क्रिएटिनिन (creatinine) हर किसी के ब्लड में और यूरिन में पाये जाने वाला वेस्ट, खराब प्रोडक्ट होता है। क्रिएटिन और क्रिएटिनिन के टेस्ट से ये मालूम पड़ता है, कि आपकी किडनी कितनी अच्छी तरह से काम कर रही हैं। नॉर्मल परिस्थितियों में, आपकी किडनी खुद ही इन सब्सटेन्स को फिल्टर करने के और आपके शरीर से निकाल बाहर करने के काबिल होती है। लेकिन हैल्थ प्रॉब्लम्स इस फंक्शन के बीच में रुकावट पैदा करती हैं, जो कि क्रिएटिनिन की खतरनाक मात्रा में वृद्धि करने लग जाती है। ऐसे काफी सारे तरीके मौजूद हैं, जिनकी मदद से आप क्रिएटिनिन के लेवल को कम कर सकते हैं, जिसमें आपकी डाइट को बदलना, लाइफ़स्टाइल में कुछ बदलाव करना, मेडिकेशन लेना और मेडिकल थेरेपी में शामिल होना भी शामिल है।
संपादन करेंचरण
संपादन करेंक्रिएटिनिन को समझना
- जानें, कि आखिर क्रिएटिनिन होता क्या है: क्रिएटिनिन एक वेस्ट प्रोडक्ट होता है, जिसका निर्माण शरीर के द्वारा उस वक़्त किया जाता है, जब क्रिएटिन (creatine), मेटाबोलिज़्म का एक सब्सटेन्स, जो फूड को एनर्जी में कन्वर्ट करने में हेल्प करता है, टूट जाता है।
- आमतौर पर, किडनी क्रिएटिनिन को ब्लड में से फिल्टर करने में मदद करती है। बाकी बचा हुआ वेस्ट प्रोडक्ट यूरिन के जरिये शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
- हाइ क्रिएटिनिन लेवल आपकी किडनी में किसी तरह की प्रॉब्लम होने की संभावना का संकेत हो सकता है।
- रेगुलरली प्रोटीन के हाइ अमाउंट को कंज्यूम करना और बहुत सख्त एक्सर्साइज़ में भाग लेने के परिणामस्वरूप क्रिएटिनिन का लेवल हाइ हो जाता है।
- क्रिएटिन सप्लिमेंट्स भी ब्लड और यूरिन में क्रिएटिनिन के लेवल को बढ़ा सकते हैं।
- टेस्ट के काम करने के तरीके को समझें: एक क्रिएटिनिन टेस्ट से मालूम चलता है, कि आपके ब्लड में कितना क्रिएटिनिन मौजूद है।
- आपके डॉक्टर शायद आपका क्रिएटिनिन क्लीयरेंस टेस्ट भी परफ़ोर्म कर सकते हैं, जो आपके यूरिन में मौजूद क्रिएटिनिन की मात्रा का पता लगाएगा। ब्लड में क्रिएटिनिन की मात्रा बहुत कम मौजूद होनी चाहिए और आपके यूरिन में इसे ज्यादा होना चाहिए।
- ये सारे टेस्ट सिर्फ आपकी किडनी की हैल्थ के बारे में एक "अंदाजा" दिला देते हैं। ये सिर्फ पिछले 24 घंटे के अंदर एक बार लिए हुए सैंपल के आधार पर-आपके ब्लड में और आपके यूरिन में मौजूद क्रिएटिनिन की मात्रा के बारे में जानकारी देते हैं।
- अपने रिजल्ट्स को समझें: क्रिएटिनिन के लेवल की नॉर्मल रेंज पूरी तरह से ऑस बात पर निर्भर करता है, कि आप एक एडल्ट मेल (male), एडल्ट फ़ीमेल (female), टीनएज या हैं। इसके बाद भी ये वैल्यूज आपकी उम्र और आपके शरीर के आकार के ऊपर भी निर्भर करती हैं, लेकिन फिर भी इसकी कुछ ऐसी जनरल रेंज मौजूद हैं, जिन्हें आप देख सकते हैं।
- नॉर्मल ब्लड क्रिएटिनिन लेवल्स इस प्रकार हैं:[१]
- पुरुष: 0.6 से 1.2 mg/dL; 53 से 106 mcmol/L
- महिला: 0.5 से 1.1 mg/dL; 44 से 97 mcmol/L
- टीनेजर्स: 0.5 से 1.0 mg/dL
- बच्चे: 0.3 से 0.7 mg/dL
- नॉर्मल यूरिन क्रिएटिनिन लेवल्स इस प्रकार हैं:
- पुरुष: 107 से 139 mL/min; 1.8 से 2.3 mL/sec
- महिला: 87 से 107 mL/min; 1.5 से 1.8 mL/sec
- 40 वर्ष से ऊपर के किसी भी व्यक्ति के लिये: हर बार 10 वर्ष की उम्र और बढ़ने के बाद, इसके लेवल्स को 6.5 mL/min की दर से घटना चाहिये।
- नॉर्मल ब्लड क्रिएटिनिन लेवल्स इस प्रकार हैं:[१]
- समझिए, कि आखिर क्रिएटिनिन लेवल बढ़ता क्यों है: आपके अंदर क्रिएटिनिन लेवल के बढ़ने की बहुत सारी वजह हो सकती है; जिनमें से कुछ कंडीशन्स, दूसरों की अपेक्षा कुछ ज्यादा गम्भीर होती हैं, लेकिन इन सब बातों का केवल यही मतलब निकलता है, कि आपको बस अपने क्रिएटिनिन के लेवल को वापस नॉर्मल बनाने के लिए कुछ कदम उठाने की जरूरत है।
- रीनल फेलियर (Renal failure) या इम्पेयरमेंट (impairment): यदि आपकी किडनी डैमेज हो चुकी हैं, तो ऐसे में ये उस तरह से ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन (Glomerular filtration) के जरिये क्रिएटिनिन को फिल्टर करके आपके शरीर से बाहर नहीं निकाल सकेंगी, जैसे ये आमतौर पर किया करती हैं। किडनी के जरिये फिल्टर हुए फ्लुइड को बाहर निकालने की क्रिया को ग्लोमर्युलर फिल्ट्रेशन कहते हैं।
- मसल डिस्ट्रक्शन: अगर आपकी कंडीशन कुछ ऐसी है, जिसकी वजह से आपकी मसल्स खराब या टूट रही हैं, तो टूटे हुए मसल टिशूज आपके ब्लड-स्ट्रीम में मिल जाते हैं और फिर ये आपकी किडनी के साथ में जुड़ जाते हैं।
- ज्यादा मीट खाने से: आपकी डाइट में पके हुए मीट की ज्यादा मात्रा शामिल करने की वजह से भी आपके शरीर में क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ सकती है।
- हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism): आपकी थायराइड ग्लैंड में हुई किसी भी प्रकार की गड़बड़ी आपके किडनी के फंक्शन पर असर डाल सकती है। हाइपोथायराइडिज्म, आपके किडनी की वेस्ट पदार्थों को सुचारु रूप से फिल्टर करके शरीर से बाहर करने की क्षमता को भी घटा सकता है।
संपादन करेंअनवेरिफाइड हर्बल रेमेडीज़ का इस्तेमाल करना (Using Unverified Herbal Remedies)
- हर्बल टी या ग्रीन टी पिया करें: ऐसा माना जाता है, कि कुछ खास तरह की हर्बल टी, आपके ब्लड में मौजूद क्रिएटिनिन की मात्रा को कम करने में मदद करती हैं। हालाँकि, इस बात के समर्थन में बहुत कम स्टडीज़ मौजूद हैं, लेकिन फिर भी इस बात को अस्वीकार भी नहीं किया जा सकता है।
- रोजाना लगभग 250ml (8-oz) तक हर्बल टी जरूर पिया करें।
- इस्तेमाल करके देखी जा सकने योग्य हर्बल टी में, कैमोमाइल (chamomile), नेटल लीफ (nettle leaf), डेंडेलियॉन रूट (dandelion root) के नाम शामिल हैं।
- ऐसा माना जाता है, कि इस तरह की टी किडनी को प्रेरित करती हैं और साथ ज्यादा यूरिन के प्रोडक्शन को भी प्रेरित करती हैं। इसकी वजह से, आपके शरीर में मौजूद ज्यादा से ज्यादा क्रिएटिनिन शरीर के बाहर निकल जाता है।
- नेटल लीफ (nettle leaf) सप्लिमेंट्स लेने के बारे में सोचें: नेटल लीफ आपके रेनल एग्जर्शन (renal excretion) को बढ़ाने में मदद कर सकती है, साथ ही ये एक्सट्रा मात्रा में मौजूद क्रिएटिनिन को भी बाहर निकालने में मदद कर सकती है।[२] नेटल में हिस्टेमीन्स (histamines) और फ्लेवोनॉयड्स (flavonoids) होते हैं, जो आपकी किडनी में ब्लड फ़्लो को बढ़ा सकते हैं और इसी के साथ, ये यूरिन फिल्ट्रेशन को भी बढ़ा सकते हैं।
- नेटल लीफ को सप्लिमेंट्स के रूप में लिया जा सकता है या फिर इसे चाय के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- अपने डॉक्टर से सैल्विया (salvia) के बारे में बात करें: सैल्विया एक तरह का हर्ब होता है, जो ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट को बढ़ाने में मदद कर सकती है, जो कि क्रिएटिनिन को बाहर निकालने में मदद कर सकता है।[३] सैल्विया में लिथोस्पर्मेट-बी (lithospermate-B) होता है, जो कि रेनल फंक्शन को बढ़ावा देने में मदद करता है।[४]
- सैल्विया के इस्तेमाल करने के तरीके के बारे में जानकारी पाने के लिए, अपने डॉक्टर के साथ एक मीटिंग फिक्स कर लें। अपने डाक्टर से सलाह लिए बिना कभी-भी सैल्विया का इस्तेमाल न करें।
संपादन करेंलाइफ़स्टाइल में बदलाव करना
- अपने फ्लुइड इनटेक (तरल पदार्थों के सेवन) के ऊपर नजर रखें: जैसे कि, जाने-माने नियम के मुताबिक आपको दिनभर में 250 ml (8-oz) के लगभग 8 ग्लास तो पीना ही चाहिए। डिहाइड्रेशन की वजह से सच में आपका क्रिएटिनिन लेवल को बढ़ सकता है, इसलिये आपका हमेशा हाइड्रेटेड बने रहना बेहद जरूरी है।
- जब आपके शरीर में भरपूर पानी नहीं रहता है, तब आप कम यूरिन भी प्रोड्यूस करते हैं। जैसे कि, यूरिन के जरिये ही क्रिएटिनिन शरीर से बाहर निकलता है, इसलिये ऐसे में यूरिन में कमी की वजह से इस टॉक्सिक (विषैले पदार्थ) का भी बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
- वहीं दूसरी तरफ, ज्यादा पानी पीने के भी आपकी किडनी के फंक्शन्स पर नेगेटिव इफेक्ट पड़ते हैं। बहुत ज्यादा पानी पीने की वजह से ब्लड प्रैशर बढ़ सकता है और बढ़ा हुआ ब्लड प्रैशर किडनी के ऊपर दबाव बना सकता है।
- आपके डाक्टर की ओर से आपको इन्सट्रक्शन न मिले जाने पर भी बेहतर रहेगा, कि आप हाइड्रेटेड तो बने रहें, लेकिन जहाँ तक हो सके फ्लुइड की एब्नॉर्मल (बहुत ज्यादा) मात्रा लेने से दूर ही रहें।
- अपने एक्टिविटी के लेवल पर जरा रोक लगाएँ: जब भी आपका शरीर बहुत जोरदार एक्सर्साइज़ करता है, तब ये काफी तेज़ी से फूड को एनर्जी में कन्वर्ट करता है। जिससे की वजह से, और ज्यादा क्रिएटिनिन फॉर्म होता है, जिसकी वजह से ब्लड में क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ जाती है।
- एक्सर्साइज़ से अभी भी आपकी पूरी हैल्थ पर काफी खास असर पड़ता है, इसलिए आपको इसे अपने रूटीन से पूरी तरह से बाहर भी नहीं निकालना है। हालांकि आप अभी हाइ इंटेन्सिटी एक्सर्साइज़ की जगह पर लो इंटेन्सिटी एक्सर्साइज़ चुन सकते हैं। रनिंग, वेट लिफ्टिंग करने या बास्केटबाल खेलने के बजाय, वॉक करके या योगा प्रैक्टिस करके देखें।
- अच्छी नींद लें: जब आप सोते हैं, तब आपके शरीर के ज़्यादातर फंक्शन धीमे हो जाते हैं। इसमें शरीर का मेटाबोलिज़्म भी शामिल है। जिसकी वजह से, क्रिएटिन के क्रिएटिनिन में बदलने की रेट भी धीमी हो जाती है, जिससे कि ब्लड में पहले से ही मौजूद क्रिएटिनिन, एक्सट्रा टॉक्सिन्स के बनने से पहले ही फिल्टर होकर बाहर निकल जाता है।
- हर रात को कम से कम छह से नौ घंटों की नींद लिया करें, जिसमें सात या आठ घंटे की नींद एक आइडियल अमाउंट मानी जाती है।
- इसके अलावा, नींद पूरी नहीं होने या नींद की कमी की वजह से आपके पूरे शरीर के ऊपर फिजिकल स्ट्रेस पड़ता है और फिर आपके शरीर के हर एक हिस्से को एक नॉर्मल सा काम करने के लिये भी बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। जिसकी वजह से, किडनी और ज्यादा स्ट्रेस में आ जाती है, जिसकी वजह से किडनी की क्रिएटिनिन को फिल्टर करके बाहर निकालने की क्षमता कम हो जाती है।
संपादन करेंदवाइयाँ लेना
- अपने डॉक्टर से कुछ खास दवाओं को रोकने के बारे में पूछें: ऐसी कुछ दवाइयाँ मौजूद हैं, जिनका सीधा सम्बंध हाई क्रिएटिनिन लेवल्स से होता है। ऐसी दवाइयाँ, जो किडनी को डैमेज कर सकती हैं, वो आपके लिए खतरे की निशानी हो सकती हैं, लेकिन किडनी के इलाज के लिए यूज की जाने वाली दवाइयाँ भी प्रॉब्लम खड़ी कर सकती हैं।
- अगर आपको पहले से ही किडनी प्रॉब्लम्स हैं, तो फिर आइबुप्रुफेन (ibuprofen) जैसी दवाओं को लेकर सावधान हो जाइए, क्योंकि अगर इन्हें रेगुलरली यूज किया जाए, तो ये किडनी को और भी ज्यादा डैमेज पहुंचा सकती है।
- एस इनहिबिटर्स (ACE inhibitors) और साइक्लोस्पोरीन (cyclosporine) ये दोनों ही किडनी की बीमारी के इलाज़ के लिये यूज किये जाते हैं लेकिन ध्यान रहे, कि ये क्रिएटिनिन लेवल्स को बढ़ा भी सकते हैं।[५]
- वैनेडियम (vanadium) जैसे कुछ न्यूट्रीशनल सप्लिमेंट्स भी क्रिएटिनिन लेवल को बढ़ा सकते हैं और इसी वजह से इन्हें अवॉइड करना चाहिए।
- किसी भी मेडिसिन को लेना बंद करने से पहले, हमेशा अपने डॉक्टर से बात कर लेना चाहिए। जैसे कि इनमें से कुछ दवाइयाँ क्रिएटिनिन के लेवल को बढ़ा सकती हैं, लेकिन कुछ अच्छी दवाइयाँ अभी भी, उनके प्रिस्क्राइब किए जाने की वजह के लिए जरूरी भी होती हैं।
- मदद करने लायक दवाइयों और सप्लिमेंट्स के बारे में भी चेक करें: आपके क्रिएटिनिन लेवल के बढ़ने की वजह के और आपकी ओवरऑल हैल्थ को ध्यान में रखते हुए, आपके डॉक्टर शायद आपको क्रिएटिनिन लेवल को कम करने के लिये कुछ मेडिकेशन और सप्लिमेंट्स को शामिल करने की सलाह दे सकते हैं।
- बहुत सी ऐसी दवाइयाँ, जो क्रिएटिनिन लेवल्स को ट्रीट करती हैं, वो इन लेवल्स को बढ़ाने के पीछे की छिपी हुई वजहों को भी ट्रीट कर सकती हैं, इसलिए इसलिये आपके डॉक्टर को आपके लिये जरूरी दवा को तय करने से, पहले क्रिएटिनिन लेवल के बढ़ने के पीछे की छिपी हुई वजह को डायग्नोज़ करने की जरूरत होगी।
- अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए डाइबिटीज़ मेडिकेशन्स लें: डाइबिटीज़, किडनी डैमेज होने और उसकी वजह से क्रिएटिनिन लेवल्स बढ़ने के पीछे की एक कॉमन वजह होती है। अगर आपको डाइबिटीज़ है, तो ऐसे में और बड़े किडनी डैमेज को रोके रखने के लिए, आपका आपके इंसुलिन लेवल्स को नॉर्मल रखना बहुत जरूरी हो जाता है। ऐसी कुछ दवाइयाँ मौजूद हैं, जो ऐसा करने में आपकी मदद कर सकती हैं।
- रेपाग्लिनाइड (Repaglinide) को आमतौर पर डाइबिटीज़ के लिए प्रिस्क्राइब किया जाता है। इस दवाई की स्टार्टिंग डोज़ नॉर्मली 0.5 मिलीग्राम्स होती है, जिसे हर एक मील के पहले लिया जाता है। इसका मैक्सिमम डोज़ 4 मिलीग्राम्स का होता है, इन्हें भी मील के पहले लिया जाता है। फिर भले आप मील लेना क्यों न भूल जाएँ, लेकिन फिर भी आपके लिए इन ड्रग्स को लेना बहुत जरूरी होता है।[६]
- दवाइयों के जरिए अपने ब्लड प्रैशर को कम करें: डाइबिटीज़ के अलावा, हाइपरटेंशन भी किडनी डैमेज में हाँथ बटाने वाला एक और फ़ैक्टर होता है। अपने ब्लड प्रैशर को अंडर कंट्रोल बनाए रखने से आपकी किडनी को आगे होने वाले और डैमेज से भी बचाया जा सकता है, जिससे आपके क्रिएटिनिन के लेवल को कम करने में मदद मिलती है।
- कुछ एंटिबायोटिक्स को अगर गलत तरीके से लिया जाए, तो ये काफी खतरनाक भी हो सकती हैं: किडनी डिसीज हुए लोगों को, हैल्दी किडनी वाले लोगों की तुलना में कम मात्रा में एंटिबायोटिक्स लेने की जरूरत होती है।
- हाइ क्रिएटिनिन लेवल्स के लिए दवाएं लें: कीटोस्टेरिल (Ketosteril) को ब्लडस्ट्रीम में पाए जाने वाले क्रिएटिनिन लेवल्स को कम करने के लिए प्रिस्क्राइब किया जाता है। इस दवाई के आपके लिए सही होने या न होने के बारे में जानने के लिए अपने डॉक्टर से बात करें। हर एक मील के बाद, दिन में तीन बार 4 से 8 टेब्लेट्स लेना इसका रेगुलर डोज़ होता है।[९] क्रिएटिनिन लेवल्स को कम करने वाली दूसरी दवाइयाँ इस प्रकार हैं:
- किडनी को एनर्जी देने और टॉक्सिन्स, जिनमें क्रिएटिनिन भी शामिल है, को नूट्रलाइज़ करने के लिए अल्फा लिपोइक एसिड (Alpha lipoic acid, एंटीऑक्सीडेंट्स), सप्लिमेंट्स का यूज किया जाता है। आप आमतौर पर रोजाना 300 mg तक ले सकते हैं।[१०]
- चिटोसन (Chitosan) एक वेट मैनेजमेंट सप्लिमेंट है, जिसे भी ब्लड में मौजूद क्रिएटिनिन की मात्रा को कम करने के लिये यूज किया जा सकता है। आमतौर पर इससे बेनिफिट तभी होता है, जब इस दवा को रोजाना 1000 से 4000 mg तक लिया जाये।
संपादन करेंमेडिकल थेरेपिस्ट के बारे में सोचना
- छिपी हुई प्रॉब्लम को पहचानें और उसे ट्रीट करें: हाइ क्रिएटिन लेवल्स शायद ही कभी एक अकेली प्रॉब्लम होती है। ज़्यादातर बार, ये लक्षण किसी और गंभीर बीमारी का लक्षण हुआ करती है। इन लेवल्स को परमानेंटली कम करने और अपनी ओवरऑल हैल्थ को इंप्रूव करने के लिए, अपने डॉक्टर के साथ मिलकर छिपी हुई किसी प्रॉब्लम को पाने और उसका इलाज़ करने की कोशिश करें।
- किडनी डैमेज और क्रोनिक किडनी डिसीज सबसे कॉमन वजह हो सकती हैं। ये डैमेज किसी बीमारी, किसी घातक इन्फेक्शन, शॉक, कैंसर या लो ब्लड फ़्लो की वजह से भी हो सकता है।
- टाइप 2 डाइबिटीज़ भी हाइ क्रिएटिनिन लेवल्स से जुड़ी होती है।
- हार्ट फेल्यर, डिहाइड्रेशन, बहुत ज्यादा ब्लड लॉस की वजह से शॉक होना, गठिया, फिजिकल रूप से की गई जोरदार एक्सर्साइज़, मसल इंजरी, मसल डिसऑर्डर और बर्न्स भी दूसरे कुछ कारण हो सकते हैं।
- कोल्ड लेजर थेरेपी (cold laser therapy) के ऊपर रिसर्च करें: कुछ एविडेंस से साबित होता है, कि कोल्ड-लेजर या लो-लेवल लेजर थेरेपी, किडनी में जान डाल सकती है और उनकी ओवरऑल फंक्शनिंग की क्षमता में सुधार ला सकते हैं। जिसकी वजह से, आपकी किडनी की नेचुरली क्रिएटिनिन को फिल्टर करने की क्षमता बढ़ जाती है।[११]
- जब किडनी के ऊपर एड्रीनल (adrenal) ग्लैंड्स पर यूज किया जाता है, तो कोल्ड लेजर्स भी स्ट्रेस को कम करने में और नींद को इंप्रूव करने में मदद कर सकती हैं।
- जब इसे आपकी गर्दन की वेगस (Vagus) नर्व पर यूज किया जाता है, कोल्ड लेजर्स किडनी जैसे कई ऑर्गन्स में ब्लड सर्क्युलेशन को इंप्रूव करने में मदद कर सकती हैं।
- मसाज थेरेपी का यूज करें: मसाज थेरेपी भी ब्लड सर्क्युलेशन में और स्ट्रेस लेवल्स को कम करने में मदद करती है, जो अच्छी नींद और रिलैक्सेशन देने में कामयाब होती है।
- ब्लड प्योरिफिकेशन थेरेपी के बारे में जानें: वैसे ये इतना भी कॉमन नहीं है, फिर भी कुछ ऐसे लोग, जिनकी किडनी काफी हद तक डैमेज हो चुकी हैं और क्रिएटिनिन लेवल्स भी लगातार बढ़े रहते हैं, वो ब्लड प्योरिफिकेशन थेरेपी या हीमोडायालिसिस (hemodialysis) या डायालिसिस (dialysis) को आजमाकर देख सकते हैं। ये थेरेपी भले ही जरा मुश्किल क्यों न हो, लेकिन ये काफी प्रभावी होती है।
- ट्रीटमेंट के दौरान, आपके ब्लड को निकाला जाता है और मशीन के जरिए फिल्टर किया जाता है। ये मशीन, ब्लड में मौजूद क्रिएटिनिन को और ऐसे ही दूसरे टॉक्सिन्स को निकाल देती है। जब एक बार ये क्लीन हो जाता है, तब इसे शरीर में वापस सर्क्युलेट कर दिया जाता है।[१२]
- वैकल्पिक दवाइयाँ लेने के बारे में विचार करें: आमतौर पर, माइक्रो-चायनीज मेडिसिन ऑस्मोथेरेपी (Micro-Chinese Medicine Osmotherapy) के बारे में जानकारी इकट्ठी करें। ये थेरेपी ट्रेडिशनल चायनीज मेडिसिन पर आधारित है, जो माइनर किडनी डैमेज को रिवर्स करने में मददगार हो सकती है। मेडिकेटेड बाथ, जो भी ट्रेडिशनल चायनीज मेडिसिन की ही उत्पत्ति है, ये भी इसमें सहायक होती है।
- माइक्रो-चायनीज मेडिसिन ऑस्मोथेरेपी के चलते, पेशेंट की कंडीशन के हिसाब से ट्रेडिशनल चायनीज मेडिसिन प्रिस्क्राइब की जाती हैं। इनमें से कुछ ट्रीटमेंट्स को एक्सटर्नली (बाहर से) दिया जाता है, जबकि कुछ को इंटर्नली, एक ऑस्मोस्कोप (osmoscope) की मदद से दिया जाता है।[१३]
- मेडिकेटेड बाथ ब्लड सर्क्युलेशन को इंप्रूव कर सकती हैं। ये शरीर को गरम करती हैं और पसीना प्रोड्यूस करती हैं। क्रिएटिन और ऐसे ही दूसरे टॉक्सिन्स को पसीने के जरिए शरीर से बाहर निकाला जाता है।
- डायलिसिस (dialysis) को एक आखिरी ऑप्शन की तरह लेकर चलें: अगर आपकी डाइट में किए हुए बदलाव और दवाइयाँ, आपके क्रिएटिनिन लेवल्स को कम नहीं कर पा रहे हैं, तो आपके डॉक्टर से डायलिसिस के बारे में बात करें। डायलिसिस के खास दो टाइप मौजूद हैं, लेकिन क्रिएटिनिन लेवल्स को कम करने के लिए यूज किए जाने वाले को हीमोडायलिसिस (hemodialysis) कहते हैं।[१४]
- हीमोडायलिसिस में मशीन के जरिए आपके ब्लड से वेस्ट, फ्लुइड और साल्ट को फिल्टर किया जाता है, ताकि आपको डैमेज हुई किडनी को इस काम को न करना पड़े।
संपादन करेंडाइट में बदलाव करना
- अपने सोडियम इनटेक को लिमिट करें: ज्यादा सोडियम की वजह से काफी अनहैल्दी फ्लुइड रिटेन्शन हुआ करता है और जिसकी वजह से हाइ ब्लड प्रैशर भी हो सकता है। इन दोनों ही वजहों से क्रिएटिन का लेवल हाइ हो सकता है।
- एक लो सोडियम डाइट मेंटेन करें। साल्टी फूड्स और ड्रिंक्स से दूर रहें और जब भी हो सके, तो कॉमन फूड प्रोडक्ट्स (केन वाले सूप, बॉटल वाले सॉस बगैरह) के लो सोडियम वर्जन को ही चुनें।
- अगर कम नहीं, तो आपके सोडियम इनटेक की डेली एवरेज रेंज को रोजाना 2 से 3 ग्राम के बीच तक होना चाहिए।[१५]
- आपके प्रोटीन इनटेक पर भी नजर रखें:[१६] जहां तक हो सके, प्रोटीन रिच फूड्स को अवॉइड करें। रेड मीट और डेयरी प्रोडक्ट्स आपके लिए खासतौर पर बुरे साबित हो सकते हैं।
- क्रिएटिन के डाइटरी सोर्सेज को बहुत आसानी से एनिमल प्रोडक्ट्स से पाया जा सकता है। वैसे तो ये अमाउंट्स आमतौर पर नुकसानदेह नहीं हुआ करते हैं, लेकिन ये किसी ऐसे इंसान के लिए जरूर मुसीबत खड़ी कर सकते हैं, जिसका क्रिएटिन पहले से ही एब्नॉर्मली हाइ हो।
- एक बात का ध्यान रखें, कि आपको अपने शरीर के लिए भरपूर एनर्जी को बनाए रखने और अपने शरीर को सारे काम सही तरीके से करते रहने के लिए, अपनी डाइट में प्रोटीन की जरूरत होती है, इसलिए आपको इसे पूरी तरह से अपनी डाइट से नहीं हटाना है।
- जब अप प्रोटीन कंज्यूम करें, तब जहां तक हो सके, उसे नट्स और दूसरी फलियों जैसे प्लांट-बेस्ड सोर्स से लेने की कोशिश करें।
- अपने प्लांट-बेस्ड फूड्स के कंजंप्शन को बढ़ा लें: अक्सर ही क्रिएटिन के हाइ लेवल को कम करने के लिए और हाइ ब्लड प्रैशर या डाइबिटीज की वजह से किडनी डिसीज के खतरे को कम करने के लिए वेजिटेरियन डाइट्स की सलाह दी जाती है। बेरी, लेमन जूस, पार्स्ली (parsley) और कॉलीफ्लावर (गोभी) जैसे विटामिन सी रिच फूड्स को खाएं।
- फॉस्फोरस-रिच फूड्स को अवॉइड करें: आपकी किडनी को फॉस्फोरस-रिच फूड्स को प्रोसेस करने में बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है विशेषकर तब, जबकि आपका क्रिएटिनिन लेवल पहले से ही बढ़ा हुआ हो।[१७] इसी वजह से, आपको इस तरह के फूड्स को अवॉइड करने की कोशिश करें:
- पंपकिन (कद्दू) और स्क्वॉश (squash), चीज़ (cheese), फिश, शेलफिश (shellfish), नट्स, लो फेट डेयरी प्रोडक्ट्स और सोयाबीन्स।
- आपके द्वारा कंज्यूम किए जाने वाले पोटेशियम के लेवल को लिमिट करें: जब भी किडनी से जुड़ी हुई किसी परेशानी से डील कर रहे हों, तब जहां तक हो सके, पोटेशियम के हाइ अमाउंट वाले फूड्स को लेने से बचें, ऐसा इसलिए, क्योंकि अगर आपकी किडनी इसे सही तरह से प्रोसेस नहीं कर पाती है, तो ये पोटेशियम आपके शरीर में जमा होना शुरू हो जाता है।[१८] पोटेशियम-रिच फूड्स में ये शामिल हैं:
- ड्राय फ्रूट्स, केले, पालक, आलू, बीन्स और मटर।
- क्रिएटिन (creatine) सप्लिमेंट्स से दूर रहें: चूंकि क्रिएटिनिन, क्रिएटिन का एक वेस्ट प्रोडक्ट होता है इसलिये क्रिएटिन-सप्लिमेंट्स लेने से, आपके ब्लड में ज्यादा मात्रा में क्रिएटिनिन जमा होने लगेगा।
- एक एवरेज इंसान के लिए, ये कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। अगर आप आपके परफ़ोर्मेंस को बेहतर बनाने के लिए न्युट्रिशनल सप्लिमेंट्स लेने वाले एक एथलीट या बॉडी-बिल्डर हैं, और अगर इन सप्लिमेंट्स में क्रिएटिन मौजूद है, तो आपको उसे छोड़ना पड़ेगा।
संपादन करेंचेतावनी
- ट्रीटमेंट के बारे में फैसला करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। हर एक इंसान की अपनी हैल्थ से जुड़ी जरूरतें होती हैं, इसलिये जरूरी नहीं है, कि दी हुई गाइड-लाइन्स सभी लोगों लिये समान रूप से काम करें। इसमें से कुछ तो, आपकी खास हालत के हिसाब से आपकी पूरी हैल्थ पर ही उल्टे असर डाल सकते हैं।
संपादन करेंस्रोत और उद्धरण
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