसे आसान होता है। हालांकि, एक बार में दो, चार, या उससे अधिक इमेजेज़ दिखाने के लिए ऑनलाइन इन्सट्रक्शन होने चाहिए, इसलिए आप इस फीचर का इस्तेमाल करके भी देख सकते हैं।
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  4. सेक्शन कट लाइन का इस्तेमाल करके देखिये कि क्रॉस सेक्शन कहाँ पर लोकेटेड हैं: अगर आप क्रॉस-सेक्शनल इमेज के साथ सैगिटल या कोरोनल इमेज डिस्प्ले करेंगे तब आप दूसरी इमेज पर सेक्शन कट लाइन देख सकते हैं। यह एक सीधी लाइन होगी जो इमेज में से हो कर गुज़रेगी, मगर यह हर एमआरआई में हो, ऐसा ज़रूरी नहीं है। अगर इमेज में यह मिल जाती है, इससे यह दिखेगा कि दूसरी इमेज में क्रॉस सेक्शन कहाँ पर लोकेटेड है। आपको सेक्शन कट लाइन को इमेज के दायें, बाएँ या केंद्र में मूव कर सकना चाहिए। इससे बड़ी ले-आउट इमेज ऐसे परिवर्तित हो सकती है, जिससे कि वो आपको शरीर के स्कैन को नए डाइरेक्शन से दिखा सकेगी।
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    • लेआउट पिक्चर की सेक्शन कट लाइन यह भी दिखाती है कि इमेज किस डाइरेक्शन से ली गई है। जैसे कि, अगर आपकी एमआरआई किसी पेड़ जैसे साधारण ऑब्जेक्ट की पिक्चर होती, तब सेक्शन कट लाइन शायद आपको दिखा सकती कि क्या पिक्चर को ऊपर किसी प्लेन से लिया गया है, दूसरी मंज़िल की खिड़की से लिया गया है, या ज़मीन पर से लिया गया है।
  5. स्टडी के नए पार्ट्स को देखने के लिए सेक्शन कट लाइन को ड्रैग करिए: सेक्शन कट लाइन को इमेज के दूसरे भागों में ड्रैग करने से आप अपनी एमआरआई इमेजेज़ में "मूव अराउंड" कर सकते हैं। इस इमेज को आपके नए एरिया को व्यू करने के लिए ऑटोमेटिकली बदल जाना चाहिए।
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    • जैसे कि, अगर आप अपने स्पाइन की किसी एक वर्टीब्रा के क्रॉस सेक्शन के साथ सैगिटल इमेज देख रहे होंगे, तब सेक्शन कट लाइन को मूव करने से शायद आप उसके ऊपर और नीचे वाले विभिन्न वर्टीब्रा के ऊपर और नीचे साइकल कर सकते हैं। यह विधि, हर्निएटेड डिस्कस जैसी समस्याओं को लोकेट करने में उपयोगी हो सकती है।

[संपादन करें]बॉडी स्ट्र्क्चर्स को एनालाइज़ करना

  1. नॉन सिमीट्रीकल पैचेज़ को खोजिए: मोटे तौर पर बॉडी सिमीट्रिकल होती है। अगर आपको अपने एमआरआई में अपनी बॉडी के किसी एक साइड में हल्के या गाढ़े रंग का कोई ऐसा पैच दिखता है जो की दूसरी ओर जो कुछ भी है उससे मैच नहीं करता है, तब बात चिंता करने की हो सकती है। इसी तरह, बॉडी के ऐसे पार्ट्स के लिए जिनमें अनेक सिमिलर फीचर्स, अनेक बार रिपीट होते हैं, किसी एक फीचर का अंतर यह संकेत दे सकता है कि कुछ गड़बड़ है।
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    • स्पाइनल डिस्क हर्निएशन्स, दूसरे केस के अच्छे उदाहरण हैं।[६] एक के ऊपर एक रखे हुये हड्डियों के वर्टीब्रा से स्पाइन बनती है। प्रत्येक दो वर्टीब्रा के बीच में फ़्लूइड से भरी हुई डिस्क होती है। जब आपको हर्निएटेड डिस्क होती है, तब इनमें से कोई एक डिस्क टूट जाती है और वह लिक्विड बह जाता है, जिसके कारण दर्द होता है, चूंकि यह आपकी स्पाइन में नर्व्स को दबाया जाता है। आपको यह स्पाइनल एमआरआई में दिखाई पड़ेगा; वहाँ पर "नॉर्मल" वर्टीब्रा और डिस्क्स की एक लंबी लाइन होगी, जिसमें से केवल कोई एक बाहर को बल्ज कर रही होगी।
  2. स्पाइनल एमआरआई के लिए वर्टीब्रा के स्ट्रक्चर को इक्ज़ामिन करिए: आम तौर पर स्पाइन की एमआरआई (विशेषकर सैगिटल व्यू में) नॉन-डॉक्टर्स सबसे आसानी से पढ़ सकते हैं। वर्टीब्रा या फ़्लुइड डिस्क्स में नोटिस करने योग्य मिसअलाइनमेंट्स खोजिए। इनमें से यदि केवल एक भी आउट ऑफ अलाइनमेंट होगा (जैसा कि ऊपर के उदाहरण में बताया गया है) तब उसके कारण बहुत अधिक दर्द हो सकता है।
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    • सैगिटल व्यू में, स्पाइनल वर्टीब्रा के पीछे, आपको सफ़ेद रस्सी जैसा स्ट्रक्चर दिखाई पड़ेगा। यह स्पाइनल कॉर्ड है, अर्थात वह स्ट्रक्चर जो शरीर की सभी नर्व्स से कनेक्टेड होता है। ऐसे स्पॉट खोजिए जहां ऐसा लगता हो कि वर्टीब्रा या डिस्क्स, स्पाइनल कॉर्ड को "पिंच" करते हुये या दबाते हुये लगें; और चूंकि नर्व्स बहुत ही सेंसिटिव होती हैं, केवल थोड़ा दबाव भी बहुत दर्द का कारण बन सकता है।
  3. ब्रेन के एमआरआई में एबनॉर्मलिटीज़ स्पॉट करने के लिए क्रॉस-सेक्शनल व्यूज़ का इस्तेमाल करिए: ब्रेन टिशू के एमआरआई का इस्तेमाल अक्सर ब्रेन ट्यूमर, एबसेसेज़, तथा ब्रेन को प्रभावित करने वाली दूसरी समस्याओं को चेक करने के लिए किया जाता है। इन चीज़ों को देखने का सबसे आसान तरीका है कि क्रॉस सेक्शनल व्यू को चुना जाये और फिर धीरे-धीरे सिर के ऊपर से नीचे की ओर आया जाये। आप किसी भी ऐसी चीज़ को खोज रहे होंगे जो सिमीट्रिकल नहीं होगी; एक हल्का या गाढ़ा पैच जो एक साइड में तो हो मगर दूसरी में नहीं, चिंता का कारण होगा।
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    • ब्रेन ट्यूमर, अक्सर ब्रेन में एक तरह की गोल, गॉल्फ बॉल जैसी ग्रोथ का आकार ले लेते हैं जो या तो चमकीली सफ़ेद होगी या एक सफ़ेद रिंग में डल ग्रे होगी। वैसे, ब्रेन की दूसरी समस्याएँ भी (जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस) का भी सफ़ेद एपीयरेंस हो सकता है, इसलिए केवल इसी को ब्रेन ट्यूमर का लक्षण नहीं माना जा सकता है।
  4. घुटनों के एमआरआई में दोनों घुटनों के बीच में इनकंसिस्टेंसीज खोजिए: चोट खाये हुये घुटने के कोरोनल व्यू को स्वस्थ घुटने से कंपेयर करने से समस्याओं को आसानी से स्पॉट किया जा सकता है। इनमें से कुछ इशूज़ जिन्हें आप देखना चाहेंगे, उनमें ये शामिल हो सकते हैं:[७]
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    • ओस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis): प्रभावित घुटने में घटी हुई जॉइंट स्पेस। ओस्टियोफ़ाइट्स का फ़ॉर्मेशन (प्रभावित घुटने की साइड से जैगेड बोनी प्रोजेक्शन)।[८]
    • लिगामेंट टियर (Ligament tear): प्रभावित घुटने में बढ़ी हुई जॉइंट स्पेस। हो सकता है कि उस पॉकेट में फ़्लूइड भरा हो, जो सफ़ेद या हल्के रंग का दिखाई पड़े। हो सकता है कि लिगामेंट का सेपेरेशन भी दिखाई पड़े।[९]
    • मेनिस्कस टियर (Meniscus tear): एबनॉर्मल जॉइंट स्पेसिंग। जॉइंट स्पेस के दोनों ओर अंदर की ओर पॉइंट करते हुये डार्क रंग के फीचर्स।[१०]
  5. अपनी एमआरआई इमेजेज़ से कभी भी अपना डायगोनोसिस मत करिए: इस बात को दोहराने की ज़रूरत है: अगर आपको एमआरआई में ऐसा कुछ दिखाई पड़ता है जिसके बारे में आपको यकीन नहीं है कि वो क्या है, अपने डॉक्टर से बात किए बिना यह कल्पना मत कर लीजिये कि आपको कोई भयानक बीमारी है। इसीके विपरीत, अगर आप सामान्य से अलग कुछ भी नोटिस नहीं करते हैं, तब भी अपने डॉक्टर से बात किए बिना यह कल्पना मत कर लीजिये कि आप ठीक हैं और कुछ भी गड़बड़ नहीं है। साधारण लोगों को एक्यूरेट डायगोनोसिस करने का न तो ज्ञान होता है, और न ही ट्रेनिंग, इसलिए जब भी आपको संदेह हो, सदैव किसी मेडिकल प्रोफ़ेशनल की सलाह लीजिये।
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[संपादन करें]सलाह

  • नोट करिए कि क्रॉस सेक्शनल इमेजेज़ को कभी-कभी "एक्सियल (axial)" इमेजेज़ भी कहा जाता है।
  • क्या आप DICOM फ़ारमैट में एमआरआई फाइल नहीं देख पा रहे हैं? आप शायद उसको किसी दूसरे फ़ाइल टाइप में कन्वर्ट करना चाहें। ओरेगॉन विश्वविद्यालय here पर फ़्री फ़ाइल कन्वर्टर यूटिलिटी (और साथ में उपयोग के इंस्ट्रक्शन्स) उपलब्ध कराता है।[११]

[संपादन करें]चेतावनी

  • अपना एमआरआई पढ़ते समय, अपने आप को आसानी से ग़लत डायगोनोस किया जा सकता है। इसलिए सबसे बढ़िया यही होता है कि डॉक्टर के इंटरप्रेटेशन पर विश्वास किया जाये।

[संपादन करें]रेफरेन्स


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